लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी उत्‍तर प्रदेश की वाराणसी सीट से लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं। हालांक‍ि‍, 2024 में उनकी जीत का मार्ज‍िन 2019 की तुलना में करीब एक-त‍िहाई ही रह गया। मतगणना के दौरान कुछ राउंड में मोदी पीछे भी चल रहे थे।

खास बात यह रही क‍ि प्रधानमंत्री मोदी के क्षेत्र में भी वोटर्स ने ईवीएम में ‘नोटा’ बटन भी दबाया। यह बटन दबाने का मतलब है क‍िसी उम्‍मीदवार को पसंद नहीं करना।

‘नोटा’ बटन दबाने वाले मतदाताओं की संख्‍या टॉप तीन उम्‍मीदवारों के बाद क‍िसी को भी म‍िले मतों की संख्‍या से ज्‍यादा (8478) रही।

वाराणसी लोकसभा चुनाव 2024 पर‍िणाम: क‍िस उम्‍मीदवार को म‍िले क‍ितने वोट

उम्‍मीदवारपार्टी म‍िले वोट
नरेंद्र मोदीभाजपा612970
अजय राय कांग्रेस460457
अतहर जमाल लारीबसपा33766
के. श‍िवकुमार युग तुलसी पार्टी5750
गगन प्रकाश यादवअपना दल (के)3634
द‍िनेश कुमार यादवन‍िर्दलीय2917
संजय कुमार त‍िवारीन‍िर्दलीय2171
नोटा 8478
कुल 1130141

बिहार में सबसे ज्यादा वोट NOTA को

लोकसभा चुनाव 2024 में लगभग एक प्रतिशत मतदाताओं ने ईवीएम पर NOTA (उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाया। नोटा पर सबसे ज्यादा वोट बिहार में पड़े। राज्य में 2.07% नोटा वोट दर्ज किए। इसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान रहा, जहां 1.41% नोटा वोट पड़े।

इंदौर में अकेले 218,674 नोटा वोट दर्ज किये गये। कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार अक्षय कांति बम के 29 अप्रैल को हुए मतदान से अपना नामांकन वापस लेने और भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद लोगों के बीच नोटा के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाया। तमिलनाडु में 1.06% नोटा वोट दर्ज किए गए। इसी तरह ओडिशा में 1.3% नोटा वोट दर्ज किए गए थे।

2019 में NOTA को मिले थे इतने वोट

2019 के लोकसभा चुनावों में कुल 6.52 मिलियन नोटा वोट पड़े थे, जिनमें से 22,272 वोट पोस्टल बैलेट थे। 2019 के लोकसभा चुनावों में, 1.06 प्रतिशत मतदाताओं ने किसी भी पार्टी को नहीं चुनते हुए NOTA का बटन दबाया था।

बिहार के वह क्षेत्र जहां 2019 के चुनाव में NOTA को मिले थे ज्यादा वोट

लोकसभा क्षेत्रNOTA (प्रतिशत)
गोपालगंज5.03
बस्तर4.56
पश्चिम चंपारण4.51
अरुकु4.45
जमुई4.16

अक्टूबर 2013 में हुई थी नोटा की शुरुआत

27 सितंबर, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ईवीएम पर नोटा बटन अक्टूबर 2013 में पेश किया गया था। इस विकल्प का उद्देश्य उन मतदाताओं को सक्षम बनाना था जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं, ताकि वे अपने फैसले की प्राइवेसि का उल्लंघन किए बिना अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें। नोटा का प्रावधान पहली बार दिसंबर 2013 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के दौरान किया गया था।

पिछले 5 सालों में 1.29 करोड़ वोट NOTA को

2018 से 2022 के बीच हुए राज्य और आम चुनावों में नोटा पर लगभग 1.29 करोड़ वोट डाले गए। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने 2018 से 2022 के दौरान विभिन्न चुनावों में NOTA को मिले वोटों की संख्या का विश्लेषण किया। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य विधानसभा चुनाव में औसतन 64.53 लाख वोट नोटा को पड़े। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर नोटा को 65,23,975 (1.06 प्रतिशत) वोट मिले।