एस. जयशंकर (Dr. S. Jaishankar) के नाम से चर्चित भारत के विदेश मंत्री (Minister of External Affairs of India) सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कभी चुनाव नहीं लड़ है। एस. जयशंकर ने 30 मई, 2019 को विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली थी। एक ब्यूरोक्रेट के रूप में एस. जयशंकर का लंबा करियर रहा है। वह सर्विस के दौरान जापान, चीन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे कई देशों में भारत के लिए काम कर चुके हैं। एस. जयशंकर हिंदी के अलावा अंग्रेजी, तमिल, रूसी, जापानी और हंगेरियन जैसी 6 भाषाओं पर अधिकार रखते हैं।
एस. जयशंकर के पिता भी थे नौकरशाह
एस. जयशंकर बहुत ही हाई प्रोफाइल परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका परिवार मूल रूप से तमिलनाडू का है। हालांकि एस. जयशंकर का जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ था। एस. जयशंकर के पिता के सुब्रह्मण्यम भी नौकरशाह थे। एस. जयशंकर ने स्कूली शिक्षा एयरफोर्स स्कूल से हासिल की है। उन्होंने ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से की थी।
IIT छोड़ JNU में लिया एडमिशन
ग्रेजुएशन के बाद एस. जयशंकर ने आईआईटी दिल्ली में एडमिशन लिया था। उन्हीं दिनों उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का एक स्टूडेंट स्ट्राइक देखा, जिससे वह बहुत प्रभावित हुए। साल 2013 में जेएनयू एक जर्नल को दिए इंटरव्यू में एस. जयशंकर ने बताया था कि वह संयोग से जेएनयू पहुंचे थे। वह कहते हैं, “मैं संयोग से जेएनयू पहुंचा था। मजे की बात यह है कि उस दिन कैंपस में एडमिशन की शर्तों को लेकर स्टूडेंट हड़ताल कर रहे थे। इसी ने मेरा ध्यान खींचा। मुझपर जेएनयू की पहली छाप एक सक्रिय रूप से राजनीतिक विश्वविद्यालय की थी।”
जयशंकर जेएनयू से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने आईआईटी दिल्ली छोड़ दी और जेएनयू में एडमिशन ले लिया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उनका दाखिला साल 1973 में एम.ए के लिए राजनीतिक विज्ञान विषय में हुआ था।
याद आता है हॉस्टल का खाना
जेएनयू जर्नल को दिए इंटरव्यू में एस. जयशंकर ने बताया था कि उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हॉस्टल का खाना बहुत याद आता है। वह कहते हैं, “मेरे पास जेएनयू की बहुत सी यादे हैं। मैं इस जगह से ज्यादा यहां के लोगों को याद करता हूं। अपने साथ पढ़े छात्रों और पढ़ाने वाले शिक्षक मुझे याद आते हैं। यहां तक की आज मेरे कई करीबी दोस्त वो हैं, जो जेएनयू में साथ पढ़े थें। मेरी पहली पत्नी भी जेएनयू से ही थीं। हम कैंपस में दोस्त थे।”
जापानी मूल की हैं दूसरी पत्नी
एस. जयशंकर की दूसरी पत्नी क्योको सोमेकावा (Kyoko Somekawa) जापानी मूल की हैं। पहली पत्नी शोफा की कैंसर से मौत के बाद एस. जयशंकर ने क्योको से शादी की थी। क्योको और जयशंकर दोनों का जन्मदिन एक ही दिन 9 जनवरी को आता है। (पूरी खबर पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)
8 देशों में किया है काम
एस. जयशंकर ने 1977 में इंडियन फॉरेन सर्विस ज्वाइन किया था। उनकी पहली पोस्टिंग 1979 से 1981 तक मॉस्को स्थित भारत के दूतावास में तीसरे और दूसरे सचिव (राजनीतिक) के रूप में थी। 1981 से 1985 तक उन्होंने अवर सचिव (अमेरिका) और विदेश मंत्रालय में नीति नियोजन के रूप में कार्य किया।
इसके बाद उन्होंने 1985 से 1988 तक वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में राजनीतिक मामलों को संभालने वाले प्रथम सचिव के रूप में तीन साल बिताया। वहां से निकलने के बाद दो साल तक श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) के प्रथम सचिव और राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम किया। 1990 में डॉ. जयशंकर बुडापेस्ट में कमर्शियल काउंसलर बने। तीन साल वहां रहने के बाद वह भारत लौटे।
भारत में पहले उन्होंने विदेश मंत्रालय के पूर्वी यूरोप प्रभाग के निदेशक के रूप में और फिर राष्ट्रपति के प्रेस सचिव के रूप में कार्य किया। 1996 में एस. जयशंकर को डिप्टी चीफ ऑफ मिशन बनाकर जापान की राजधानी टोक्यो भेजा गया, जहां वह साल 2000 तक रहे। साल 2000 में जयशंकर को भारत का राजदूत बनाकर चेक रिपब्लिक का भेजा। साल 2004 तक वह राजधानी प्राग में सेवा देते रहे।
भारत लौटने पर उन्हें विदेश मंत्रालय में अमेरिका डिवीजन का नेतृत्व सौंप दिया गया। तीन साल तक विभाग का नेतृत्व करने के बाद साल 2007 में उन्हें फिर भारत छोड़ना पड़ा। वह अगले दो साल तक सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के रूप में सेवा देते रहे। इसके बाद डॉ. जयशंकर साल 2009 से साल 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे। 2015 में एस. जयशंकर को रिटायर होने था लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें पहले दो साल और फिर एक साल का सेवा विस्तार दिया था। इस तरह जयशंकर 28 जनवरी 2018 को रिटायर हुए थे।