कर्नाटक सरकार ने प्राइवेट सेक्टर की C और D कैटेगरी की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण देने के फैसले पर 17 जुलाई को अस्थाई रोक लगा दी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार आरक्षण की समीक्षा करेगी और उसके बाद फैसला करेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 16 जुलाई को इसकी घोषणा की थी। इस सबके बीच कर्नाटक के प्रमुख लिंगायत समुदाय की एक उपजाति पंचमसाली लिंगायत तीन साल से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की केटेगरी 2A में शामिल किए जाने की मांग कर रही है।

मंगलवार (23 जुलाई) को पंचमसाली लिंगायत समुदाय के नेताओं ने वकीलों के साथ बैठक की जिसमें यह विचार किया गया कि 2023 में विफल हो चुके आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाया जाए।

गौरतलब है कि OBC की केटेगरी 2A में शामिल किए जाने से उन्हें सरकारी नौकरियों और कॉलेज प्रवेश में इस श्रेणी के लिए निर्धारित 15 प्रतिशत कोटा का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। लिंगायत समुदाय को वर्तमान में कर्नाटक के ओबीसी कोटा मैट्रिक्स की केटेगरी 3B के तहत 5 प्रतिशत कोटा मिला हुआ है।

कौन हैं पंचमसाली लिंगायत?

लिंगायत (आधिकारिक तौर पर हिंदू उपजाति ‘वीरशैव लिंगायत’ के रूप में वर्गीकृत) 12वीं शताब्दी के दार्शनिक-संत बसवन्ना के अनुयायी हैं। उन्होंने एक कट्टरपंथी जाति-विरोधी आंदोलन शुरू किया था जिसने भगवान (विशेष रूप से भगवान शिव) के साथ व्यक्तिगत, स्नेहपूर्ण संबंध के पक्ष में रूढ़िवादी हिंदू प्रथाओं को खारिज कर दिया था।

पंचमसाली का कर्नाटक की राजनीति में कम प्रतिनिधित्व

वर्तमान में लिंगायत समुदाय में कई उप-जातियों को सम्मिलित कर लिया गया है। यह एक साथ मिलकर कर्नाटक की 224 सीटों में से 90-100 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। इन उप-जातियों में, कृषक पंचमसालिस सबसे बड़ी हैं जो लिंगायत आबादी का लगभग 70 प्रतिशत हैं। उनका दावा है कि उनकी संख्या लगभग 85 लाख है जो कर्नाटक की लगभग छह करोड़ की आबादी का लगभग 14% है।

पंचमसाली लंबे समय से कर्नाटक की राजनीति में कम प्रतिनिधित्व की बात कर रहे हैं। राज्य के लिंगायत मुख्यमंत्री जैसे बीएस येदियुरप्पा, बसवराज बोम्मई और जगदीश शेट्टार सभी अन्य उप-जातियों से संबंधित हैं। पंचमसाली समुदाय दूसरों की तुलना में आर्थिक रूप से कमजोर होने का भी दावा करता है।

कैसे उठी पंचमसाली आरक्षण की मांग?

ओबीसी में कई अलग-अलग जातियां और उप-जातियां शामिल हैं। कर्नाटक में सरकारी नौकरियों और कॉलेज एडमिशन में ओबीसी के लिए कुल 32 प्रतिशत आरक्षण पांच श्रेणियों में वितरित किया गया है। इनमें से वर्तमान में कर्नाटक में 102 जातियां 2A ओबीसी केटेगरी में आती हैं। वहीं, पंचमसाली समुदाय ओबीसी की केटेगरी 3B में आता है।

साल 2020 में सामने आया पंचमसाली समुदाय का असंतोष

दो दशक से अधिक समय से चल रहा पंचमसाली समुदाय का असंतोष 2020 में तब सामने आया जब भाजपा विधायक मुरुगेश निरानी को तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। निरानी ने समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग का समर्थन करके पंचमसाली नेताओं के बीच अपने लिए समर्थन जुटाया था।

हालाँकि, 2021 में कैबिनेट में शामिल किए जाने के बाद निरानी पीछे हट गए लेकिन बीजेपी के बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और कांग्रेस के विजयानंद काशपन्नवर और लक्ष्मी हेब्बालकर जैसे नेताओं ने आरक्षण का यह मुद्दा उठाया। पंचमसाली के पुजारी बसवराज मृत्युंजय स्वामी ने इस मांग के लिए राज्यव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया। जनवरी और मार्च 2021 के बीच पंचमसाली लोगों के एक समूह ने विरोध में उत्तरी कर्नाटक के बागलकोट से बेंगलुरु तक 600 किमी से अधिक की पैदल यात्रा की।

जुलाई 2021 में खत्म किया गया आंदोलन

राज्य विधानसभा में येदियुरप्पा के आश्वासन पर जुलाई 2021 में आंदोलन खत्म कर दिया गया था। येदियुरप्पा ने कहा था, “कानूनी और संवैधानिक मानदंडों के तहत विभिन्न जातियों द्वारा आरक्षण की मांगों को हल करने के लिए कैबिनेट के फैसले के अनुसार, सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुभाष की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जा रहा है।”

भाजपा ने कैसे की पंचमसालियों को संतुष्ट करने की कोशिश?

