लोकसभा चुनाव 2024 में जब हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान किसानों का गुस्सा चरम पर है तो ऐसे में मेवात के चौधरी यासीन खान की याद आती है। चौधरी यासीन खान ने अलवर के राजा के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। बाद में वह राजनीति में आए और निर्विरोध चुनाव जीत कर रिकॉर्ड बनाया। किसान हरियाणा की राजनीति में काफी असर रखते हैं और इस बार हरियाणा में भाजपा नेताओं को कई जगह विरोध झेलना पड़ रहा है। इसकी बात आगे करेंगे, पहले चौधरी यासीन खान को जानते हैं।
Chaudhary Yasin Khan Mewat: फिरोजपुर झिरका से बने विधायक
किसान आंदोलन के बाद चौधरी यासीन खान राजनीति में सक्रिय हुए और 1926 में गुड़गांव जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद पर चुने गए। इसके बाद वह राजनीति में धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे और 1936 में विधान परिषद के सदस्य बने। चौधरी यासीन खान ने 1946 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार मिली थी।
1952 में जब संयुक्त पंजाब के विधानसभा चुनाव हुए थे तो चौधरी यासीन खान मेवात की फिरोजपुर झिरका सीट से चुनाव मैदान में उतरे। तब वह फिरोजपुर झिरका सीट से निर्विरोध विधायक चुने गए थे और ऐसा करके उन्होंने रिकॉर्ड बनाया था।
पगड़ी गिरने का किस्सा
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में इतिहासकार डॉ. सिद्धीक अहमद मेव और राजनीतिक विश्लेषक सतीश त्यागी के हवाले से 1957 में जब चौधरी यासीन खान फिरोजपुर झिरका सीट से चुनाव लड़ रहे थे तो उस वक्त के एक पुराने और रोचक किस्से के बारे में बताया गया है।
किस्सा यह है कि चौधरी यासीन खान जुम्मे की नमाज के लिए फिरोजपुर में जा रहे थे लेकिन रास्ते में जब उन्होंने कई लोगों को देखा तो अपनी पगड़ी को नीचे गिरा दिया। इस पर लोगों ने कहा कि चौधरी साहब की पगड़ी गिर गई। चुनावी मौसम में हालात को समझते हुए यासीन खान ने ग्रामीणों से कहा कि यह तुम लोगों की ही पगड़ी है या तो तुम इसे गिरा दो या फिर उनके सिर पर रख दो।
बताया जाता है कि इस घटना का फिरोजपुर झिरका के चुनावी माहौल पर असर पड़ा और यासीन खान एक बार फिर फिरोजपुर झिरका से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। उनके बाद उनके बेटे चौधरी तैयब हुसैन भी इसी सीट से विधायक बने और वह तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मंत्री भी रहे।
Farmers Protest: हरियाणा में ताकतवर है किसान राजनीति
हरियाणा में किसान राजनीति काफी ताकतवर है। कृषि कानूनों के खिलाफ जब दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन हुआ था तो पंजाब के किसानों को सबसे ज्यादा समर्थन हरियाणा से ही मिला था। हरियाणा के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसान एक साल तक धरने पर बैठे रहे थे। यह आंदोलन इतना बड़ा हो गया था कि मोदी सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था।

इस बार भी जब लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए भाजपा के उम्मीदवार हरियाणा के गांवों में जा रहे हैं तो उन्हें कई जगहों पर किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
चुनाव प्रचार के दौरान हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला, रोहतक लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार डॉक्टर अरविंद शर्मा, अंबाला से उम्मीदवार बंतो कटारिया और करनाल से उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों का विरोध झेलना पड़ा है। किसानों ने ऐलान किया है कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में बीजेपी के नेताओं का विरोध जारी रहेगा।
Shambhu Border Protest: शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान
इन दिनों भी हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है। इस साल फरवरी में बड़ी संख्या में किसान शंभू बॉर्डर पर आकर बैठ गए थे और दिल्ली जाना चाहते थे लेकिन हरियाणा की सरकार ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया था। चुनाव प्रचार के दौरान किसान हरियाणा और पंजाब में बीजेपी के उम्मीदवारों से फसलों को एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग के साथ ही यह भी पूछते हैं कि हरियाणा की सरकार ने उन्हें दिल्ली क्यों नहीं जाने दिया।

किसानों ने कहा – पूरे नहीं हुए वादे
धरना दे रहे किसानों का कहना है कि मोदी सरकार ने कृषि कानून रद्द करते वक्त उनसे जो वादे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया। किसानों का कहना है कि सरकार ने कहा था कि उन्हें सभी फसलों पर एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसानों का यह भी कहना है कि सरकार एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं कर रही है और इसके अलावा खेती में कॉर्पोरेट को बढ़ावा दे रही है। किसानों का कहना है कि सरकार को अपने वादों को पूरा करना चाहिए।
हरियाणा-पंजाब के कई गांवों में बीजेपी के नेताओं की एंट्री बैन कर दी गई है। इसे लेकर हाल ही में चुनाव आयोग ने किसानों से कहा था कि वे उम्मीदवारों को चुनाव चुनाव प्रचार करने से ना रोकें।
किसानों के लगातार प्रदर्शन की वजह से यह सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में 2019 का प्रदर्शन दोबारा पाएगी। 2019 में बीजेपी को हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी।

पूछ रहे किसान- गोलियों और ड्रोन का इस्तेमाल क्यों किया
किसानों का कहना है कि बीजेपी सरकार ने किसानों और मजदूरों का ऋण माफ क्यों नहीं किया। वे पूछते हैं कि केंद्र सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी कब देगी। इसके अलावा जब किसानों ने पंजाब के बॉर्डर से हरियाणा में आने की कोशिश की थी तो हरियाणा की पुलिस ने उनके खिलाफ गोलियों और ड्रोन का इस्तेमाल क्यों किया था।
मोदी बोले- एमएसपी पर हो रही वन उत्पादों की खरीद
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए उनकी सरकार के द्वारा किए गए कामों को गिना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सोमवार को ओडिशा में कहा कि उनकी सरकार ने आदिवासी परिवारों के लिए वनधन योजना बनाई, इसके माध्यम से वन उत्पादों की खरीद एमएसपी पर होती है।
मोदी ने कहा कि ओडिशा में लगभग 200 वनधन केंद्र खुले हैं, इनमें 80 से अधिक वन उत्पादों की खरीद एमएसपी पर होती है लेकिन राज्य सरकार किसानों को वन उपज पर सही एमएसपी तक नहीं देती।
Punjab Farmers Protest: 20 लाख किसान परिवारों की नाराजगी का डर
पंजाब में करीब 20 लाख किसान परिवार हैं। ऐसे में इनकी नाराजगी झेलने का खतरा कोई पार्टी नहीं उठा सकती। इसलिए पंजाब में बीजेपी, अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी किसानों को मनाने की कोशिश में जुटे हैं। किसानों की नाराजगी बीजेपी से तो है ही, बाकी दलों से भी वह खुश नहीं हैं।
