भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को सिंध के कराची में हुआ था। शिक्षित हिंदू सिंधी परिवार में पैदा हुए आडवाणी भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे हैं।

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आडवाणी का शुरुआती जीवन यूरोपीय, हिंदू, सिंधी मुस्लिम, शिया, पारसी और पठानों की मिली जुली आबादी वाला इलाके बीता, जो किसी महानगर सरीखे विकसित और साधन संपन्न था।

सुधावादी हिंदू परिवार में हुआ पालन पोषण

आडवाणी के परिवार पर भी क्षेत्र की मिश्रित संस्कृति की छाप दिखती है। इनके परिवार का पारंपरिक पेशा मुस्लिम राजाओं के यहां राजस्व जमा करने का था। लेकिन अंग्रेजी शासन में पेशा भी आधुनिक हो गया।

आडवाणी के एक चाचा लोकसेवक, दूसरे वकील और तीसरे केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे। पिता किशनचंद सबसे बड़े भाई के साथ परिवार का व्यवसाय संभालते थे। मां ज्ञानी देवी हाउस वाइफ थीं।

तब सिंध में हिंदू सिर्फ 25 प्रतिशत लेकिन आडवाणी के दादा संस्कृत के विद्वान थे। परिवार के सदस्य गुरु ग्रंथ पढ़ते और गुरुद्वारे जाते थे। कुल मिलाकर आडवाणी का परिवार एक संपन्न समावेशी सुधावादी हिंदू परिवार था।

बाद इस इस क्षेत्र की समरसता को याद करते हुए आडवाणी ने कहा था, ”हिंदुओं के लिए यह आम बात थी कि वे सूफी संतों की दरगाहों पर शीश झुकाएं और मुसलमान हिंदू त्योहारों को मनाएं।”

अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की साझेदारी पर पेंग्विन प्रकाशन से प्रकाशित किताब ‘जुगलबंदी’ में लेखक विनय सीतापति बताते हैं कि ”आडवाणी का परिवार पारसी इलाके जमशेद क्वार्टर में एक बंगले में रहता था। उनके पास एक विक्टोरियन घोड़ा गाड़ी थी, जो कराची के लिहाज से भी बड़ी बात थी।”

ईसाई मिशनरी स्कूल से हुई पढ़ाई

लाल कृष्ण आडवाणी की पढ़ाई कैथोलिक स्कूल सेंट पैट्रिक्स में हुई थी। 14 वर्ष की उम्र में स्कूल शिक्षा पूरी करने के बाद आडवाणी को आरएसएस के बारे में पता चला था। सन् 1942 की बात है, स्कूल खत्म हो चुका था और आडवाणी हैदराबाद में टेनिस सीखते हुए अपनी छुट्टी बिता रहे थे।

विनय सीतापति बताते हैं कि एक रोज आडवाणी के एक साथी खेल बीच में ही छोड़कर जाने लगे। जब आडवाणी ने उनसे पूछा कि खेल पूरा किए बिना क्यों जा रहे हो, तो जवाब मिला, ”मैं कुछ दिन पहले आरएसएस में शामिल हुआ हूं। शाखा पहुंचने में देर नहीं कर सकता, क्योंकि वहां समय की पाबंदी बहुत मायने रखती है।” कुछ दिन बाद आडवाणी भी अपने दोस्त के साथ शाखा जाने लगे। 

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First published on: 08-11-2022 at 10:55 IST