हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा शुरू की गई ‘परिवार पहचान पत्र योजना’ अब बीजेपी को परेशान कर रही है। इस स्कीम के तहत, हरियाणा में 54 लाख परिवारों को आठ अंकों का एक यूनिक आईडी नंबर मिलना था। सभी परिवारों के लिए परिवार पहचान पत्र पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य कर दिया गया था, साथ ही राज्य कर्मचारियों को चेतावनी दी गई थी कि अगर वे ऐसा करने में विफल रहे तो उनका वेतन रोका जा सकता है।

2020 में हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा लाई गयी महत्वाकांक्षी परिवार पहचान पत्र एक विवादास्पद मुद्दा है और अब विपक्षी कांग्रेस के मुख्य मुद्दों में से एक है। कांग्रेस ने शुरू से ही परिवार आईडी योजना का विरोध किया था और इसे ‘परमानेंट परेशानी पत्र’ करार दिया था। कांग्रेस ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया था। फैमिली आईडी कार्ड में अशुद्धि की कई शिकायतें भी सामने आयीं। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 2023 में वादा किया था कि अगर इस साल के अंत में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आई तो इस योजना को खत्म कर देगी।

कांग्रेस विधायक बी बी बत्रा ने कार्ड के साथ होने वाली विभिन्न समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक कार्ड पाने के लिए 25 कॉलम भरने पड़ते हैं।

बत्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, ““सबसे पहला कॉलम आधार है। सुप्रीम कोर्ट के नौ न्यायाधीशों के फैसले में कहा गया कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। फैसले में कहा गया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। फिर राज्य मेरा आधार नंबर कैसे मांग सकता है? एक अन्य कॉलम में जाति पूछी गई है। सामाजिक सुरक्षा लाभ राज्य की संचित निधि से दिए जाते हैं, और इसके लिए लाभार्थी की जाति की जरूरत नहीं होती है। अगर सरकार जाति जनगणना चाहती है तो इसे उचित कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाना चाहिए।”

स्थानीय लोगों को आईडी कार्ड अपडेट कराने में हो रही दिक्कत

बाडोपट्टी गांव के रोहतास गुरी इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान बताते हैं कि कैसे उन्हें अपने ‘परिवार पहचान पत्र’ में डिटेल ठीक कराने के लिए तीन-चार दिन लगाने पड़े। वह कहते हैं, “मैं कुम्हार समुदाय से हूं लेकिन फैमिली आईडी में मेरे तीन बच्चों में से दो की जाति चमार बताई गई है।” बढ़ई का काम करने वाले गुरी कहते हैं कि इसे ठीक कराने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते मेरी तीन-चार दिनों की कमाई बर्बाद हो गई।

रोहतास ने कहा कि इससे पहले उन्हें अपनी फैमिली इनकम को 2 लाख रुपये से कम कराकर 1.4 लाख रुपये सालाना करने के लिए विभिन्न अधिकारियों से संपर्क करना पड़ता था। केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय 1.8 लाख रुपये या उससे कम है वे राज्य में कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं, जैसे हर महीने 2 लीटर सरसों का तेल। हालांकि, रोहतास गुरी भाजपा समर्थक हैं।

क्या बढ़ा कांग्रेस के लिए सपोर्ट?

बाडोपट्टी गांव के ही कुम्हार राधेश्याम टाक का कहना है कि वह एक राजमिस्त्री है और आमतौर पर काम पूरा करने के बाद, उन्हें और उनके साथ अन्य श्रमिकों की पेमेंट उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “जिसकी वजह से मेरे परिवार पहचान पत्र में मेरी वार्षिक आय 4 लाख रुपये दिखाई देती है और मेरा नाम राशन लाभार्थियों की सूची से हटा दिया गया है। तमाम कोशिशों के बावजूद मैं इसे ठीक नहीं कर पाया।”

राधेश्याम आगे कहते हैं, ”ऐसी समस्याओं ने हमारे गांव में कांग्रेस का सपोर्ट बढ़ाया है वरना यहां लोग भाजपा को थोक में वोट देते थे। पार्टी को अभी भी वोट मिलेंगे, लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी के कारण है न कि भाजपा की हरियाणा सरकार के कारण।”

हिसार में दो जाटों के बीच मुकाबला

बाडोपट्टी गांव हिसार लोकसभा सीट में आता है जहां भाजपा के रणजीत सिंह चौटाला का मुकाबला कांग्रेस के जय प्रकाश से है। कुम्हारों को कुछ अन्य ओबीसी के साथ कट्टर भाजपा समर्थक के रूप में देखा जाता है, जबकि कांग्रेस अनुसूचित जाति और जाट वोटों के एक बड़े हिस्से की उम्मीद कर रही है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जाट सबसे बड़ा समूह है। जहां एक ओर चौटाला देवीलाल वंश से हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बड़े जाट नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा हैं। भाजपा को उम्मीद है कि हिसार में जाट वोटों के नुकसान की भरपाई हिंदू पंजाबियों और ब्राह्मणों के वोट से हो जाएगी।

हिसार कांग्रेस नेता और छह बार के पूर्व विधायक संपत सिंह का कहना है कि फैमिली आईडी के कारण किसानों को भी परेशानी हो रही है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान वह कहते हैं, “अगर किसी किसान को अपनी फसल के लिए 3 लाख रुपये का ऑनलाइन भुगतान मिलता है तो यह उसकी आय के रूप में दिखाई देता है। यह गलत है क्योंकि इसमें भारी इनपुट लागत को ध्यान में नहीं रखा गया है। इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति किसी को 3 लाख रुपये का लोन चुकाता है तो यह उस व्यक्ति की आय के रूप में दर्ज किया जाता है।”

संपत मजाक में कहते हैं, ”इसमें इतनी सारी औपचारिकताएं और वेब पोर्टल शामिल हैं कि सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स अपडेट करने के लिए परिवार के एक सदस्य को लगना पड़ता है।”

सरकार लगातार सुधार कर रही- बीजेपी

वहीं, दूसरी ओर हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता संजय शर्मा का कहना है कि हर नई योजना में शुरुआती समस्याएं होती हैं और सरकार इसमें लगातार सुधार कर रही है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि भ्रष्टाचार खत्म हो।”

मनोहर लाल खट्टर ने विपक्ष पर चीजों को काले चश्मे से देखने का आरोप लगाया। अगस्त 2023 में राज्य विधानसभा में एक भाषण में तत्कालीन सीएम ने कहा था कि आधार को बड़े पैमाने पर पहुंच बनाने और योजनाओं के साथ इंटीग्रेट करने में छह साल से अधिक का समय लगा जबकि उनकी सरकार के परिवार पहचान पत्र ने केवल दो सालों में ऐसा किया था।

खट्टर ने कहा, “इस योजना का उद्देश्य कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच को आसान बनाना है और हमने इसके तहत पहले ही कई चीजें लागू कर दी हैं। अब वापस नहीं जाना है।”