सुप्रीम कोर्ट को दो नए जज मिल गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तेलंगाना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उज्जवल भूइयां (Justice Ujjal Bhuyan) और केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एसवी भट्टी (Justice SV Bhatti) को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। दोनों जजों की नियुक्ति के साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट में कुल जजों की संख्या 32 हो गई है। दो जजों के पद अभी भी खाली हैं। जस्टिस भूइयां का कार्यकाल 2 अगस्त 2029 तक होगा तो जस्टिस भट्टी 6 मई 2027 तक सुप्रीम कोर्ट में रहेंगे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 5 जुलाई को जस्टिस उज्जवल भूइयां और जस्टिस एसवी भट्टी का नाम केंद्र सरकार को भेजा था। दोनों जजों का नाम भेजते वक्त सीनियॉरिटी से लेकर मेरिट और परफॉर्मेंस जैसी चीजों पर गौर किया गया था।
कौन हैं जस्टिस उज्जवल भूइयां? (Who is Justice Ujjal Bhuyan)
जस्टिस उज्जवल भूइयां का जन्म 2 अगस्त 1964 को गुवाहाटी में हुआ था। जस्टिस भूइयां ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लिखाई डॉन बॉस्को हाईस्कूल से की। उसके बाद गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज चले गए। फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद गुवाहाटी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की।
जस्टिस भूइयां ने 30 मार्च 1991 को बतौर एडवोकेट एनरोलमेंट कराया और प्रैक्टिस शुरू की। लंबे वक्त तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपने पिता सुचेंद्रनाथ भूइयां (Suchendra Nath Bhuyan) के साथ वकालत करते रहे थे। जस्टिस भूइयां के पिता भी सीनियर एडवोकेट रहे हैं। जस्टिस भूइयां, जज बनने से पहले 16 साल तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के स्टैंडिंग काउंसिल रहे। साल 1995 में बतौर जूनियर स्टैंडिंग काउंसिल शुरुआत की थी और बाद में प्रमोट हो गए थे।
2011 में जज बने थे जस्टिस भूइयां
जस्टिस भूइयां 17 अक्टूबर 2011 को गुवाहाटी हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त हुए और 20 मार्च 2013 को उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया था। इसके बाद अक्टूबर 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्त हुए और करीब 2 साल सेवा देने के बाद तेलंगाना हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। यहीं 28 जून 2022 को चीफ जस्टिस बने थे।
एक इंटरव्यू में जस्टिस भूइयां कहते हैं कि मैंने वकालत की शुरुआत अपने पिता के साथ की थी। बाद में जब मुझे जज का ऑफर मिला तो मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। मैं सोच रहा था कि क्या बतौर जज मैं अपनी भूमिका ढंग से निभा पाऊंगा? इसी दौरान दो ऐसे वाकये हुए जो आज तक नहीं भूल पाया हूं। एक उस शाम का है जिस दिन में पहली बार बतौर जज शपथ ले रहा था और एक जज बनने के कुछ हफ्ते बाद का।
जस्टिस भूइयां आजतक नहीं भूल पाए हैं दो वाकये
जस्टिस भूइयां बताते हैं कि जिस दिन मुझे पहली बार शपथ लेनी थी, उसी शाम मुझे जस्टिस बीपी शराफ का खत मिला। वह मेरे पिता के अजीज दोस्त थे और जम्मू हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे थे। उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा था ‘कोर्ट में लोग थक-हारकर न्याय की गुहार लेकर आते हैं, इसलिए कभी भी उनके प्रति नकारात्मक नहीं होना…’।
दूसरा जब मैं जज बना तो कुछ हफ्तों बाद ही सिंगल बेंच के रोस्टर में लग गया। चूंकि मैं नया जज था तो एक दिन पहले ही सारी फाइलें पढ़कर जरूरी नोटिंग तैयार कर लेता था। एक केस ऐसा आया जिसे मैंने खारिज करने का मूड बना लिया था। अगले दिन कोर्ट पहुंचा तो मेरे दोस्त निशितेंदु चौधरी (Nishitendu Choudhury) याचिकाकर्ता की तरफ से बहस कर रहे थे। उन्होंने जो दलीलें दीं, उसके बाद न सिर्फ मैंने नोटिस जारी किया बल्कि अंतरिम राहत भी दे दी। बाद में मैंने सोचा कि हमेशा आंखें खुली रखनी चाहिए।
गीत-संगीत और एक्टिंग में रुचि
जस्टिस भूइयां की संगीत और एक्टिंग में दिलचस्पी है। लेकिन दो चीजों का मलाल है। पहला गिटार न बजा पाना और स्विमिंग न कर पाना। कहते हैं कि मेरी दिली तमन्ना है कि गिटार बजाना सीखूं। लेकिन यह ख्वाहिश अधूरी है। जस्टिस भूइयां के कई फैसले काफी मशहूर रहे हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट में रहते हुए उन्होंने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि प्रत्येक महिला को बच्चा रखने का अधिकार है, भले ही वह प्राकृतिक तौर पर पैदा हुआ हो या सरोगेसी के जरिए।
कौन हैं जस्टिस एसवी भट्टी? (Who is Justice SV Bhatti)
6 मई 1962 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर में जन्मे जस्टिस एसवी भट्टी का पूरा नाम सरसा वेंकटनारायण भट्टी (Sarasa Venkatanarayana Bhatti) है। उन्होंने बेंगलुरु के जगद्गुरू रेणुकाचार्य कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की है और जनवरी 1987 में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की थी। वकालत के दिनों में हिंदुस्तान शिपयार्ड से लेकर आंध्र प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, इंडियन मैरिटाइम यूनिवर्सिटी, बीएचईएल जैसे संस्थानों के स्टैंडिंग काउंसिल रहे।
जस्टिस भट्टी 12 अप्रैल 2013 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त हुए। इसके बाद उनका तबादला केरल हाईकोर्ट हो गया। जस्टिस भट्टी 14 अप्रैल 2023 को केरल हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस नियुक्त हुए और बाद में 1 जून को चीफ जस्टिस बन गए थे।
जस्टिस भट्टी ने दिया था नमाज पर मशहूर फैसला
केरल हाई कोर्ट में जज रहते हुए जस्टिस भट्टी ने कई मशहूर फैसले दिए थे। जिसमें पिछले साल दिया गया एक फैसला खासा चर्चित हुआ था। जस्टिस भट्टी और जस्टिस बसंत बालाजी की डिवीजन बेंच ने कहा था कि कोई भी मुसलमान किसी भी मस्जिद में नमाज अदा कर सकता है और किसी भी सार्वजनिक कब्रिस्तान में शवों को दफना सकता है। इस अधिकार को सिर्फ इसलिए नहीं छीना जा सकता है कि वह मुस्लिम समुदाय के किसी और संप्रदाय से ताल्लुक रखता है।