कांग्रेस हाईकमान एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि अगर हरियाणा के सभी बड़े नेता एक मंच पर आकर और अपने मतभेदों को भुलाकर चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी सत्ता में वापसी कर सकती है।
इसके लिए कांग्रेस ने 45 सदस्यों की एक ‘स्ट्रेटजी कमेटी’ बनाई है और इसमें पार्टी के सभी धड़ों के नेताओं को शामिल किया गया है। हरियाणा के प्रभारी दीपक बाबरिया को इसका अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान सिंह को कमेटी का संयोजक बनाया गया है।
दूसरी ओर, बीजेपी भी चुनाव की तैयारियों में जुटी हई है और ‘म्हारा हरियाणा नॉनस्टॉप हरियाणा’ विजय शंखनाद रैलियां करने जा रही है। इस तरह की रैलियां 4 अगस्त से कुरुक्षेत्र से शुरू होंगी और पूरे हरियाणा में की जाएंगी।
हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

एक मंच पर नजर आ सकते हैं बड़े नेता
‘स्ट्रेटजी कमेटी’ की पहली बैठक 10 अगस्त को दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में रखी गई है और ऐसा माना जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस के सभी बड़े दिग्गज जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला इस बैठक में एक मंच पर दिखाई दे सकते हैं।
हालांकि रणदीप सिंह सुरजेवाला ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने अभी तक इस कमेटी का संविधान नहीं देखा है और उन्हें अभी तक किसी ने इस बारे में बताया भी नहीं है।
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि पार्टी के सभी बड़े नेताओं को एक मंच पर आना चाहिए। बाबरिया ने कहा कि उन्हें इस बात की उम्मीद है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला 10 अगस्त को होने वाली बैठक में शामिल होंगे।
दीपक बाबरिया ने हालांकि कांग्रेस में गुटबाजी की खबरों को दरकिनार करते हुए कहा था कि दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपने प्रभाव वाले इलाकों में जा रहे हैं और इसी तरह कुमारी सैलजा भी कांग्रेस संदेश यात्रा के जरिए पार्टी का ही काम कर रही हैं।

बाबरिया ने कहा कि अगर किसी नेता में मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा है तो उसके पास कम से कम 20 से 30 विधायकों का समर्थन होना चाहिए और इसके लिए पार्टी के हर महत्वाकांक्षी नेता को मेहनत करने और पार्टी के कार्यकर्ताओं को संगठित करने की जरूरत है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पार्टी को चुनाव में बहुमत मिले। बाबरिया ने कहा कि इसके बाद का काम कांग्रेस हाईकमान और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का है।
चुनाव से पहले गुटबाजी की चर्चा हावी
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी लंबे वक्त से हावी रही है। गुटबाजी की तरफ इशारा करते हुए ही पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने लोकसभा चुनाव के नतीजे के तुरंत बाद कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा का हाथ पकड़ लिया था। बीते दिनों जब कुमारी सैलजा ने कांग्रेस संदेश यात्रा निकाली थी तो हरियाणा कांग्रेस में फिर से गुटबाजी की खबरों को हवा मिली थी। क्योंकि कुमारी सैलजा के पदयात्रा वाले पोस्टर में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौधरी उदयभान सिंह की फोटो नहीं थी लेकिन बाद में शायद हाईकमान के दखल के बाद नए पोस्टर में इन दोनों नेताओं की तस्वीरों को जगह मिली थी।
चौधरी बीरेंद्र सिंह जब से कुमारी सैलजा के साथ दिखाई दे रहे हैं, इसने भी गुटबाजी की आग में घी डालने का काम किया है।
इसके अलावा ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान की कमान जिस तरह रोहतक से कांग्रेस के सांसद और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के हाथ में दिखाई दी थी उससे भी गुटबाजी को लेकर सवाल खड़े हुए थे क्योंकि इससे रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी सैलजा दूर रहे थे।

10 साल से संगठन में नहीं हुआ बदलाव
हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी इसलिए भी बेहद गंभीर है क्योंकि पिछले 10 साल से पार्टी हरियाणा में संगठन में बदलाव नहीं कर पाई है जबकि दूसरे राजनीतिक दलों- बीजेपी, इनेलो, आम आदमी पार्टी और जेजेपी अपने संगठन में बदलाव कर विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं।
कांग्रेस ने बीते 10 साल में हुए लोकसभा, विधानसभा और निकाय के चुनाव अपने पुराने संगठन के बलबूते ही लड़े हैं। लेकिन ऐसी खबरें हैं कि पार्टी अब जल्द ही प्रदेश कांग्रेस के नए पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के नामों का ऐलान कर सकती है।
बीजेपी से आगे निकली कांग्रेस
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस को ऐसी उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भी जनता उसका साथ देगी क्योंकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोट शेयर के साथ ही बीजेपी को सीटों के मामले में भी नुकसान हुआ है और निश्चित रूप से कांग्रेस को इसका फायदा हुआ है।
कांग्रेस ने बीजेपी से छीनी 5 सीटें
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
मुखर हैं राव इंद्रजीत सिंह
दूसरी ओर, गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने विधानसभा सीटों के परिसीमन का मुद्दा उठाया है। राव इंद्रजीत सिंह ने कहा है कि 2029 के लोकसभा चुनाव से यह सही समय है जब सीटों का परिसीमन कर दिया जाना चाहिए। राव इंद्रजीत सिंह ने कहा है कि कोई विधानसभा क्षेत्र जो 40 सालों से आरक्षित है, इस वजह से वहां पर दूसरे समुदाय को मौका नहीं मिल पाता है।
राज्य सरकार के खिलाफ अपने तेवरों को बरकरार रखते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुवार को बंधवारी लैंडफिल का दौरा किया था और चेतावनी दी थी कि अगर दिसंबर तक बंधवारी लैंडफिल को साफ नहीं किया गया तो वह ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ जाएंगे।
राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम में साफ-सफाई का ठेका हासिल करने वाली ईको ग्रीन कंपनी के खिलाफ मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखा था और इस कंपनी को दिए गए टेंडर को लेकर भ्रष्टाचार का अंदेशा जताया था।

समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते हैं राव
दक्षिणी हरियाणा यानी अहीरवाल की बेल्ट में अपना खासा असर रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह काफी दिनों से मुखर हैं। वह कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और इस विधानसभा चुनाव में अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते हैं। राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव इस बार अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।