राजनीति के मैदान में जीत हासिल करने के लिए परिवार भी किस तरह आमने-सामने आ जाते हैं, इसका पता हरियाणा की एक लोकसभा सीट के उम्मीदवारों को देखने से चलता है। हरियाणा की यह लोकसभा सीट ऐसी है, जहां पर एक ही परिवार की दो बहुएं अलग-अलग राजनीतिक दलों से चुनाव मैदान में हैं तो उनके सामने रिश्ते में लगने वाले उनके ससुर चुनाव लड़ रहे हैं।
जो दो बहुएं आपस में चुनाव लड़ रही हैं, वे रिश्ते में देवरानी और जेठानी लगती हैं। इस तरह लोकसभा पहुंचने के लिए एक ही परिवार में देवरानी, जेठानी और ससुर के बीच भयंकर सियासी संग्राम चल रहा है।
अब जान लीजिए कि यह कौन सी सीट है। इस सीट का नाम है- हिसार।
Chaudhary Devi Lal : चौटाला परिवार का ताना-बाना
देवरानी, जेठानी और ससुर की सियासी लड़ाई को समझने से पहले आपको इस पूरे परिवार का ताना-बाना समझना होगा। यह परिवार है पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल का। देवीलाल के चार बेटे हुए। उनके नाम हैं- ओम प्रकाश चौटाला, प्रताप चौटाला, रणजीत चौटाला और जगदीश चौटाला। इनमें से रणजीत चौटाला इस बार हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं- अभय चौटाला और अजय चौटाला। बड़े बेटे अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला जननायक जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। देवीलाल के एक और बेटे प्रताप चौटाला के दो बेटे हुए- जितेंद्र चौटाला और रवि चौटाला। इनमें से रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला इनेलो के टिकट पर चुनाव में ताल ठोक रही हैं।
नैना और सुनैना चौटाला आपस में देवरानी और जेठानी लगती हैं।
Jannayak Janta Party Haryana: अजय और अभय में खटास
2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हिसार से इनेलो के टिकट पर ही लोकसभा का चुनाव जीते थे लेकिन उसके बाद परिवार में खटपट होने की वजह से उनके पिता अजय चौटाला और उनके दोनों बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला इनेलो से अलग हो गए और उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया।

हरियाणा में साढ़े चार साल तक सरकार चलाने के बाद इस साल मार्च के महीने में बीजेपी ने जेजेपी से नाता तोड़ लिया था। जेजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में हरियाणा में 10 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन अभी पार्टी के अंदर खासी उथल-पुथल मची हुई है क्योंकि कई विधायकों ने जेजेपी से बगावत कर दी है।
Indian National Lok Dal Haryana: इनेलो और जेजेपी के बीच भी है लड़ाई
दुष्यंत चौटाला क्योंकि हिसार से सांसद रह चुके हैं इसलिए जेजेपी इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। दूसरी तरफ इनेलो ने भी हरियाणा में दो सीटों पर पूरी ताकत झोंकी हुई है। अभय चौटाला कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव मैदान में हैं तो अभय चौटाला का परिवार सुनैना चौटाला के लिए भी हिसार में पसीना बहा रहा है। इस तरह हिसार लोकसभा सीट में यह लड़ाई देवरानी और जेठानी के बीच ही नहीं इनेलो और जेजेपी के बीच भी है।
पहले भी आमने-सामने आए चौटाला परिवार के सदस्य
ऐसा नहीं है कि इस परिवार में पहली बार कोई रिश्तेदार आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले भी चौटाला परिवार में चौधराहट के लिए सियासी लड़ाई हो चुकी है। दो दशक पहले रणजीत चौटाला कांग्रेस के टिकट पर रोड़ी विधानसभा सीट से अपने भाई ओमप्रकाश चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़े थे।
इसी तरह अजय चौटाला और रवि चौटाला भी डबवाली विधानसभा सीट से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।

राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकार की है लड़ाई
चौटाला परिवार के अंदर पूरी लड़ाई देवीलाल की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकार की है। अभय चौटाला के परिवार का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल ने अपना उत्तराधिकारी ओम प्रकाश चौटाला को बनाया है और उनकी विचारधारा को अभय सिंह चौटाला आगे बढ़ा रहे हैं, इसलिए इनेलो ही देवीलाल की राजनीतिक विरासत की उत्तराधिकारी है।
जबकि जेजेपी का कहना है कि वह ऐसी पार्टी है जो सही मायनों में देवीलाल के बताए रास्ते पर चलती है और इस बात को हरियाणा की जनता जानती है।
BJP Haryana: 2019 में जीते थे बृजेंद्र सिंह
हिसार लोकसभा सीट पर एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि भाजपा यहां 2019 से पहले कभी चुनाव नहीं जीती थी। 2019 में बृजेंद्र सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत हासिल की थी। बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में चले जाने के बाद बीजेपी ने यहां कमल खिलाने की जिम्मेदारी नायब सिंह सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे रणजीत चौटाला को दी है। रणजीत चौटाला 2019 के विधानसभा चुनाव में सिरसा जिले की रानियां सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे।

Hisar Lok Sabha Congress: कांग्रेस ने दिया जेपी को टिकट
कांग्रेस ने भी हिसार से मजबूत उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश उर्फ जेपी को टिकट दिया है। जबकि भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह यहां से कांग्रेस के टिकट के दावेदार थे। लेकिन कहा जाता है कि टिकट आवंटन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की पसंद को देखते हुए कांग्रेस ने जयप्रकाश को चुनाव लड़ाया है।
जयप्रकाश हरियाणा की सियासत के पुराने नेता हैं। उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर हिसार से लोकसभा का चुनाव जीता था। तब उन्हें भारत सरकार में मंत्री भी बनाया गया था 1996 में वह हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर फिर से हिसार लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। इसके बाद वह कांग्रेस में चले गए थे और वहां विधायक बने थे। 2004 में उन्होंने एक बार फिर हिसार से सांसद का चुनाव जीता था। 2014 में वह कैथल जिले की कलायत सीट से विधायक रह चुके हैं।

Bhajan Lal Haryana: कुलदीप मांग रहे थे टिकट
हिसार सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का भी सियासी प्रभाव है। भजनलाल खुद यहां से अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर 2009 में सांसद चुने गए थे। 2011 में हुए उपचुनाव में भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई यहां से चुनाव जीते थे।
कुलदीप बिश्नोई इस बार भी हिसार लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उनकी नाराजगी की खबरों को देखते हुए पार्टी ने उनके बेटे भव्य बिश्नोई को हरियाणा भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रभारी बनाया है।
