भाजपा को उस वक्त बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी, जब पार्टी चुनाव समिति की अपनी पहली बैठक के बाद कर्नाटक के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने में असमर्थ रही। अंतिम लिस्ट की घोषणा में तीन दिन अतिरिक्त लग गए। आखिरी लिस्ट से पार्टी के भीतर कई पक्ष खुश नजर नहीं आया।

येदियुरप्पा को आया गुस्सा

पोल पैनल की बैठक की शुरुआत में पार्टी के वरिष्ठ नेता बी.एस. येदियुरप्पा गुस्से में नजर आए। उन्होंने घोषणा कर दी कि बैठक उनकी कोई जरूरत नहीं है। दरअसल, येदियुरप्पा पार्टी की प्रथा का पालन न होने से नाराज थे। पहले एक निर्वाचन क्षेत्र से तीन दावेदारों के नाम पेश होते थे, उनमें से किसी एक का चयन किया जाता था। लेकिन इस बार कई मामलों में प्रति सीट केवल एक ही नाम था।

बीएल संतोष की करतूत

यह भारतीय जनता पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष की करतूत थी, उन्हें उम्मीद थी कि वह नाम तय करेंगे। येदियुरप्पा ने सुझाव दिया कि उम्मीदवारों के चयन के लिए संतोष द्वारा पेश किया गया सर्वे संदिग्ध है। संगठन सचिव ने अपने गैर-राजनीतिक चापलूसों का विशेष ध्यान रखा है। (जगदीश शेट्टार संतोष के पीड़ितों में से एक हैं।)

येदियुरप्पा की चेतावनी

येदियुरप्पा ने चेतावनी दी कि वर्तमान में राज्य में भाजपा मजबूत स्थिति में नहीं है और यदि उम्मीदवारों की मूल सूची में कोई बदलाव नहीं होता है, तो पार्टी को एक तरह से सफाया का सामना करना पड़ सकता है। पूर्व सीएम ने कहा कि वह इस तरह की चुनावी हार से जुड़ना पसंद नहीं करेंगे। उस दिन बाद में, उन्हें दिल्ली के एक लोकप्रिय दक्षिण भारतीय रेस्तरां में अकेले खाना खाते देखा गया।

‘कर्नाटक गुजरात नहीं है’

ऐसा लगता है कि उनके तर्कों ने पीएम नरेंद्र मोदी पर असर किया। उन्होंने ने ही उम्मीदवारों की अंतिम सूची बनाई। इसके बाद अगले तीन दिनों तक पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कर्नाटक के नेताओं के साथ गहन चर्चा हुई। गौरतलब है कि संतोष और येदियुरप्पा को कभी भी एक साथ कमरे में नहीं बुलाया गया था।

आरएसएस के एक नेता ने बीजेपी आलाकमान को संतोष का अपमान करने के लिए फटकार लगाई, जो पार्टी में आरएसएस के प्रतिनिधि हैं। हालांकि, समाज को समझने वाले मोदी जानते हैं कि अगर उन्हें 2024 (लोकसभा चुनाव) में राज्य के भीतर अच्छा प्रदर्शन करना है, तो उन्हें कास्ट-बेस्ड राजनेताओं के मदद की ज़रूरत पड़ेगी। पूरी तरह से आइडियोलॉजी के आधार पर लाए गए या निजी पसंद-नापसंद के आधार पर चुने गए नेताओं से काम नहीं चलेगा। संतोष की कार्यशैली भी निरंकुश मानी जाती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कर्नाटक गुजरात नहीं है।