Karnataka Assembly Election Results 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत हुई है। पार्टी ने 224 में 135 सीटों पर जीत दर्ज की है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से हिमाचल प्रदेश के अलावा कांग्रेस कोई चुनाव नहीं जीत पाई थी। कर्नाटक में मिली जीत के पीछे कांग्रेस की रणनीति का बड़ा योगदान माना जा रहा है। पार्टी ने बतौर चुनाव रणनीतिकार सुनील कानुगोलू को रखा था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कानुगोलू ने भाजपा के लिए काम किया था।
इंडियन एक्सप्रेस ने एक कांग्रेस नेता के हवाले से बताया है कि पार्टी ने पिछले आठ महीनों में पांच सर्वे किए थे। अंत में कुछ सीटों को छोड़कर, उम्मीदवारों को मुख्य रूप से सुनील कानुगोलू की टीम द्वारा किए गए इन सर्वेक्षणों के आधार पर चुना गया था। उन सर्वेक्षणों के आधार पर लगभग 70 हॉट सीटों की पहचान की गई थी। उन सीटों पर AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) के देश भर से आए पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया था।
कर्नाटक में कानुगोलू को कोई ‘बाहरी’ कह खारिज नहीं कर सकता था क्योंकि उनका जन्म राज्य के बेल्लारी जिले में हुआ था। उनकी मिडिल स्कूल तक पढ़ाई भी कर्नाटक में ही हुई है।
2024 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ होंगे कानुगोलू
पिछले मई में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कानुगोलू को पार्टी के 2024 लोकसभा चुनाव टास्क फोर्स का सदस्य नामित किया था। इस टास्क फोर्स में पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, प्रियंका गांधी वाड्रा और रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे दिग्गज नेता भी शामिल हैं। सुरजेवाला को बतौर AICC लीडर कर्नाटक का प्रभारी भी बनाया गया था।
कांग्रेस ने पहले यह ऑफर प्रशांत किशोर को दिया था। उनके मना करने के कुछ सप्ताह बाद कानुगोलू कांग्रेस टास्क फोर्स का हिस्सा बन गए। कानुगोलू की कोई सोशल मीडिया प्रोफाइल नहीं है। 2014 में अलग होने से पहले किशोर और कानुगोलू एक साथ काम कर चुके हैं हालांकि दोनों के तौर-तरीके में काफी अलग हैं।
प्रशांत किशोर से अलग होने के बाद कानुगोलू ने अपने दम पर 2016 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से पहले DMK प्रमुख और वर्तमान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के अभियान “नामक्कु नामे” को डिजाइन किया था। इस अभियान ने स्टालिन के पब्लिक इमेज को बड़ा बनाया। हालांकि डीएमके जीतने में विफल रही। तब तीसरे मोर्चे ने वोटों को बांट दिया था और एआईएडीएमके सत्ता में बनी रही थी। हालांकि तब भी एक कांग्रेस नेता कहा था, “डीएमके हार गई लेकिन स्टालिन एक नेता के रूप में उभरे।” इसके बाद कानुगोलू ने फरवरी 2018 तक दिल्ली में अमित शाह के साथ मिलकर काम किया।
2019 चुनाव में DMK के लिए किया काम
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक कानुगोलू DMK खेमे में लौट आए और UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) को राज्य के 39 संसदीय क्षेत्रों में से 38 जीतने में मदद की। लेकिन स्टालिन द्वारा किशोर से मदद मांगने के बाद 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी से नाता तोड़ लिया।
उन्होंने पाला बदल लिया और AIADMK के लिए काम किया लेकिन उसे सत्ता से बेदखल होने से नहीं रोक सके। उसी वर्ष, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ बैठक करने के बाद कांग्रेस ने कर्नाटक के लिए कानुगोलू की कंपनी माइंडशेयर एनालिटिक्स की सर्विस ली।
कांग्रेस ने कानुगोलू को क्यों चुना?
कांग्रेस ने चुनावी रणनीतिकार के तौर पर कानुगोलू को ही क्यों चुना? इसका एक कारण यह था कि वह लो प्रोफाइल है। एक कांग्रेसी नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कानुगोलू इतने लो प्रफाइल हैं कि सोशल मीडिया उनकी तस्वीर बताकर जो शेयर की जाती है, वह भी उनके भाई की है। इससे आप उनकी कार्यशैली को समझ सकते हैं। वह पर्दे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते हैं। मेरा मानना है कि वह अपने विचारों को पार्टी पर नहीं थोपते। हर पार्टी की अपनी ताकत और कमजोरियां होती हैं। हर पार्टी के काम करने का तरीका अलग होता है। वह इसे समझते हैं और पार्टी के साथ काम करने की कोशिश करते हैं।”
कानुगोलू 40 साल के भी नहीं हैं, लेकिन अब तक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के लिए एक दर्जन से अधिक चुनावों की रणनीति बना चुके हैं। लगभग एक दशक के करियर में उन्होंने एक दर्जन से अधिक मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया है। भाजपा से लेकर DMK और अब कर्नाटक में कांग्रेस तक, कानुगोलू प्रशांत किशोर की तरह ही एक लोकप्रिय चुनाव रणनीतिकार बनते जा रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव अभियान को आकार देने की जिम्मेदारी भी कांग्रेस ने सुनील कनुगोलू को ही दी है।