हर‍ियाणा के पहले भाजपाई मुख्‍यमंत्री होने का र‍िकॉर्ड कायम करने वाले मनोहर लाल खट्टर अब पूर्व मुख्‍यमंत्री हो गए हैं। उनके ल‍िए अब भाजपा क्‍या नई भूम‍िका ल‍िखेगी, इसे लेकर अटकलें लगने लगी हैं। हर‍ियाणा में सीएम की कुर्सी खट्टर की जगह नायब सैनी को द‍िया जाना भाजपा की राज्‍यों में नया नेतृत्‍व व‍िकस‍ित करने की उसकी रणनीत‍ि के तहत उठाया गया एक और कदम लगता है। खट्टर ने नायब की ताजपोशी के पीछे का कारण भी यही बताया है।

खट्टर खांटी आरएसएस वाले हैं और संगठन को बढ़ाने व चुनावी रणनीत‍ि को अमलीजामा पहनाने के माह‍िर माने जाते हैं। ऐसे में अब उनकी भूम‍िका लोकसभा चुनाव में हो सकती है। वह खुद चुनाव लड़ते हुए पार्टी को ज‍ितवाने की ज‍िम्‍मेदारी भी संभाल सकते हैं। मनोहर लाल खट्टर को संगठन मजबूत करने का पुराना अनुभव रहा है।

24 साल की उम्र में RSS में प्रचारक बने थे खट्टर

मनोहर लाल खट्टर 1980 में 26 साल की उम्र में आरएसएस में प्रचारक बन गए थे और 14 साल काम करके 1994 में भाजपा में आए। आज ज‍िस तरह नायब सैनी को हर‍ियाणा का सीएम चुने जाने का अंदाज क‍िसी को नहीं था, उसी तरह अक्‍तूबर 2014 में भी जब हरियाणा में पहली बीजेपी सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोहर लाल खट्टर को चुना था तो क‍िसी को पहले से इसका अंदाज नहीं था।

बीजेपी में आते ही हर‍ियाणा में द‍िखाया था कमाल

1994 में जब खट्टर को संघ से भारतीय जनता पार्टी में लाया गया तो गृह राज्‍य हर‍ियाणा में संगठन महामंत्री का पद द‍िया गया। 1996 में, राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी का गठबंधन बंसी लाल की हरियाणा विकास पार्टी से हुआ। एक समय यह गठबंधन उन्‍हें महंगा लगने लगा। उन्‍हें लगा क‍ि सरकार अलोकप्रिय हो गई थी, तो उन्होंने सरकार से समर्थन वापस लेने का पक्ष लिया। इसके बाद, बीजेपी ने ओम प्रकाश चौटाला को बाहरी समर्थन देने का फैसला किया। बाद में, INLD के साथ इस गठबंधन ने 1999 के संसदीय चुनाव में हर‍ियाणा की सभी 10 सीटें जीत ली थीं। इससे पहले के चुनाव (1998) में भाजपा की केवल 2 सीटें थीं।

पुराना है पीएम मोदी से रिश्ता

मोदी खुद आरएसएस में लंबे समय तक काम करते हुए भाजपा में आकर और सीएम से पीएम की कुर्सी तक पहुंचने वाले नेता हैं। उनकी खट्टर से निकटता आरएसएस के द‍िनों से ही है। 1996 में, जब खट्टर हरियाणा में सक्रिय रूप से काम कर रहे थे, तब उन्होंने पहली बार मोदी के साथ काम करना शुरू किया।

गुजरात में 2001 में आए भयंकर भूकंप के बाद हुए चुनाव में भी मनोहर लाल खट्टर ने नरेंद्र मोदी की मदद की थी। तब कच्छ जिले में नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रबंधन के लिए मनोहर लाल को बुलाया था। माना जा रहा था क‍ि भूकंप के बाद अपर्याप्त राहत के कारण इलाके के लोगों में काफी नाराजगी थी। मनोहर लाल ने वहां व्यापक प्रचार अभियान चलाया और भाजपा ने 6 में से 3 सीटों पर जीत दर्ज की। नरेंद्र मोदी ने इस पर कहा था कि ये सीटें चुनाव नतीजों के लिए “बोनस” जैसी हैं।

2002 में खट्टर को जम्मू और कश्मीर के चुनाव प्रभारी की ज‍िम्‍मेदारी सौंपी गई। 2014 के संसदीय चुनावों के जर‍िए जब नरेंद्र मोदी ने द‍िल्‍ली की राजनीत‍िक यात्रा शुरू की तो उस वक्‍त चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में हर‍ियाणा में भी खट्टर ने अच्‍छा काम क‍िया था।

चुनावी ज‍िम्‍मेदार‍ियां

जब छत्तीसगढ़ नया राज्‍य बना तो वहां हुए पहले हुए चुनाव में भी मनोहर लाल को भेजा गया। उन्होंने बस्तर में काम किया जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ था और 12 में से 10 सीटें भाजपा को ज‍ितवाईं। 

