झारखंड के हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 20 मई को मतदान होना है। बीजेपी ने यहां से अपने दो बार के मौजूदा सांसद जयंत सिन्हा को हटा दिया है। हाल ही में कांग्रेस ने घोषणा की कि जयंत के बेटे आरिश उनकी पार्टी में शामिल हो गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या आरिश के कांग्रेस में शामिल होने की खबर बीजेपी को भारी पड़ेगी?

यह 1998 के बाद पहला चुनाव है जब वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री रहे और हाल ही में विपक्ष के संयुक्त राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, यशवंत सिन्हा के परिवार का कोई भी सदस्य हज़ारीबाग से चुनाव नहीं लड़ रहा है। मंगलवार को कहानी में एक नया मोड़ तब आया जब कांग्रेस ने घोषणा की कि जयंत के बेटे और यशवंत सिन्हा के 22 वर्षीय पोते आरिश, पार्टी में शामिल हो गए हैं। हालांकि, यशवन्त सिन्हा ने इसे बिल्कुल निराधार कहकर ख़ारिज कर दिया।

यशवंत सिन्हा ने आरिश के कांग्रेस ज्वाइन करने की खबर का किया खंडन

यशवंत ने कहा, ”अभी उनकी उम्र नहीं है कि वह चुनाव भी लड़ सकें। जहां तक ​​कांग्रेस में शामिल होने की बात है तो आरिश ने ऐसा कुछ नहीं किया है।” यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कुछ दिनों पहले ही जयंत को हजारीबाग से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया गया था। 1998 के बाद यह पहली बार है कि यशवंत सिन्हा के परिवार का कोई सदस्य हज़ारीबाग़ से चुनाव नहीं लड़ रहा है। कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा, ”यही कारण है कि परिवार का एक सदस्य यशवंत सिन्हा के पारंपरिक वोट बैंक को खींचने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गया है।”

कौन-कौन है हजारीबाग के चुनावी मैदान में?

भाजपा ने जहां करवाल ओबीसी नेता मनीष जयसवाल को मैदान में उतारा है, जो हज़ारीबाग विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस ने जय प्रकाश भाई पटेल को टिकट दिया है। हजारीबाग लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां ध्रुवीकरण बहुत ज्यादा है। हालांकि, यह एक ऐसा कारण भी है जिसके बारे में माना जाता है कि इसने भाजपा को पिछली दो बार यहां बड़े अंतर से जीतने में मदद की है।

भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के अलावा, हज़ारीबाग़ सीट से 17 और उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें सीपीआई, बीएसपी और झारखंड पार्टी के उम्मीदवारों के साथ-साथ सात निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं। झारखंड में सीपीआई इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं है।

जय प्रकाश पटेल झामुमो के सह-संस्थापक टेक लाल महतो के बेटे हैं

कुर्मी उप-समुदाय के नेता जय प्रकाश पटेल झामुमो के सह-संस्थापक टेक लाल महतो के पुत्र हैं। पहले वह झामुमो में थे लेकिन बाद में पटेल भाजपा में चले गए और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने कांग्रेस में जाने के लिए हज़ारीबाग सीट के मांडू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया था।

2019 में, जयंत ने 67.4% वोटों के साथ हज़ारीबाग से जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस को 23.06% वोट मिले। किसी को भी उम्मीद नहीं है कि मनीष जायसवाल उस प्रदर्शन की बराबरी कर पाएंगे। कांग्रेस एक बार फिर से झामुमो और राजद के साथ गठबंधन में लड़ रही है जबकि भाजपा के पास ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू) का सहयोग है।

हज़ारीबाग में कड़ा मुकाबला

आरएसएस के करीबी एक भाजपा नेता ने कहा कि हज़ारीबाग में मुकाबला कड़ा है। बीजेपी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “पटेल कुड़मी महतो हैं जो एक ओबीसी समुदाय हैं, जिनके पास हज़ारीबाग सीट पर लगभग 2.25 लाख वोट हैं। इनका दबदबा रामगढ़ और मांडू विधानसभा क्षेत्र में है। हालांकि, दो बार हज़ारीबाग विधानसभा सीट जीतने के बाद मनीष जायसवाल का अपना एक निश्चित वोट बैंक है।”

झारखंड भाजपा में वरिष्ठ पद पर बैठे एक नेता ने कहा कि कुड़मी महतो की तुलना में, निर्वाचन क्षेत्र में कायस्थ (जिस समुदाय से सिन्हा आते हैं) की संख्या लगभग 75,000 है। नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “यह धारणा मतदाताओं के बीच मजबूत हो सकती है कि अशीर राजनीति में उतर रहे हैं और कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। इस सीट पर जो भी जीतेगा, मार्जिन ज्यादा नहीं होगा।”

मनीष जायसवाल की हिंदुओं से अपील

चूंकि, जातीय समीकरण उनके पक्ष में नहीं है इसलिए मनीष जायसवाल धार्मिक भावनाओं के आधार पर अपील कर रहे हैं। हाल ही में अपने एक भाषण में हिंदुओं को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस लड़ाई में कृपया अपनी भूमिका को सिर्फ एक मतदाता के रूप में न देखें, बल्कि एक प्रेरक के रूप में भी देखें। आपको निकल कर एक-एक व्यक्ति को समझाना चाहिए कि भारत देश के 80% लोग एक विचारधारा के हैं और उन 80% का मतदान भी एक दल को होना चाहिए, एक गठबंधन को जाना चाहिए।”

जयप्रकाश पटेल लोगों से कहते फिर रहे हैं कि वे भाजपा की गंदी राजनीति के झांसे में न आएं और कांग्रेस को वोट दें। 2018 में पिछले आम चुनाव से पहले जयंत ने लिंचिंग मामले में जमानत पर रिहा आरोपियों का माला पहनाकर स्वागत करके विवाद खड़ा कर दिया था।

हजारीबाग लोकसभा सीट

कांग्रेस ने आखिरी बार 1984 में हज़ारीबाग़ सीट जीती थी, उसके बाद 1991 और 2004 में सीपीआई के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने दो बार जीत हासिल की। हजारीबाग लोकसभा में 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में हजारीबाग सीट पर यशवंत सिन्हा और उनके बेटे जयंत सिन्हा ने जीत हासिल की है।

हजारीबाग लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पिछले आम चुनाव में बीजेपी के जयंत सिन्हा ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के गोपाल प्रसाद साहू को हराया था। जयंत को 7.28 लाख और गोपाल को 2.49 लाख वोट मिले थे।

पार्टी प्रत्याशी वोट प्रतिशत
बीजेपी जयंत सिन्हा67.42
कांग्रेस गोपाल प्रसाद साहू23.06
सीपीआई भुवनेश्वर प्रसाद मेहता 2.97

हजारीबाग लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के जयंत सिन्हा ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह को हराया था। जयंत को 4.06 लाख और सौरभ को 2.47 लाख वोट मिले थे।

पार्टीप्रत्याशीवोट प्रतिशत
बीजेपीजयंत सिन्हा42.08
कांग्रेससौरभ नारायण सिंह25.62