चुनाव के बीच मतदान का बहिष्कार करने की खबरें भी आती रहती हैं। कई बार प्रत्याशियों से नाराज होकर, अपने स्थानीय मुद्दों को लेकर या पिछले चुनाव के दौरान किए गए वादों के पूरे न होने पर मतदाता चुनाव बहिष्कार की चेतावनी देते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी कई राज्यों और लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव के बहिष्कार की खबरें आई हैं। यह जानने से पहले क‍ि कहां और क्‍यों हो रहा चुनाव का बह‍िष्‍कार, जानते हैं वह क‍िस्‍सा जब अटल ब‍िहारी वाजपेयी ने अपनी जुबान की ताकत से मतदाताओं का मन बदलवा द‍िया था।

जब अटल बिहारी के नाम पर मतदान का बहिष्कार करने वालों ने भी दे दिया था वोट

किस्सा लोकसभा चुनाव 1999 का है। बक्सर क्षेत्र के लोगों ने गंगा के कटान से होने वाली परेशानी का समाधान नहीं पाने से गुस्‍सा होकर चुनाव बहिष्कार का फैसला किया था। इस बीच चुनावी जनसभा के लिए बक्सर पहुंचे अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण की शुरुआत ही कटाव की समस्या से की और लोगों से उन पर यकीन करने को कहा कि केंद्र में सरकार बनते ही उनकी समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। उन्होंने जनसभा में उपस्थित लोगों से कहा कि मै जन्म से ही बिहारी हूं लेकिन अटल हूं।

दरअसल, उस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी लाल मुनी चौबे ने अटल बिहारी को वहां के लोगों की समस्या से अवगत करा दिया था। अटल बिहारी की घोषणा ने मतदाताओं का मिजाज बदल दिया और भाजपा प्रत्याशी लाल मुनी चौबे तीसरी बार जीते।

1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार बन गई और डॉ. सीपी ठाकुर जल संसाधन मंत्री बनाए गए। प्रधानमंत्री ने अप्रैल, 2000 में उन्हें बक्सर भेजा जहां उन्होंने बाढ़ से कटावग्रस्त क्षेत्र का हवाई सर्वे किया। जिसके बाद कटाव निरोधी कार्य के लिए बिहार को केंद्र से 40 करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा की गयी जिसमें से सात करोड़ रुपये बक्सर को भी मिले। इससे जिले के अर्जुनपुर और उमरपुर गांव के करीब कटाव निरोधी कार्य कराए गए।

अब जानते हैं लोकसभा चुनाव 2024 में कहां-कहां से मतदान के बह‍िष्‍कार की खबरें आ रही हैं।

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में बुधवार को ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी दी। अपनी मांगों को लेकर ग्रामीणों ने रैली निकाली और ‘काम नहीं तो वोट नहीं’ के नारे लगाए। दरअसल, जिले के करंजी रेलवे स्टेशन के पास अब तक रेलवे क्रॉसिंग अंडरब्रिज का निर्माण नहीं किया गया है, जिसकी मांग ग्रामीण सालों से कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार आवेदन करने के बाद भी रेलवे क्रॉसिंग अंडर ब्रिज की मांग की अनदेखी की गई तो अब उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के बहिष्कार का फैसला किया है।

आगरा के गांव में भी चुनाव बहिष्कार का ऐलान

आगरा के एक गांव के सभी लोगों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। महानाई गांव में रहने वाले सभी लोगों ने मिलकर चुनाव में वोट डालने से इनकार करते हुए पूरी तरह से चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। गांववालों का कहना है कि वो केवल उसी को वोट देंगे जो उनकी समस्याओं को हल करेगा। दरअसल, इस इलाके के लोग पिछले कई सालों से खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से पीने का पानी लेने के लिए उन्हें कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

बलरामपुर के ग्रामीण भी नहीं डालेंगे वोट

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर तहसील के बरहवा गांव के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव 2024 में वोट नहीं डालने का फैसला किया है। गांव के बाहर ‘रोड नही तो वोट नहीं’ का पोस्टर लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है और कोई इस पर ध्यान भी नहीं दे रहा है। हम सड़क, पानी ,बिजली ,अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यहां न तो कोई अधिकारी आते हैं और न ही कोई हमारी बातों को सुनता है।

