जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। केंद्र शासित प्रदेश में तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को चुनाव होंगे। वहीं, चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर 2024 को आएंगे। इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि जम्मू-कश्मीर में नव वर्गीकृत अनुसूचित जनजाति समूहों को एसटी-आरक्षित सीटों से नामांकित किया जा सकता है या नहीं।

चुनाव आयोग ने हालांकि, अभी तक इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कुछ स्पष्ट नहीं किया है लेकिन मंगलवार को जारी भाजपा की दूसरी सूची में आरक्षित सीटों से तीन पहाड़ी नेताओं के नाम हैं।

चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कोई भी उम्मीदवार जो जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए नामांकन की जांच के समय वैध एसटी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है, वह पहाड़ी समुदाय सहित एसटी-आरक्षित सीटों से खड़ा हो सकता है। पहाड़ी समुदाय को इस साल की शुरुआत में ही एसटी सूची में जोड़ा गया था।

किसके लिए हैं एसटी-आरक्षित सीटें?

A11 J&K गुज्जर-बकरवाल कोऑर्डिनेशन कमेटी ने हाल ही में चुनाव आयोग से संपर्क कर यह निर्दिष्ट करने के लिए कहा कि जम्मू-कश्मीर में नौ एसटी-आरक्षित सीटें केवल गुज्जर और बकरवाल समुदायों के लिए थीं। समिति का तर्क था कि 2011 की जनगणना के आधार पर 2022 में परिसीमन आयोग द्वारा नौ सीटों की पहचान की गई थी और 2024 में एसटी सूची में जोड़े गए समूहों को ध्यान में नहीं रखा गया था।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहते हुए समिति ने कहा, “आरक्षण प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि एसटी वर्ग के सबसे पिछड़े समुदायों को मूल परिसीमन के अनुसार सुरक्षा और प्रतिनिधित्व प्राप्त हो यह स्पष्टीकरण आवश्यक है।”

2024 में किया गया जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में संशोधन

गुज्जर-बकरवाल समिति के संयोजक अनवर चौधरी ने जम्मू में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “गुर्जरों और बकरवालों को इन नौ सीटों पर चुनाव लड़ने का अधिकार है न कि सामान्य वर्ग या 2024 में जोड़े गए किसी अन्य वर्ग से किसी को भी।” हालांकि, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि चूंकि इस साल की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में संशोधन किया गया था इसलिए आरक्षित सीटें अब अनुसूची में किसी भी एसटी समुदाय के लिए खुली हैं।

जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में सीटों पर आरक्षण

1990 के दशक से जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में सीटों पर आरक्षण है जिसका लाभ गुज्जरों और बकरवालों को मिलता है पर यह पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में एसटी के लिए सीटें आरक्षित होंगी। अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 को निरस्त करने और 2022 में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में नौ सीटों की पहचान की गई और उन्हें एसटी के लिए अलग रखा गया। इनमें से छह जम्मू प्रांत में और तीन कश्मीर में आते हैं।

संशोधन के बाद अब ये जातियां भी ST लिस्ट में शामिल

फरवरी में संसद ने जम्मू-कश्मीर एसटी सूची में पहाड़ी, पदारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मणों को शामिल करने के लिए एक संशोधन पारित किया। इन समूहों को नौकरियों और संस्थानों में मौजूदा एसटी समुदायों को दिए गए 10% कोटा के अलावा 10% आरक्षण मिलना है। हालांकि, एसटी के लिए राजनीतिक आरक्षण पर कोई स्पष्टता नहीं थी। इस कदम से गुज्जर और बकरवाल समूहों के बीच विरोध शुरू हो गया था, जिन्हें डर था कि उनके लिए पहले राजनीतिक आरक्षण से उन्हें जो लाभ मिलने की उम्मीद थी वह कम हो जाएगा।

जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर को पहले चरण के मतदान में केवल एक एसटी-आरक्षित सीट कोकेरनाग है। इस निर्वाचन क्षेत्र से अब तक ग्यारह उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें भाजपा ने रोशन हुसैन खान गुज्जर को मैदान में उतारा है।

बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट

दूसरे और तीसरे चरण के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में राजौरी और पुंछ जिलों के पांच एसटी-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में से चार शामिल हैं। पार्टी ने यहां से एक गुज्जर और तीन पहाड़ी नेताओं को मैदान में उतारा है। इनमें बुद्धल से प्रमुख गुर्जर नेता चौधरी जुल्फिकार अली भी शामिल हैं। मेंढर, सुरनकोट और थानामंडी निर्वाचन क्षेत्रों से भाजपा ने क्रमशः पहाड़ी नेताओं मुर्तजा खान, सैयद मुश्ताक अहमद बुखारी और मोहम्मद इकबाल मलिक को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने सामान्य श्रेणी की पुंछ-हवेली सीट के लिए एक और गुर्जर नेता चौधरी अब्दुल गनी को उम्मीदवार बनाया है।

बफलियाज़ ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष शफीक मीर ने कहा कि पहाड़ी लोगों के लिए एसटी आरक्षण खोलने का मतलब है कि तकनीकी रूप से पुंछ और राजौरी सीमावर्ती जिलों में आने वाली पांच एसटी सीटों के लिए कोई कोटा नहीं है क्योंकि अब एसटी सूची में सभी स्थानीय निवासियों को शामिल किया गया है।