कर्नाटक बीजेपी में बढ़ते असंतोष के बीच येदियुरप्पा ने 26 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह बसवराज बोम्मई ने ली जिन्होंने पंचमसाली समेत राज्य के ओबीसी समूहों के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की।

27 मार्च, 2023 को बोम्मई सरकार ने मुसलमानों के लिए केटेगरी 2B के तहत 4 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया, और इसे नव निर्मित श्रेणियों 2C और 2D में वोक्कालिगा और लिंगायतों के बीच (प्रत्येक 2 प्रतिशत) वितरित किया। इस कदम के बाद लिंगायत कोटा 5 से बढ़कर 7 प्रतिशत और वोक्कालिगा कोटा 4 से बढ़कर 6 प्रतिशत हो गया।

बोम्मई और भाजपा को उम्मीद थी कि इस कदम से पूरे लिंगायत और वोक्कालिगा वोटों पर पकड़ बनेगी। हालांकि, पंचमसाली केटेगरी 2A में शामिल किए जाने की अपनी मांग पर अड़े रहे।

कर्नाटक सरकार का आदेश रद्द

मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने भी जल्द ही कर्नाटक सरकार के आदेश को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने पाया कि यह बदलाव अस्थिर और त्रुटिपूर्ण थे। जिसके बाद कर्नाटक सरकार द्वारा एक हलफनामा देने के बाद मामले को स्थगित कर दिया गया, जिसमें कहा गया था कि वह मौजूदा ओबीसी कोटा जारी रखेगा। तब से फिलहाल इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है।

भाजपा की 2023 के विधानसभा चुनाव में हार

भाजपा पंचमसालियों को संतुष्ट करने में विफल रही, जिसका खामियाजा पार्टी को मई 2023 के विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में सत्ता में आई और लिंगायत समुदाय के एक बड़े वर्ग का समर्थन हासिल किया, जो 1990 के दशक से भाजपा का समर्थन कर रहा था।

भाजपा ने उन 68 सीटों में से केवल 18 सीटें जीतीं जहां उसने लिंगायत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिसमें 27 सीटों में से वो 7 सीटें शामिल थीं जहां उसने पंचमसाली उप-संप्रदाय के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। दूसरी ओर, कांग्रेस ने उन 48 सीटों में से 37 सीटें जीतीं, जहां उसने लिंगायत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिसमें 14 में से 10 सीटें उसने पंचमसाली उम्मीदवारों को दी थीं।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार स्थिति से कैसे निपट रही है?

मई 2023 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। तब से, यह सुप्रीम कोर्ट से कानूनी समाधान देने के लिए कह रही है। सरकार द्वारा कोटा की मांग पर कोई निर्णय लेने से पहले कर्नाटक सामाजिक, आर्थिक और जाति सर्वे की रिपोर्ट के निष्कर्षों को राज्य मंत्रिमंडल द्वारा देखने का इंतजार है। पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने इस रिपोर्ट को सरकार को फरवरी इस साल में सौंप दिया था।

हालांकि, लिंगायत और वोक्कालिगा दोनों सर्वे का विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि यह उनकी आबादी को कम आंक सकता है और उनकी आरक्षण योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। कांग्रेस, सभी लिंगायतों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश कर सकती है। यह मौजूदा ओबीसी समूहों के बीच पार्टी के समर्थन को बनाए रखने में मदद करेगा, जबकि सभी लिंगायतों को शांत करेगा।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में येदियुरप्पा ने भी सभी लिंगायतों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग की थी। उन्हें कथित तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा ऐसा करने से रोका गया था। वर्तमान में केवल 16 लिंगायत उप-जातियां जिन्हें बहुत पिछड़ा माना जाता है, उन्हें केंद्र सरकार की नौकरियों और कॉलेज में ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण प्रदान किया जाता है। पंचमसाली एक बार फिर से केटेगरी A की मांग कर रहे हैं।