सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 5 साल पहले 12 जनवरी 2018 को कुछ ऐसा हुआ, जो पहले कभी नहीं हुआ था। चार वरिष्ठतम जजों ने CJI के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और प्रेस कांफ्रेंस कर मनमानी का आरोप लगाया था। जस्टिस जे. चेलमेश्वर (Justice J Chelameswar) के घर पर हुई इस प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी शामिल हुए थे। सभी अब रिटायर हो चुके हैं।

अपने घर PC के लिए राजी नहीं थे जस्टिस चेलमेश्वर

हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (साउथ) में जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने उस प्रेस कांफ्रेंस पर विस्तार से अपनी बात रखी। जस्टिस चेलमेश्वर कहते हैं कि 5 साल पहले की वो प्रेस कांफ्रेंस मेरे घर पर ही हुई थी, इसीलिये कई बार एक अलग तस्वीर पेश की जाती है। हालांकि मैं खुद नहीं चाहता था कि प्रेस कांफ्रेंस मेरे घर पर हो। मैंने सुझाव दिया था प्रेस कांफ्रेंस किसी और जगह होनी चाहिए, मैं उस जगह का नाम नहीं लेना चाहता हूं। लेकिन साथी जजों ने कहा कि नहीं…नहीं ब्रदर, आपके घर पर होने में कोई बुराई नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं प्रेस कांफ्रेंस में शामिल अन्य जजों को जबरन वहां लाया था। सब अपनी स्वेच्छा से आए थे।

जस्टिस चेलमेश्वर 12 साल से नहीं देखते टीवी

जब जस्टिस चेलमेश्वर से जब पूछा गया कि क्या अब सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है? तो वह कहते हैं कि मुझे कुछ खास पता नहीं है। लोग जानकर चौंक जाएंगे, लेकिन मेरे घर पर कोई टीवी नहीं है। पिछले 12 सालों से टीवी नहीं देखता हूं। इसके अलावा पिछले 4 साल से अखबार भी नहीं खरीदता हूं। हां, मोबाइल पर नोटिफिकेशन जरूर देख लेता हूं।

साल 2018 में जस्टिस चेलमेश्वर के घर के लॉन में ही प्रेस कांफ्रेंस हुई थी। फोटो- इंडियन एक्सप्रेस

गांव में खेती करने लगे हैं जस्टिस चेलमेश्वर

आपको बता दें कि जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून 2018 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए थे। रिटायरमेंट के बाद अब वे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के विदाई कार्यक्रम तक में शामिल नहीं हुए थे। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले स्थित अपने पैतृक गांव चले गए। अब वहीं रहते हैं और खेती-किसानी में समय देते हैं। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस चेलमेश्वर अपना ज्यादा वक्त गांव में खेती में ही बिताते हैं। वह कहते हैं कि मेरे लिए भोजन कोई समस्या नहीं है, जितनी जरूरत है उतना खेती से उगा लेता हूं। अगर मेरी पेंशन रुक भी गई तो कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।

जस्टिस चेलमेश्वर कहते हैं कि रिटायरमेंट के बाद यूनिवर्सिटी और कॉलेज में छात्रों से बातचीत का मौका मिलता रहता है। खासकर कानून के छात्रों से खुलकर अपने दिल की बात कहते हैं। छात्रों से संवाद उन्हें बहुत पसंद है।

कॉलेजियम पर उठाया था सवाल

जस्टिस चेलमेश्वर हाल ही में कॉलेजियम सिस्टम पर तीखे सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि कॉलेजियम के पास तमाम मामले आते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई ही नहीं होती है। सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कुछ जज तो इतने आलसी हैं कि फैसले लिखने में सालों साल लगा देते हैं। इसके अलावा कई जज ऐसे भी हैं जिन्हें ढंग से फैसला लिखने तक नहीं आता है। (पढ़ें पूरी रिपोर्ट यहां…)