2004 में मनोहर लाल दिल्ली और राजस्थान सहित 12 राज्यों के प्रभारी थे। इसके बाद उन्होंने आरएसएस विचारक बाल आप्टे (बालासाहेब आप्टे) के नेतृत्व में काम किया। इसके बाद उन्हें पांच राज्यों – जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के लिए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान, भाजपा ने पहली बार जम्मू-कश्मीर में 11 सीटें जीतीं।

2014 के लोकसभा चुनावों के लिए भी मनोहर लाल को चुनाव अभियान समिति (हरियाणा) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्‍होंने यहां भी झंडे गाड़ द‍िए। उस चुनाव के जर‍िए ही नरेंद्र मोदी को द‍िल्‍ली में लॉन्‍च क‍िया गया था और वह पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। 

बंटवारे के वक्त ‘उस पार’ से आया था खट्टर परिवार

1947 में देश के बंटवारे के बाद मनोहर लाल के दादा पर‍िवार के साथ हरियाणा के रोहतक जिले में स्थित निंदाना गांव पहुंच गए। मनोहर लाल के पिता और दादा ने मजदूरी कर गुजारा करना शुरू क‍िया। काफी मेहनत कर बचाए गए पैसों से उन्‍होंने आगे चल कर एक छोटी सी दुकान शुरू की। इसी बीच, 1954 में मनोहर लाल का जन्‍म हुआ। दुकान भी चल न‍िकली। इसके बाद मनोहर लाल के पिता ने बगल के गांव बान्यानी जाने का फैसला किया। वहां उन्होंने कृषि भूमि खरीदी और खेती करने लगे। 

मनोहर लाल पढ़ाई में लगे थे। वह डॉक्‍टर बनना चाहते थे। लेक‍िन, पर‍िवार चाहता था क‍ि वह भी खेती में हाथ बटाएं। प‍िता नहीं चाहते थे क‍ि कॉलेज में वह दाख‍िला लें, लेक‍िन मनोहर ने मां की मदद से रोहतक के नेकी राम शर्मा सरकारी कॉलेज में दाख‍िला ल‍िया। दसवीं से आगे पढ़ाई करने वाले वह अपने परिवार के पहले सदस्य थे। 

मेडिकल कॉलेजों के प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए, मनोहर लाल दिल्ली गए। दिल्ली में वह एक रिश्तेदार के यहां रहते थे। र‍िश्‍तेदार का कपड़ों का बढ़‍िया कारोबार था। मनोहर लाल को लगने लगा क‍ि डॉक्टर बनने से पहले सात से नौ साल तक पढ़ना होगा, सो कें न ब‍िजनेस ही क‍िया जाए। मनोहर लाल ने सदर बाजार के पास एक दुकान खोलने के लिए अपने परिवार से पैसे उधार लिए। दुकान को उन्‍होंने अच्‍छे से जमा द‍िया। कुछ ही समय में उन्‍होंने उधार ल‍िए पैसे भी लौटाए और छोटी बहन की शादी भी करवाई। साथ ही, दोनों भाइयों को भी द‍िल्‍ली बुला ल‍िया।

तमिल और जापानी भी जानते हैं खट्टर

मनोहर लाल डॉक्टर बनना चाहते थे, लेक‍िन क‍िस्‍मत को कुछ और मंजूर था और वह हर‍ियाणा के पहले भाजपाई मुख्‍यमंत्री बन गए। खट्टर को ज्‍यादा से ज्‍यादा भाषाएं सीखने का शौक है। उन्‍होंने तम‍िल और जापानी तक सीखी हुई है। 

करीब दो साल पुरानी (जनवरी 2022) बात है। मनोहर लाल खट्टर बतौर हर‍ियाणा के मुख्‍यमंत्री पत्रकारों से मुखा‍त‍िब थे। उन्‍होंने कहा क‍ि वह ह‍िंदी के अलावा अंग्रेजी और पंजाबी में भी सवालों के जवाब दे सकते हैं। और तो और, वह एक र‍िपोर्टर से त‍म‍िल में बात करने लगे।

इसी दौरान उन्‍होंने बताया क‍ि वह जापानी भी सीख रहे हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि अगर क‍िसी से द‍िल का र‍िश्‍ता जोड़ना हो तो उससे उसी की जुबान में बात करना सही रहता है। खट्टर ने बताया था क‍ि उन्‍हें ज्‍यादा से ज्‍यादा भाषाएं सीखने का शौक है और उन्‍होंने 1979 में तम‍िल सीखी थी।

मीड‍िया के साथ इस संवाद से कुछ द‍िन पहले ही खट्टर ने आरएसएस से जुड़ी पत्र‍िका ‘ऑर्गनाइजर’ और ‘पांचजन्‍य’ के 75 साल पूरे होने पर आयोज‍ित एक समारोह के दौरान भी जापानी सीखने का खुलासा क‍िया था। उनका कहना था क‍ि हर‍ियाणा में जापान से काफी न‍िवेश आ रहा है, इसल‍िए उन्‍हें लगा क‍ि अगर जापानी सीख लेंगे तो जापान के लोगों से उनकी जुबान में बात कर पाएंगे। इसके ल‍िए खट्टर ने 30 द‍िन का एक कोर्स क‍िया था।