नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू किए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के दायरे से मुस्लिमों को बाहर रखा गया है, लेकिन प्रधानमंत्री बनने से ऐन पहले उन्होंने कहा था कि दुनिया के किसी भी देश में रहने वाला व्यक्ति, जिसके पासपोर्ट का रंग कोई भी हो, उसके खून का रंग अगर हमसे मिलता है तो उसका हिंदुस्तान पर हक बनता है। नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान टाइम्स नाऊ चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बात कही थी। मोदी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे और एनडीए ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।
Supreme Court Judgement on Hinduism : कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि वह हिंदू धर्म को धर्म मानने के लिए तैयार नहीं हैं, यह ‘वे ऑफ लाइफ’ (जीवनशैली) है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से हिंंदू धर्म को जीवनशैली बताते हुए कहा था कि इस मामले में वह सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक ही चलते हैं।
इंटरव्यू के दौरान टाइम्स नाऊ के एंकर अर्णब गोस्वामी ने 2014 के बीजेपी के घोषणा पत्र का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि भारत हमेशा से ही सताए हुए या प्रताड़ित किए गए हिंदुओं का एक स्वाभाविक देश रहेगा और सताए हुए हिंदू जब भी भारत में शरण लेना चाहेंगे तो उनका स्वागत किया जाएगा।
एंकर ने पूछा था कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सताए हुए हिंदू ही क्यों लिखा है आखिर पार्टी ने सताए हुए सिख, सताए हुए जैन, सताए हुए मुस्लिम या क्रिश्चियन क्यों नहीं लिखा?
एंकर ने मोदी से पूछा कि बीजेपी समावेशी होने की बात करती है तो ऐसे में आपके घोषणा पत्र में अन्य धर्मों का जिक्र क्यों नहीं है ? इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह एंकर के द्वारा कही गई बात को मानने को तैयार हैं और हम मानते हैं कि यह सब हमारे ही लोग हैं।

अर्णब से बोले थे नरेंद्र मोदी- आप धर्म में चले गए, हम सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से कह रहे हैं
मोदी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक हिंदू धर्म नहीं है, यह वे ऑफ लाइफ है यानी जीवन जीने का तरीका है। मोदी ने कहा कि आप धर्म में चले गए और हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से अपनी बात कह रहे हैं।
मोदी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर ना तो बुद्ध और ना ही सिख धर्म के लोगों को ऐतराज है और इतना ही नहीं आज भी केरल में ईसाई संप्रदाय के लोग इसी प्रकार से जीवन जीते हैं। जब एंकर ने अपना सवाल दोहराया कि बीजेपी के घोषणा पत्र में सिर्फ हिंदुओं का ही जिक्र है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी बात को जोर देकर कहा कि हम जब हिंदू शब्द की बात करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से करते हैं, हम धर्म के हिसाब से नहीं करते, हम जीवन जीने के तरीके के हिसाब से करते हैं।
इसके बाद उन्होंने जोर देकर कहा कि वह इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं कि हिंदू कोई धर्म है यह जीवन जीने का तरीका है।
Narendra Modi Arnab Goswami Interview: हिंदुओं का जीना मुश्किल
एंकर ने अपने अगले सवाल में कहा कि अभी आपने कहा कि घुसपैठियों को निमंत्रण देने की बात है, पड़ोसी देश बांग्लादेश में 8 से 10% हिंदू रहते हैं और ऐसे में क्या आप ऐसे हिंदुओं को खुला निमंत्रण नहीं दे रहे हैं। इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस बात का ऐसा अर्थ निकालना गलत है। बांग्लादेश में हिंदुओं का जीना मुश्किल हो गया है और टाइम्स नाऊ को वहां पर जाकर रिसर्च करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात के बीच में अर्णब गोस्वामी ने कहा था कि इस बारे में स्पष्टीकरण आना बेहद जरूरी है। क्योंकि सताए हुए हिंदुओं के बारे में लंबे समय से बात हो रही है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट ने कहा है लेकिन वोट बैंक की राजनीति ऐसा नहीं करने देगी।
मोदी ने कहा था कि आप बांग्लादेश तक ही सीमित हो जाते हैं, आप फिजी, जावा, सुमित्रा, अफ्रीका सब जगह देखें। मोदी ने कहा कि अफ्रीका में जब आतंकी हमले हुए थे तो ऐसे गुजराती जो वहां 100 साल पहले गए थे, उन्हें गुजराती बोलनी भी नहीं आती थी उन्होंने मदद के लिए मुझसे संपर्क किया, ऐसे में क्या किया जा सकता है।
एंकर ने पूछा कि आपके कहने का मतलब यह है कि जो मूल रूप से भारतीय है, चाहे उनका धर्म, हिंदू, जैन, क्रिश्चियन और मुस्लिम कुछ भी हो, वह वापस आ सकते हैं। इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह स्वाभाविक है लेकिन आप सब कुछ देश के बंटवारे से मत जोड़ देना, ऐसा खेल मत करना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह वोट बैंक की राजनीति में उलझते नहीं हैं, वोट आते हैं, सरकारें आती हैं-जाती हैं। देश अजर-अमर होता है। मोदी ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में रहने वाला व्यक्ति जिसके पासपोर्ट का रंग कोई भी हो, उसके खून का रंग अगर हमसे मिलता है तो उसका हिंदुस्तान पर हक बनता है।
Citizenship Amendment Act, 2019: पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने वाला कानून
याद दिलाना होगा कि बीजेपी ने तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रह रहे गैर मुसलमान या हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून बनाया था।
साल 2019 में जब यह कानून लाया गया तो इसका देश भर में विपक्षी दलों और मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा जमकर विरोध किया गया। उस वक्त सरकार इस कानून को लागू करने से पीछे हट गई थी लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के ऐलान से ठीक पहले बीजेपी ने इस कानून को अमली जामा पहना दिया।
इस कानून का विरोध करने वालों का यही तर्क था कि पड़ोसी देशों से आने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए।
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान को लेकर जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पहले जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। मोदी ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति को ‘घुसपैठियों और जिनके अधिक बच्चे हैं’, उनको दे देगी। मोदी ने कहा था कि आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दे दिया जाएगा।
