लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे चार जून को आ जाएंगे। आम तौर पर मान्यता रही है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर जाता है। यह बात इस लिहाज से सही है कि यहां सबसे ज्यादा लोकसभा की सीटें हैं। लेकिन, 1989 से 2019 के चुनावों में बीजेपी को मिली कुल सीटों के लिहाज से देखें तो बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश की अहमियत अपेक्षाकृत कम ही होती गई है।
इन चुनावों में 1991 का चुनाव ऐसा रहा जब बीजेपी को मिली कुल सीटों में से 38 फीसदी उत्तर प्रदेश से आई थीं। इसके बाद हर चुनाव में यह प्रतिशत गिरता ही गया। 2004 में तो यह आंकड़ा 7 तक पहुंच गया था। हालांकि, 2014 में यह 25 प्रतिशत पर गया, लेकिन 2019 में फिर 20 प्रतिशत पर जा पहुंचा। वैसे यह बात सच है कि 2014 और 2019 में यूपी में बीजेपी को जितनी सीटें मिलीं, उनकी बदौलत ही दिल्ली में आसानी से सरकार बनाना संभव हो सका।
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 62 सीट जीतते हुए प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। पिछले चुनाव में बीजेपी को 49.6% वोट शेयर मिला था। यह 1962 के बाद किसी पार्टी को मिला तीसरा सबसे बड़ा वोट शेयर था। इससे पहले 1977 के चुनाव में बीएलडी ने 68.2% और 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने 50.4% का वोट शेयर हासिल किया था। भाजपा उत्तर प्रदेश में 1990 के दशक के बाद से 30% वोट शेयर को पार करने वाली एकमात्र राजनीतिक पार्टी है।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को यूपी में मिले थे लगभग 50 फीसदी वोट
2019 के चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में करीब 50 फीसदी वोट हासिल हुए थे। तब पार्टी के करीब दो-तिहाई (40) सांसदों ने 50% से ज्यादा वोट पाकर जीत हासिल की थी। लेकिन, इस बार विश्लेषक मान रहे हैं कि स्थिति अलग होगी। पार्टी को कुछ सीटों का नुकसान होने का अंदेशा भी जताया जा रहा है।

यह अंदेशा सही साबित होता है या गलत, यह तो 4 जून को ही पता चलेगा, लेकिन कुछ आंकड़ों के मद्देनजर यूपी में बीजेपी की चुनावी तकदीर का संकेत समझा जा सकता है। ये आंकड़े त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) से लिए गए हैं और इनमें उत्तराखंड की उन सीटों को शामिल नहीं किया गया है जो राज्य अलग होने से पहले उत्तर प्रदेश में थीं।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कुल सीटों में यूपी की हिस्सेदारी
चुनावी वर्ष | बीजेपी की कुल सीटों में यूपी की हिस्सेदारी (%) |
1989 | 9.4 |
1991 | 38.3 |
1996 | 30.4 |
1998 | 28.6 |
1999 | 13.7 |
2004 | 7.2 |
2009 | 8.6 |
2014 | 25.2 |
2019 | 20.5 |
यूपी लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोट शेयर हासिल करने वाली पार्टियां
चुनावी वर्ष | पार्टी | वोट शेयर (प्रतिशत) |
1962 | कांग्रेस | 37.7 |
1967 | कांग्रेस | 33.0 |
1967 | कांग्रेस | 47.6 |
1977 | बीजेडी | 68.2 |
1980 | कांग्रेस | 35.4 |
1989 | जनता दल | 36.5 |
1991 | बीजेपी | 32.4 |
1996 | बीजेपी | 33.4 |
1998 | बीजेपी | 35.9 |
1999 | बीजेपी | 27.0 |
2004 | सपा | 26.7 |
2009 | बसपा | 27.4 |
2014 | बीजेपी | 42.3 |
2019 | बीजेपी | 49.6 |
2019 में 40 बीजेपी सांसदों को मिला था कम से कम 50% वोट शेयर
लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 62 बीजेपी सांसदों में से 40 सांसद 50% वोट शेयर के साथ जीते। यह उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा था। 2014 में बीजेपी के 71 में से सिर्फ 17 सांसदों ने ही कम से कम 50% वोट हासिल किए थे। हालांकि, भाजपा 2014 और 2019 से पहले तीन और चुनावों में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी लेकिन तब 50% वोट शेयर हासिल करने वाले भाजपा उम्मीदवारों की संख्या 2019 की तुलना में बहुत कम थी।
लोकसभा चुनाव 2029 में कम से कम 50% वोट शेयर हासिल करने वाले बीजेपी सांसद
चुनावी वर्ष | सांसदों की संख्या |
1989 | 0 |
1991 | 3 |
1996 | 3 |
1998 | 2 |
1999 | 0 |
2004 | 2 |
2009 | 2 |
2014 | 17 |
2019 | 40 |
2019 में घटा बीजेपी का सीट-टू-वोट शेयर अनुपात
सीट-टू-वोट शेयर अनुपात किसी पार्टी की समर्थन को सीटों में बदलने की क्षमता को मापता है। इस मामले में, भाजपा ने 2019 में काफी खराब प्रदर्शन किया। 2019 में उसका सीट शेयर और वोट शेयर अनुपात 1.56 था। यह संख्या 2014 में भाजपा के लिए सबसे अधिक 2.10 थी जब उसने 42.3% वोट शेयर के साथ लगभग 88.8% लोकसभा क्षेत्र जीते थे।
लोकसभा चुनावों में बीजेपी का सीट-टू-वोट शेयर अनुपात
चुनावी वर्ष | सीट-टू-वोट शेयर अनुपात |
1989 | 1.28 |
1991 | 1.80 |
1996 | 1.83 |
1998 | 1.81 |
1999 | 1.16 |
2004 | 0.56 |
2009 | 0.71 |
2014 | 2.10 |
2019 | 1.56 |
बीजेपी की जीत में घटा यूपी का महत्व
80 संसदीय क्षेत्रों के साथ उत्तर प्रदेश लोकसभा में प्रतिनिधियों की संख्या के मामले में सबसे बड़ा राज्य है। 2014 और 2019 में बीजेपी ने राज्य में क्रमश: 71 और 62 सीटें जीतीं थीं। इनके बिना भाजपा चुनावों में सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े को पार नहीं कर पाती। लेकिन भाजपा की ओवरऑल जीत में उत्तर प्रदेश का महत्व वास्तव में 1990 के दशक की तुलना में 2019 में कम हो गया है। जहां 1991 में बीजेपी की जीत में यूपी की हिस्सेदारी 38.3%, 1996 में 30.4% थी, वहीं 2019 में यह 20.5% और 2014 में 25.2% रही।

यूपी में बीजेपी के प्रदर्शन में क्षेत्रीय समीकरण
अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (TCPD) ने उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय समीकरण का विश्लेषण करने के लिए राज्य को सात क्षेत्रों- अवध, बुंदेलखंड, दोआब, पूर्व, उत्तर-पूर्व, रुहेलखंड और पश्चिम क्षेत्रों में वर्गीकृत किया। पूर्वी यूपी में सबसे ज्यादा 16 लोकसभा क्षेत्र हैं। अवध और दोआब में 14-14 लोकसभा क्षेत्र हैं। नॉर्थ-ईस्ट और रुहेलखंड में 12-12 लोकसभा क्षेत्र हैं जबकि वेस्ट यूपी और बुंदेलखंड में क्रमशः 8 और 4 लोकसभा क्षेत्र हैं।
2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट शेयर राज्य के पश्चिमी हिस्सों में सबसे ज्यादा था। इन हिस्सों में पार्टी ने 2014 में 51% और 2019 में 53% वोट शेयर हासिल किया था। 2019 में, राज्य के पूर्वी हिस्सों और रुहेलखंड को छोड़कर सभी क्षेत्रों में भाजपा का वोट शेयर कम से कम 50% था।
उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव परिणाम
पार्टी | वोट प्रतिशत |
बीजेपी | 49.98 |
कांग्रेस | 6.36 |
बसपा | 19.43 |
सपा | 18.11 |
आरएलडी | 1.69 |