हरियाणा लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए 5 सीटों पर जीत हासिल की। जिसके बाद अब पार्टी की नजरें आने वाले विधानसभा चुनावों पर है। हरियाणा में अक्टूबर 2024 में विधानसभा के चुनाव होने हैं पर उससे पहले राज्य कांग्रेस में गुटबाजी और अंदरूनी कलह शुरू हो गयी है।

जिसके चलते एआईसीसी के महासचिव दीपक बाबरिया को अब प्रतिद्वंदियों के तमाम आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। दीपक बाबरिया जून 2023 से हरियाणा कांग्रेस को संभाल रहे हैं। बाबरिया दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी भी रहे हैं, उन्हें लोकसभा चुनावों के दौरान आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, जब तत्कालीन दिल्ली पीसीसी प्रमुख अरविंदर सिंह लवली ने “उन्हें काम नहीं करने देने” के लिए बाबरिया को निशाना बनाते हुए इस्तीफा दे दिया था।

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी

राज्य कांग्रेस के अंदर गुटबाजी है और चुनाव नतीजों के बाद यह खुलकर सामने आई है। आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों की समीक्षा के लिए 26 जून को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा आयोजित एआईसीसी बैठक में राज्य पार्टी नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई।

सूत्रों ने कहा कि सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा ने दीपक बाबरिया पर कथित तौर पर हरियाणा में नेताओं के एक विशेष समूह से प्रभावित होने का आरोप लगाया। उनका इशारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाले पार्टी गुट की ओर था।

लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे पर उठे थे सवाल

हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा था कि अगर पार्टी में टिकटों का बंटवारा सही ढंग से हुआ होता तो हरियाणा में कांग्रेस सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती थी। इस बैठक में राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया था। सूत्रों ने कहा कि राहुल ने सभी राज्य कांग्रेस नेताओं से विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने को कहा है।

पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी, कांग्रेस का प्रदर्शन

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीटलोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट
कांग्रेस 15131 05
बीजेपी 47740105

दीपक बाबरिया पर नेताओं ने लगाए आरोप

इस दौरान न केवल टिकट बंटवारे बल्कि जिस तरह से दीपक बाबरिया पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं और उनके समर्थकों की अनदेखी कर रहे हैं, उस पर भी सवाल उठाया गया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “विधानसभा चुनाव कुछ महीने दूर हैं और पार्टी कार्यकर्ता इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अगर पार्टी प्रभारी उन्हें नजरअंदाज करते हैं और केवल एक समूह पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो इससे चुनाव में पार्टी की संभावनाएं प्रभावित होंगी”

एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दावा किया, “केवल शैलजा ही नहीं अन्य लोग भी थे जिन्हें बाबरिया से दिक्कत है। उन्होंने हरियाणा में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा किए बिना पार्टी की नई जिला इकाइयों के पदाधिकारियों की एक लिस्ट केसी वेणुगोपाल को सौंप दी थी। राहुल जी और खड़गे जी और यहां तक ​​कि वेणुगोपाल जी भी मनमाने ढंग से निर्णय लेने और ऐसे लिस्ट प्रस्तुत करने के लिए उनसे काफी नाराज थे। राहुल जी ने तब सभी से कहा कि वे मीडिया में न जाएं और पार्टी के मुद्दों पर चर्चा न करें, साथ ही बाबरिया और अन्य लोगों को फटकार लगाई जो मनमाने फैसले ले रहे हैं।”

नेता ने आगे कहा, “हाल ही में बाबरिया ने एक नोटिस जारी कर पार्टी कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आवेदन मांगे थे। ऐसे सर्कुलर जारी करना उनका काम नहीं है। यह पीसीसी का काम है। उनके नोटिस के कुछ ही दिन बाद पीसीसी ने एक समान नोटिस जारी किया।”

लोकसभा चुनाव में भी सामने आई थी कांग्रेस के भीतर की कलह

इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी कांग्रेस के भीतर की कलह सामने आई थी जब दीपेंदर हुड्डा, उनके वफादार उदय भान और बाबरिया ने सभी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में जमकर प्रचार किया था, साथ ही जब उन्होंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया तो उनके साथ कई उम्मीदवार भी शामिल हुए थे। वहीं, जब शैलजा ने अपना नामांकन दाखिल किया तो उनमें से कोई भी उनके साथ नहीं था। तीनों में से किसी ने भी कुमारी शैलजा के चुनाव अभियान के दौरान उनके साथ कोई संयुक्त रैलियां संबोधित नहीं की थीं।

इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में बीरेंद्र सिंह, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला थे जिन्होंने शैलजा के लिए प्रचार किया था। वहीं, किरण चौधरी जो पहले भी हुड्डा से नाराज थीं, अब पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य कांग्रेस में लोकतंत्र की कमी है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप से गठबंधन नहीं करेगी कांग्रेस

हाल ही में कांग्रेस ने हरियाणा और दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए इंडिया गठबंधन की सहयोगी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में अब पार्टी को अपने दम पर अकेले विधानसभा चुनाव की लड़ाई लड़नी है।

गुरनाम सिंह चढूनी से मिल सकती है टक्कर

संयुक्त संघर्ष पार्टी के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी की पार्टी भी हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव में भाग लेगी। पार्टी के कोर कमेटी सदस्य राकेश बैंस ने इस बारे में कहा था, ”चुनाव लड़ने का मुख्य उद्देश्य किसानों और मजदूरों को एकजुट करना और उन्हें अपने वोट की ताकत से अवगत कराना है। राजनीतिक दल किसानों और मजदूरों को अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं पर कभी भी उनकी भलाई के लिए काम नहीं करते हैं, लेकिन हम बदलाव लाना चाहते हैं। हम सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश करेंगे लेकिन परिस्थितियों के अनुसार फैसला करेंगे। हम गठबंधन के लिए भी तैयार हैं।”

बीजेपी ने भी कस ली है कमर

बीजेपी भी अब राज्य विधानसभा चुनाव पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है। पार्टी ने चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को हरियाणा का प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब को सह-प्रभारी नियुक्त किया है। बीजेपी ने यहां कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है। जिसके तहत अगले दो महीनों में 50,000 नौकरियां देने, गरीबी रेखा से नीचे आने वाले प्रत्येक परिवार को 100 वर्ग गज का प्लॉट मुफ्त देने, हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना (HAPPY) के तहत 1,000 किमी तक मुफ्त बस यात्रा शामिल है।

उम्मीदों से भरी हुई है कांग्रेस

हरियाणा में कांग्रेस ने पांच लोकसभा सीटें जीतने के साथ ही अपना वोट प्रतिशत भी बढ़ाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा में 28.51 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि इस बार उसे 43.67% वोट मिले हैं। बीजेपी को पिछली बार 58.21% वोट मिले थे जबकि इस बार उसका वोट प्रतिशत घटाकर 46.11% हो गया है।

विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए हुए मतदान में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और चुनाव के बाद जननायक जनता पार्टी और सात निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। बीजेपी को जहां 40 सीटों पर वहीं कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी।

पार्टी सीट वोट शेयर (%)
बीजेपी 4036.49
कांग्रेस 3128.08
जेजेपी 1014.80
आईएनएलडी 12.44
निर्दलीय 79.17