दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) को ट्यूटर्स (पढ़ाने वाले) की तलाश है। नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) पास किए लोग आवेदन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय एक ट्यूटर को 90 मिनट की क्लास लेने की एवज में मात्र 500 रुपया देगा। वह भी ‘पैसे की उपलब्‍धता रहने पर’।

ध्यान रहे कि जेएनयू भारत के टॉप केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। भारत सरकार की संस्था ‘नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (NIRF) द्वारा जारी विश्वविद्यालयों की सूची में JNU दूसरे स्थान पर है। JNU पिछले कई वर्षों से टॉप यूनिवर्सिटी की सूची में बना हुआ है।

JNU के किस विभाग को चाहिए ऐसे ट्यूटर्स?

JNU के स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज के अंतर्गत आने वाले सेंटर ऑफ अरेबिक एंड अफ्रीकन स्टडीज ने 18 सितंबर को नोटिस जारी कर बताया था कि उन्हें ‘रेमेडियल ट्यूटर्स’ की तलाश है। इसी नोटिस में शिक्षण कार्यों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली राशि की जानकारी भी दी गई है। नोटिस में लिखा है, “धन की उपलब्धता के आधार पर 90 मिनट की प्रत्येक क्लास के लिए 500 रुपये का मानदेय दिया जाएगा।”

जेएनयू में शोध छात्र आम तौर पर इस तरह के कार्य (ट्यूटर का काम) करते हैं, लेकिन जो मानदेय राशि रखी गई है, वह शिक्षण कार्य करने के इच्छुक युवाओं को हतोत्साहित करने वाला है। साथ में ‘धन उपलब्धता’ की शर्त भुगतान में होने वाली देरी की आशंका ओर इशारा कर रहा है। सेंटर ऑफ अरेबिक एंड अफ्रीकन स्टडीज अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट स्तर का कोर्स करवाता है। सेंटर के चेयरपर्सन मुजीबुर रहमान हैं।

UGC की गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहा है विश्वविद्यालय

सेंटर ऑफ अरेबिक एंड अफ्रीकन स्टडीज की नोटिस में जो पारिश्रमिक देने की बात कही गई है, वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा गेस्ट फैकल्टी के लिए तय मानदेय से बहुत कम है। साल 2019 में यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी किया था। गाइडलाइन के मुताबिक, गेस्ट फैकल्टी का मानदेय प्रति लेक्चर 1500 रुपये और अधिकतम 50,000 रुपये प्रति माह होना चाहिए। एक लेक्चर में शिक्षक को कम से कम एक घंटे विषय को पढ़ाना होता है।

DU ने एक दशक से पढ़ा रहे शिक्षकों को निकाला

उधर, दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में हाल में की गई श‍िक्षकों की भर्ती भी सवालों के घेरे में आ गई है। भर्ती में छह एडहॉक फैकल्टी को परमानेंट करने लायक नहीं पाया गया। इन छह में से पांच कॉलेज में 10 साल से ज्यादा समय से पढ़ा रहे थे। विश्वविद्यालय ने 11 नए शिक्षकों की भर्ती की है।

बता दें कि हाल में सत्यवती कॉलेज ने अपने हिंदी विभाग में 16 पदों का विज्ञापन दिया था। विभाग में पहले से 11 एडहॉक फैकल्टी कार्यरत थे। 1 से 16 सितंबर के बीच साक्षात्कार के बाद छह एडहॉक शिक्षकों की उम्मीदवारी खारिज कर दी गई। वहीं पांच को नियमित शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। शेष 11 पदों पर नए उम्मीदवारों की भर्ती की गई। एडहॉक श‍िक्षकों में से सबसे पुराने 23 साल से पढ़ा रहे थे, जबक‍ि सबसे नए को भी नौ साल हो गए थे।

अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ ने अपनी एक रिपोर्ट में वरिष्ठ शिक्षाविदों के हवाले से लिखा है कि नए न‍ियुक्‍त क‍िए गए श‍िक्षक योग्‍यता के मामले में एडहॉक श‍िक्षकों से कमतर हैं। अखबार ने भर्ती प्रक्र‍िया में शाम‍िल कुछ श‍िक्षकों के हवाले से बताया है क‍ि उनका साक्षात्‍कार 5-6 म‍िनट में ही खत्‍म हो गया था।

भारत छोड़कर जा रहे हैं स्टूडेंट्स

संसद में पेश आंकड़ों से पता चलता है कि हर साल लाखों स्टूडेंट्स भारत छोड़कर जा रहे हैं। साल 2022 में साढ़े सात लाख से ज्यादा (750365) स्टूडेंट्स भारत छोड़कर विदेश पढ़ने गए। 2021 में यह आंकड़ा 444553 था। यानी एक साल में ही विदेश जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या 68 प्रतिशत बढ़ गई।

साल 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट (इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2022) में बताया गया था कि विकसित देशों में पढ़ने गए भारतीय छात्रों में से ज्यादातर अपने देश लौटने के बजाय वहीं के वर्कफोर्स में शामिल होने की संभावना देख रहे थे।

शिक्षा पर कितना खर्च करता है भारत?

भारत, रिसर्च और डेवलपमेंट पर अपनी जीडीपी का मात्र 0.7 प्रतिशत खर्च करता है। जबकि वैश्विक औसत है 1.8 प्रतिशत। शिक्षा बजट की बात करें तो मोदी सरकार बनने के एक साल बाद ही शिक्षा बजट में कटौती हो गई थी। 2014-15 में शिक्षा बजट 70,505 करोड़ रुपये रखा गया था। जिसे 2015-16 में घटाकर 69,074.76 करोड़ कर दिया गया था। हालांक‍ि, 2023-24 के ल‍िए भारत का शिक्षा बजट 1.12 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में 1.04 लाख करोड़ था।