कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक के 224 विधानसभा क्षेत्रों में से 135 पर जीत हासिल की है। साल 1989 के बाद यह पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। कांग्रेस ने अपनी जीत का श्रेय ‘4 S कार्ड’ को दिया है। पहले दो S तो कर्नाटक कांग्रेस के दो सबसे बड़े नेता, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं। तीसरा S चुनाव रणनीतिकार सुनील कानुगोलू हैं।
पार्टी की जीत के सूत्रधारों के इस ‘4 S’ ग्रुप में चौथा ‘S’ 44 वर्षीय पूर्व IAS अधिकारी शशिकांत सेंथिल हैं, जिन्होंने बेंगलुरु में कांग्रेस के वॉर रूम का मोर्चा संभाला और बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्या था पूर्व IAS का प्लान?
शशिकांत सेंथिल के आइडिया पर काम करते हुए कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों की पूरी एक सीरीज शुरू की। विशेष रूप से ’40 प्रतिशत कमीशन सरकार’ पर ध्यान दिया गया। इस अभियान के तहत कांग्रेस यह प्रचार कर रही थी कि राज्य की भाजपा सरकार 40 प्रतिशत घूस लेकर काम करती है। भ्रष्टाचार के एक मामले में भाजपा विधायक मदल विरुपाक्षप्पा की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता जोरशोर से यह कहते नजर आए कि प्रदेश में ’40 प्रतिशत कमीशन सरकार’ है।
इसके बाद कांग्रेस ने पेटीएम की तर्ज पर ‘पेसीएम’ अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत क्यूआर कोड वाला पोस्टर सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक फैला दिया गया। पोस्टर में क्यूआर कोड के डॉट्स से बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) की तस्वीर बनी थी, ऊपर लिखा था ‘पेसीएम’ (PayCM Poster Campaign)। ये पोस्टर ऑनलाइन भुगतान ऐप पेटीएम के क्यूआर कोड जैसा था। क्यूआर कोड को स्कैन करने से यूजर्स ’40 प्रतिशत कमीशन सरकार’ की वेबसाइट पर पहुंच जाते थे, जिसे कांग्रेस ऑपरेट कर रही थी।
यह एक इंटरेस्टिंग कैंपेन था, जिसे जनता ने पसंद किया। ये सारे अभियान पूर्व IAS शशिकांत सेंथिल की दिमाग की उपज थे।
कौन हैं शशिकांत सेंथिल?
शशिकांत सेंथिल 2009 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी थे। यूपीएससी की परीक्षा में वह तमिलनाडु के टॉपर थे। उनका ऑल इंडिया रैंक 9 था। सेंथिल ने सितंबर 2019 में इस्तीफा दे दिया था। उनकी आखिरी पोस्टिंग सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील दक्षिण कन्नड़ जिले में उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) के रूप में हुई थी।
उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था, “मेरे लिए ऐसे समय पर प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करते रहना अनैतिक होगा जब हमारे समृद्ध लोकतंत्र के मौलिक आधारभूत स्तंभों से समझौता किया जा रहा है।”
उन्होंने आगे लिखा था कि “मेरा यह भी मानना है कि आने वाले दिन देश के सामने बेहद कठिन चुनौतियां पेश करेंगे। लिहाज इस समय अपने काम को जारी रखने के लिए आईएएस से बाहर होना बेहतर होगा।”
CAA-NRC का किया था विरोध
बाद में सेंथिल, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के कट्टर आलोचक के रूप में सामने आए। उन्होंने CAA-NRC का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं से मिलने और बातचीत करने के लिए लंबी यात्रा भी की। विचारधारा से समाजवादी, सेंथिल बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
2020 में बने कांग्रेसी
मूलरूप से तमिलनाडु के रहने वाले शशिकांत सेंथिल नवंबर 2020 में तमिलनाडु कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केएस अलागिरी और AICC के तत्कालीन महासचिव दिनेश गुंडू राव की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। तब सेंथिल ने बताया था कि उन्होंने हमेशा लोगों के कल्याण के लिए काम किया है और आगे भी यह काम जारी रखेंगे।
इसके बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक नोट में सेंथिल ने कहा कि उन्होंने सिविल सेवा छोड़ने का फैसला “उस देश पर अधिनायकवादी हमले को रोकने के तरीके की तलाश में किया जिसे वह बहुत प्यार करते हैं।”
उन्होंने बताया कि अपने इस्तीफे के बाद वह कई लोगों से मिले थे, कई विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए थे, सीएए/एनआरसी आंदोलन में योगदान दिया था। बकौल सेंथिल उन्हें CAA-NRC प्रोटेस्ट के दौरान ही लगा कि देश में लोग एक दूसरे के लिए खड़े होने को तैयार हैं।
कांग्रेस के लिए क्या-क्या किया?
शुरुआत में सेंथिल ने कांग्रेस के ट्रेनिंग वर्टिकल के साथ काम किया। 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में उन्होंने चेन्नई में पार्टी के वॉर रूम में काम किया। पार्टी उनके काम से प्रभावित थी, उन्हें सितंबर-अक्टूबर में भारत जोड़ा यात्रा के तीन सप्ताह के कर्नाटक चरण के दौरान राहुल गांधी और सिविल सोसाइटी के सदस्यों के बीच संपर्क कराने का काम सौंपा गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इससे वह राहुल गांधी के करीब आ गए।
कांग्रेस ने अपनी राजनीति को ध्यान में रखते हुए सेंथिल को अपने कर्नाटक वार रूम का प्रमुख नियुक्त किया। उनके एक करीबी सूत्र ने कहा, “सेंथिल और उनकी टीम ने कांग्रेस के लिए अभियान और सोशल मीडिया रणनीतियों को तैयार करने के लिए दिन-रात काम किया, जिसने 40% कमीशन सरकार को राज्यव्यापी चुनावी चर्चा का हिस्सा बना दिया। टीम ने भाजपा के ध्रुवीकरण वाले नैरेटिव को काउंटर करने के लिए भी अथक प्रयास किया।”
सेंथिल के पास लगभग 50 सदस्यों की एक मजबूत टीम थी, जिनमें से कुछ चेन्नई और नागपुर से आए थे। उन्होंने कांग्रेस को अपने बयान (स्टेटमेंट) तैयार करने और कार्यक्रमों और रैलियों के लिए जगह चुनने में भी मदद की। कर्नाटक चुनाव के बाद, सेंथिल कांग्रेस का काम देखने तमिलनाडु वापस चले गए। कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के मिशन 2024 में भी उन्हें शामिल कर सकती है।
