जतिन आनंद
भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने से कुछ घंटे पहले पूर्वी दिल्ली से सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी थी।
गंभीर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मैंने माननीय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से अनुरोध किया है कि वो मुझे मेरे राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त करें ताकि मैं क्रिकेट की अपनी प्रतिबद्धताओं पर ध्यान दे सकूं।”
पोस्ट में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को टैग करते हुए गंभीर ने लिखा, “लोगों की सेवा करने का अवसर देने के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह जी को हृदय से धन्यवाद देता हूं। जय हिंद।”
भाजपा एक और मौका देना चाहती थी
भाजपा के एक सूत्र ने कहा, “पार्टी उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाना चाह रही थी, लेकिन पूर्वी दिल्ली या राजधानी की किसी सीट से नहीं। उन्हें ये निर्णय बता दिया गया था।”
सूत्र ने कहा, “गुरुवार रात को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक से पहले हुई एक संगठनात्मक बैठक में पहली सूची के लिए नाम तैयार किए गए थे। बैठक में एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने गंभीर को ‘सही उम्मीदवार’ बताया था। मंत्री ने कहा था कि वह अपने लोकसभा क्षेत्र में प्रति बूथ 370 अतिरिक्त वोट सुनिश्चित कर सकते हैं।” गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व ने 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
जेटली की सलाह पर राजनीति में आए थे गंभीर!
भाजपा के अंदरूनी सूत्र ने कहा है कि गंभीर अब “देश में नहीं तो कम से कम दिल्ली में” क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी संभालने पर विचार कर रहे हैं। असल में यह क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन ही था जिसने गंभीर को राजनीतिक में आने के लिए प्रेरित किया। दिल्ली भाजपा के नेताओं ने कहा कि गंभीर का पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और उनके परिवार के साथ करीबी रिश्ता था। ऐसा कहा जाता है कि गंभीर ने 1990 के दशक के अंत में शुरू हुए डीडीसीए के अध्यक्ष के रूप में जेटली के कार्यकाल को करीब से देखा था। वह 2019 में निधन होने तक इस पद पर बने रहे। नेताओं का कहना है कि जेटली की सलाह पर ही गंभीर ने राजनीति में कदम रखा था।
एक नेता ने कहा, “मार्च 2018 में गौतम के लिए पद्मश्री की घोषणा के तुरंत बाद अरुण जी ने उनसे पार्टी में शामिल होने पर विचार करने के लिए कहा था। गंभीर पार्टी में शामिल होने के लिए सहमत हुए और राष्ट्रवाद को लेकर उग्र बयान देने के निर्देशों का पालन करने लगे।”
गंभीर मार्च 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे, साथ ही क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में भी काम जारी रखा। इसके तुरंत बाद गंभीर को भाजपा का पूर्वी दिल्ली का प्रभारी नियुक्त किया गया। दिल्ली में भाजपा की लहर पर सवार होकर गंभीर ने पूर्वी दिल्ली से जीत हासिल की। उन्हें सात लाख वोट मिले।
बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे गंभीर
गंभीर के लिए राजनीति में एंट्री तो आसान रहा। लेकिन उनका कार्यकाल उथल-पुथल से भरा रहा। उन्होंने बार-बार दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा और अक्सर आप नेताओं के साथ तीखी नोकझोंक हुई।
उन्हें पार्टी के भीतर की समस्याओं के कारण भी काफी असुविधा हुई। 2019 में ही दिल्ली बीजेपी हलकों में सुगबुगाहट थी कि वह पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं होते। ऐसा पता चला है कि स्थानीय कैडर ने गंभीर के बारे में भाजपा नेतृत्व से शिकायत की थी कि वह संगठनात्मक बैठकों से गायब रहते हैं। यहां तक कि पिछले माह (फरवरी) दिल्ली में हुए भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन भी शामिल नहीं हुए थे। जबकि अधिवेशन में खुद पीएम मोदी और अमित शाह शामिल हुए थे।
पार्टी लाइन से अलग दे चुके हैं बयान!
पदभार संभालने के कुछ दिनों के भीतर ही ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से उनकी मुखरता मुद्दा बनी थी। मई 2019 में गंभीर ने गुड़गांव में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमले की निंदा करते हुए ट्वीट किया था मुस्लिम व्यक्ति को कथित तौर पर पीटा गया था और हिंदू नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था। गंभीर ने मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा था कि भारत “एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र” है।
तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी इस बात से सहमत थे कि यह घटना “निंदनीय” थी। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के भीतर एक चेतावनी भी जारी की थी कि “किसी को उन खबरों पर प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए” जिसकी जांच चल रही हो।
दिल्ली भाजपा के एक नेता ने कहा कि गंभीर का कथित तौर पर जून 2023 के एक कार्यक्रम में पूर्वी दिल्ली के निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो भाजपा विधायकों के साथ टकराव हुआ था। तब वहां केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं।
‘पूर्वी दिल्ली में किया है काम’
इन समस्याओं के अलावा भाजपा नेता स्वीकार करते हैं कि गंभीर ने अपने सामुदायिक और सामाजिक कार्यों के जरिए पूर्वी दिल्ली में एक मजबूत आधार बनाया। उन्होंने अपने क्षेत्र में जन रसोई (कम पैसे में खाना) की व्यवस्था की है, जहां पहले कचरा रखा जाता था वहां सफाई करवा कर लाइब्रेरी शुरू करवाया है, लगातार गाजीपुर लैंडफिल की ऊंचाई कम करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने ईस्ट दिल्ली प्रीमियर लीग की भी शुरुआत की जो गरीब परिवारों के युवा क्रिकेटरों को अपना कौशल प्रदर्शित करने का मौका देती है।
यही कारण है कि गंभीर को पार्टी के एक वर्ग का समर्थन हासिल है, जो मानता है कि राजनीति में प्रवेश करने के बाद से उन्हें “गलत तरीके से निशाना बनाया गया” है।