लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब शेयर की जा रही एक पोस्ट मिली। इस पोस्ट को सबसे पहले एक्स यूजर सुदर्शन न्यूज ने पब्लिश किया था।

वीडियो में साधुओं के वेश में मौजूद तीन लोगों से पूछताछ की जा रही थी। पोस्ट के साथ दावा किया गया था कि मेरठ पुलिस ने इन लोगों को हिरासत में लिया था और जब उनसे पूछा गया तो उनके नाम उनके कार्ड से मेल नहीं खा रहे थे। हिंदू साधुओं के वेश में ये लोग मूल रूप से मुस्लिम थे और उन पर बच्चों के अपहरण का आरोप था।

जांच के दौरान हमने पाया कि वायरल दावा झूठा है। मेरठ पुलिस ने भी इस बारे में स्पष्टीकरण दिया था।

क्या है दावा?

X युजर Sudarshan News ने वायरल विडिओ झूठे दावे के साथ साझा किया.

इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहाँ देखें।

https://archive.ph/6Yb4Z

अन्य उपयोगकर्ता भी इसी वीडियो को समान दावों के साथ शेयर कर रहे हैं।

जांच पड़ताल:

हमने अपनी जांच की शुरुआत सुदर्शन न्यूज़ द्वारा की गई पोस्ट के कमेंट सेक्शन की जांच करके की।

हमें उसी पोस्ट पर मेरठ पुलिस के आधिकारिक अकाउंट से एक जवाब मिला।

इसके बाद हमें मेरठ पुलिस की प्रोफाइल पर एक वीडियो मिला, जिसमें उन्होंने पूरी घटना के बारे में बताया।

हमें एक रिपोर्ट भी मिली जिसमें बताया गया था कि इन तीन साधुओं को मुस्लिम और अपहरणकर्ता होने के संदेह में लोगों ने पीटा भी था।

दैनिक भास्कर की एक खबर में बताया गया कि ये तीनों साधु नाथ संप्रदाय के हैं, उन्हें हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ दिया गया।

हमें अमर उजाला और नवभारत टाइम्स में भी इस बारे में रिपोर्ट मिली।

निष्कर्ष: नाथ संप्रदाय के हिंदू साधुओं को हिरासत में लेने और उनकी पहचान की पुष्टि के बाद मेरठ पुलिस द्वारा रिहा करने का वीडियो झूठे दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहे साधु मुस्लिम नहीं हैं। वायरल दावा झूठा है।