हरियाणा की कुरुक्षेत्र सीट पर इस बार मुक़ाबला दिलचस्प है। भाजपा ने यहां नवीन जिंदल पर दांव लगाया है। वहीं कांग्रेस और AAP के संयुक्त उम्मीदवार सुशील गुप्ता मैदान में हैं। इनेलो की तरफ से खुद अभय सिंह चौटाला मैदान में हैं। सुखबीर सिवच की इस ग्राउंड रिपोर्ट में देखते हैं क्या हैं कुरुक्षेत्र के जमीनी हालात और क्या चाहती है यहां की जनता?
पंजाब और हरियाणा के कई गांवों में किसानों ने भाजपा के खिलाफ बहिष्कार का आह्वान किया है। बीजेपी के नेताओं और उम्मीदवारों के प्रचार के दौरान उनके खिलाफ नारेबाजी और काले झंडों का सामना करना पड़ रहा है।
कौन-कौन है कुरुक्षेत्र के चुनावी रण में?
कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र में, भाजपा ने जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के अध्यक्ष नवीन जिंदल को मैदान में उतारा है, जो इस सीट से दो बार (2004, 2009) कांग्रेस सांसद रह चुके हैं। जिंदल 2014 का चुनाव भाजपा से हार गए थे और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा। हरियाणा में सीट-बंटवारे समझौते के तहत कांग्रेस राज्य की कुल 10 लोकसभा सीटों में से 9 पर चुनाव लड़ रही है और कुरुक्षेत्र को AAP के लिए छोड़ दिया है। इस बार, कुरुक्षेत्र में विपक्षी खेमा सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ किसान प्रदर्शनकारियों के रुख से उत्साहित दिख रहा है। हालांकि, विपक्ष इस संभावना को लेकर भी चिंतित है कि किसान वोट आप उम्मीदवार सुशील गुप्ता और इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) के उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला के बीच विभाजित हो सकते हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी के सर्वे में उन्हें सबसे उपयुक्त उम्मीदवार पाए जाने के बाद नवीन जिंदल को मैदान में उतारा गया, लेकिन विपक्ष दावा कर रहा है कि वह चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के कुछ ही घंटों बाद उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की गई। कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों को लेकर जिंदल पर भाजपा के हमले का जिक्र करते हुए, हरियाणा आप के उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहते हैं, “भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने नवीन जिंदल के लिए कौन सी वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल किया है।”

आप और बीजेपी दोनों को वोट में सेंधमारी का डर
जहां अभय चौटाला आप के लिए चिंता का विषय हैं, वहीं जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उम्मीदवार पाला राम सैनी भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं, खासकर सैनी समुदाय (ओबीसी) के बीच जो निर्वाचन क्षेत्र की आबादी का लगभग 8% है। मार्च 2024 तक दुष्यन्त चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की प्रमुख सहयोगी थी लेकिन बीजेपी ने अचानक पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया और मनोहर लाल खट्टर की जगह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया।
इन समुदायों पर टिकी हैं आप और बीजेपी की निगाहें
नवीन जिंदल और सुशील गुप्ता दोनों बनिया-अग्रवाल समुदाय से हैं, जो निर्वाचन क्षेत्र की आबादी का 4.5% होने के बावजूद यहां चुनाव परिणामों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाजपा को ओबीसी, पंजाबी और ब्राह्मण समुदायों से बड़ी संख्या में वोट मिलने की उम्मीद है, जो निर्वाचन क्षेत्र की आबादी का क्रमशः 24.5%, 6% और 8% हैं, जबकि कांग्रेस-आप गठबंधन की उम्मीदें जाट (14%), सिख (10%) और दलित (23.5%) पर टिकी हुई हैं।
किसान भाजपा से नाराज
हरियाणा का कुरुक्षेत्र 2020-21 से किसानों के विरोध का केंद्र रहा है, जब तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था। जिसके बाद अब बीजेपी से नाराज क्षेत्र के किसान विपक्ष के लोकतंत्र, संविधान और तानाशाही के कथन को दोहरा रहे हैं।

हरियाणा के कैथल जिले के लांबा खेड़ी गांव के किसान महावीर लांबा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “लोकतंत्र खतरे में है, ये लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है।” लांबा उन किसानों में से हैं जो एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग पूरी न होने जैसे मुद्दों पर मौजूदा लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ अभियान में सबसे आगे रहे हैं। महावीर लांबा कहते हैं, “चीन हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए हमारे क्षेत्र में घुस आया लेकिन किसानों को अपने देश के भीतर भी जाने से रोक दिया गया।”
क्या कहते हैं हरियाणा के किसान
एक और किसान राजेंद्र सिंह इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहते हैं, “देश में तानाशाही लगती है। पहले किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती थी। लेकिन अब किसी व्यक्ति को पहले गिरफ्तार किया जाता है और फिर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है।”
एक अन्य स्थानीय किसान सुरेश राणा इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, “किसान नवीन जिंदल के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि वह अभी-अभी भाजपा में शामिल हुए हैं। ज़्यादातर किसान आंदोलन के दौरान उनके ख़िलाफ बल प्रयोग से नाराज हैं।” हरियाणा के प्रमुख कृषि संघ, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने अभय चौटाला को अपना समर्थन दिया है। हालांकि स्थानीय कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चढूनी के रिश्तेदारों और समर्थकों का एक वर्ग सुशील गुप्ता के साथ है।

कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर पर अपने दोस्तों के साथ बैठे प्रवीण धीमान भी इस खतरे के बारे में बात करते हैं कि अगर भाजपा केंद्र में दोबारा सत्ता में आई तो संविधान बदला जा सकता है। वहीं, उनके मित्र श्रीकांत शर्मा ने नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों की एक सूची पेश करते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “अयोध्या में राम मंदिर और अनुच्छेद 370 को निरस्त करना केवल पीएम मोदी के कारण ही संभव हो सका।”
कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव परिणाम
पिछले आम चुनाव में भाजपा के नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस के निर्मल सिंह को 3.84 लाख से अधिक वोटों से हराया था। नायाब को 6.86 लाख और निर्मल को 3.03 लाख वोट मिले थे। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनावों में कुरुक्षेत्र से बीजेपी के राज कुमार सैनी ने कांग्रेस के बलबीर सैनी को हराया था। राज कुमार को 4.18 लाख और बलबीर को 2.88 लाख वोट मिले थे। इस चुनाव में तीसरे स्थान पर कांग्रेस के नवीन जिंदल थे जिन्हें 2.87 लाख वोटों से संतोष करना पड़ा था।