प्रत्यूष राज | इंडियन प्रीमियर लीग 2023 (IPL 2023) के लिए 23 दिसंबर को कोच्चि में खिलाड़ियों की नीलामी (IPL Auction) हो रही थी। वहां से करीब 3200 किलोमीटर दूर जम्मू-कश्मीर के एक घर में अविनाश सिंह का परिवार टकटकी लगाए टीवी पर नीलामी को देख रहा था। थोड़ा वक्त बीता तो अविनाश के पिता अशोक सिंह अधीर हो उठे और बेटे की तरफ देखते हुए बोले, ‘चल क्रिकेट का बुखार उतार और कनाडा निकल जा…’। लेकिन थोड़ी ही देर बाद परिवार खुशी से चहक उठा।
आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने जम्मू कश्मीर के रहने वाले गुमनाम खिलाड़ी अविनाश सिंह के लिए 60 लाख की बोली लगाई है। उनकी कहानी दिलचस्प है। अविनाश के पिता अशोक सिंह पेशे से ऑटो ड्राइवर हैं और परिवार की माली हालत कुछ खास अच्छी नहीं है।
आर्मी ज्वाइन करना चाहते थे अविनाश
अविनाश सिंह (Avinash Singh) की क्रिकेट में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी बल्कि वह आर्मी में जाना चाहते थे। पिछले साल इसी महीने में जब अविनाश आर्मी के फिजिकल टेस्ट में फेल हो गए तो कनाडा (Avinash Singh Canada Story) जाने का मन बना लिया था। उनके परिवार ने अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिया और वीजा और पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
दोस्तों के साथ पहुंचे थे एकेडमी
इसी साल फरवरी में अविनाश को एक दिन अपने दोस्तों के साथ पूर्व क्रिकेटर मयंक गोस्वामी (Mayank Goswami) की एकेडमी में जाने का मौका मिला। यूं तो अविनाश टेनिस बॉल से लंबे वक्त से खेल रहे थे, लेकिन लेदर बॉल पर उनकी पहली बार निगाह पड़ी थी और पहली बार लेदर बॉल से गेंदबाजी का मौका मिला था। बकौल अविनाश मेरी दिली ख्वाहिश थी कि आर्मी जॉइन करूं, क्रिकेट सिर्फ हॉबी (Avinash Singh Hobbies) थी और कभी मन में ख्याल नहीं आया था कि प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने का मौका मिलेगा।
अविनाश की गेंदबाजी देख फटी रह गई थीं आंखें
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मयंक गोस्वामी कहते हैं कि ‘मेरी तो आंखें फटी रह गई थी… मैंने कुछ और कोच से अविनाश की गेंदबाजी के बारे में पूछा। सब दंग रह गए थे’। वह बताते हैं कि इसके बाद मैंने अविनाश से कहा कि तुम मेरी एकेडमी को ज्वाइन कर सकते हो, लेकिन वह वापस नहीं लौटा।
करीब एक हफ्ता बीतने के बाद गोस्वामी ने अपनी एकेडमी के एक कोच को अविनाश के घर भेजा। तब अविनाश ने अपनी आर्थिक दिक्कतों के बारे में बताया। गोस्वामी कहते हैं कि मैंने अविनाश के पिता से रिक्वेस्ट की कि उसे 1 साल की मोहलत दे दें, अगर कुछ नहीं कर पाया तो कनाडा भेज दें।
जूते खरीदने के भी पैसे नहीं, पिता इकलौते कमाने वाले
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अविनाश (Avinash Singh Profile) कहते हैं कि मैं कनाडा जाने की तैयारी कर रहा था। मेरे पिता भी क्रिकेट के खिलाफ थे। मेरे पास स्पाइक्स वाले जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे। हमारी माली हालत कुछ खास अच्छी नहीं है। मेरे दो भाई पढ़ रहे हैं। मैं कुछ नहीं कर रहा था, मेरे पिता इकलौते कमाने वाले शख्स हैं। उन्होंने मुझसे पूछा कि तू क्रिकेट किट कहां से खरीदेगा, इतना महंगा आता है। इसीलिए मैंने मयंक सर से बहाना बनाना शुरू कर दिया था।
जम्मू से पुणे भेजा ट्रेनिंग के लिए
मयंक गोस्वामी बताते हैं कि अपनी एकेडमी में कुछ सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद मैंने अविनाश को पुणे में अशोक गायकवाड के पास भेजने का फैसला किया, जो मशहूर कोच हैं। जब वह पुणे से वापस लौटा तो पूरी तरह बदल चुका था, मार्च से लेकर जून तक हमने उसक़ी रफ्तार पर काम किया।
10 महीने में डेढ़ सौ से ऊपर की रफ्तार
महज 10 महीने पहले लेदर की गेंद से गेंदबाजी शुरू करने वाले अविनाश सिंह इसी सितंबर में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (Royal Challengers Bangalore) के ट्रायल में शामिल हो चुके हैं। वहां 154.3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सबको चौंका चुके हैं। अविनाश को केकेआर डीसी ने भी ट्रायल में शामिल होने के लिए न्योता दिया था।