रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया-आठवले (RPI-A) प्रमुख और केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले के राजनीति में आने की कहानी बहुत ही दिलचस्प है। जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा को दिए इंटरव्यू में आठवले ने बताया कि वह हॉस्टल से ही मंत्री पद की शपथ लेने गए थे।
राजनीति में कैसे आए आठवले?
इस सवाल के जवाब में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रामदास आठवले बताते हैं कि वह कॉलेज के दिनों से ही राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय थे। आठवले कहते हैं, “मेरी मां खेत में काम किया करती थीं। मैं मात्र छह महीने का था, जब मेरे पिताजी गुजर गए थे। उन्हें बुखार हुआ था। फिर मेरी मां ने तय किया कि वह अपने बच्चे को पढ़ाएंगी। मैं सांगली में अपने मामा के यहां रहता था। वहीं मेरी मां खेतों में काम करती थीं और मैं पढ़ाई करता था। स्कूली पढ़ाई के बाद मैं कॉलेज के लिए मुंबई आया। उस दौरान दलित पैंथर्स का मूवमेंट चल रहा था, तो मैं उसमें शामिल हो गया। दलित पैंथर्स का काम करते हुए ही मैं राजनीति में आया।”
‘हॉस्टल से गया मंत्री बनने’
पहली बार अपने मंत्री बनने की कहानी बताते हुए आठवले कहते हैं, “मेरी पार्टी के कारण कांग्रेस सत्ता में आयी थी, इसलिए उन्होंने मुझे महाराष्ट्र में मंत्री बनाया था। मुझे चार पोर्टफोलियो मिला था। मैं तब विद्यार्थी ही था। पढ़ाई कर रहा था। हॉस्टल में रहता था। अचानक मंत्री बनने का मौका मिला, तो हॉस्टल से ही सीधे मंत्री बनने चला गया। बहुत कम उम्र में मंत्री बनने के बाद साल 1998 में मैं पहली बार सांसद बना। 1999 में दूसरी बार सांसद बना। 2004 में तीसरी बार बना।
दलित पैंथर्स क्या है?
रामदास आठवले के जीवन में दलित पैंथर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह इस संगठन के बारे में कुछ इस तरह बताते हैं,
“जिस तरह अमेरिका में ब्लैक लोगों ने अत्याचार का सामना करने के लिए ब्लैक पैंथर्स बनाया था। वहीं से प्रेरणा लेकर भारत में दलित पैंथर्स बनाया गया था। दलित पैंथर्स दलितों पर हो रहे अत्याचार की वजह से बना था। संगठन का उद्देश्य यही था कि हम किसी पर अत्याचार नहीं करेंगे। लेकिन अगर हमारे साथ अत्याचार होगा तो ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। अगर एक्शन होगा तो रिएक्शन करेंगे। दलित पैंथर ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
वह आगे दलित पैंथर्स को अंबेडकरवादी संगठन बताते हुए कहते हैं, “लेकिन यह समझना होगा कि दलित पैंथर्स अंबेडकरवादी था। वह माओवादी या नक्सलवादी नहीं था। दलित पैंथर्स अंडरग्राउंड मूवमेंट नहीं चलाता था। वह लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ने वाला था। बाद में महाराष्ट्र के सारे नेता एक साथ आए और हमने रिपब्लिक पार्टी बनाई।”

2024 के लिए रामदास आठवले का प्लान
तीन बार सांसद बनने के बाद, जब रामदास आठवले चौथी बार लोकसभा का चुनाव लडे़ थे तो हार गए थे। उन्होंने 2009 का लोकसभा चुनाव शिरडी से लड़ा था। रामदास आठवले वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। उनका कार्यकाल 2026 तक है। लेकिन वह शिरडी से लोकसभा जाना चाहते हैं। इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह इसके लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से बात करेंगे।

आठवले की इच्छा है कि वह शिरडी से लोकसभा चुनाव लड़ें। (आठवले के प्लान के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)