सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शिवसेना (Shiv Sena) के दो गुटों एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के विवाद पर सुनवाई कर रही है। 22 फरवरी को सुनवाई के दौरान मामले से इतर, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) से संसदीय व्हिप से जुड़ी कुछ जानकारी मांगी। चर्चा छिड़ी तो कपिल सिब्बल ने अपनी व्यक्तिगत राय रखते हुए कहा कि ‘अगर कोई शख्स वकालत करना चाहता है तो उसे वकालत ही करनी चाहिए। या सांसद है तो पूरा ध्यान संसद में ही देना चाहिए, एक साथ दोनों चीजें नहीं कर सकते हैं’।

सिंघवी ने दिया अरुण जेटली का उदाहरण

कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) की इस राय पर सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) सहमत नहीं दिखे उन्होंने एक वाकया सुनाया। सिंघवी ने कहा कि एक बार संसद में लेफ्ट पार्टी के एक चर्चित नेता ने कहा था कि- वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, डॉक्टर और दूसरे लोगों को संसद में नहीं होना चाहिए, उन्हें अपने पेशे पर ध्यान देना चाहिए। इस पर बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने जवाब देते हुए कहा था कि
‘क्या वे चाहते हैं कि संसद में सिर्फ बेरोजगार लोग आएं?’

अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर आप किसी पेशे से जुड़े हैं, तो आप अपने साथ एक अनुभव भी ले आते हैं, जो आपकी काफी मदद करता है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह भी सच है कि अभी भी कई न्यायालयों में एक साथ दो काम करने की इजाजत नहीं है।

शिंदे गुट को दी थी राहत

आपको बता दें कि शिवसेना के दोनों गुटों की लड़ाई पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई कर रही है। 22 फरवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इंकर कर दिया था और कहा था कि फिलहाल इलेक्शन कमीशन के आदेश के मुताबिक एकनाथ शिंदे गुट के पास ही शिवसेना का नाम और चुनाव निशान रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे ग्रुप को नोटिस भी जारी किया था और 2 हफ्ते में जवाब मांगा था। वहीं, उद्धव ठाकरे गुट को भी जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है।