‘प्रियंका नहीं तो वोट नहीं’

कांग्रेस ने अब तक रायबरेली सीट पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। इस बीच रायबरेली जिले के लालगंज ब्लॉक में स्थित कनकापुर गांव के लोगों ने तो गांव के बाहर एक बैनर लगाया है, जिसमें लिखा है कि ‘प्रियंका नहीं तो वोट नहीं।’ गांव के लोगों का कहना है कि अगर प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो हम लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे।

मुंबई में 6000 परिवारों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान

मुंबई में बोरीवली के गोराई में रहने वाले लगभग 6000 परिवारों ने पानी की भीषण समस्या के चलते मतदान का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। यह लोग ‘पानी नहीं तो वोट नहीं’ आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि BMC इनके साथ सौतेला व्यवहार करती है। मुंबई के होकर भी उन्हें मुंबईवासियों को मिलने वाली सुविधा से वंचित रखा जाता है।

मणिपुर में कुकी समुदाय का चुनाव बहिष्कार

मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष का हवाला देते हुए कुकी समुदाय के कुछ संगठनों ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। हिंसा का हवाला देते हुए कुकी समुदाय के लोगों ने ‘न्याय नहीं तो वोट नहीं’ का आह्वान करते हुए वोट देने से इंकार किया था। कुकी-जोमी-हमार, कुकी नेशनल असेंबली और कुकी इन्पी नामक संगठन ने चुनाव के बहिष्कार की घोषणा की थी।

नागालैंड के 6 जिलों में नहीं पड़ा वोट

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। इस दौरान नागालैंड के 6 जिलों में लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था। ऐसा नागालैंड को अलग राज्य बनाने की मांग के चलते किया गया था। ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ENPO) ने इन 6 जिलों के लोगों से चुनाव का बहिष्कार करने के लिए कहा था।

चुनाव बहिष्कार के बीच NOTA का विकल्प

वोट देना जनता का अध‍िकार है। चुनाव बह‍िष्‍कार व‍िरोध का तरीका हो सकता है, लेक‍िन यह कानून सम्‍मत नहींं है। कानूनन उम्‍मीदवार पसंद नहीं आने पर NOTA (None of the Above) का बटन दबाने का व‍िकल्‍प है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि किसी सीट पर सबसे ज्यादा वोट NOTA को मिले हैं तो उस सीट का मतदान कैंसिल हो जाएगा या परिणाम सामने आने के बाद चुनाव आयोग दोबारा वोटिंग कराएगा।

सबसे ज्यादा वोट नोटा को मिलने की स्थिति में दूसरे स्थान पर आने वाले प्रत्याशी को विजेता घोषित किया जाएगा। इस तरह अगर लोगों को अपने चुने हुए सांसद से कोई समस्या है या वो अच्छा काम नहीं कर रहा है तो मतदाता उसे हटा नहीं सकते हैं। ऐसे में मतदाताओं के पास अगले चुनाव तक इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है।

सरकार के काम से कितने संतुष्ट?

लोकसभा चुनाव से पहले हुए CSDS-Lokniti सर्वे के मुताबिक, काफी लोग एनडीए सरकार से संतुष्ट हैं लेकिन 2019 की तुलना में इस बार उनकी संख्या कम है। 2019 चुनाव से पहले 65% लोगों ने कहा था कि वो सरकार से थोड़े-बहुत या बहुत अधिक संतुष्ट हैं। 2024 में ऐसे उत्तरदाताओं का प्रतिशत घटकर 57% रह गया है।

इसी तरह, 2019 में सर्वे में शामिल 47 प्रतिशत लोग मोदी सरकार को एक और मौका देने के पक्ष में थे। 2024 में यह संख्या घटकर 44 रह गई है। दूसरी तरफ 2019 में सरकार को दोबारा मौका न देने के पक्ष में 35 प्रतिशत लोग थे, जिनकी संख्या अब 39 प्रतिशत हो गई है।

क्या मौजूदा सरकार को एक और मौका मिलना चाहिए?

जवाब20042009201420192024
हां4855234744
नहीं3045543539
पता नहीं22231817
Source- CSDS-Lokniti