लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में मिले खराब नतीजों के बाद बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद गंभीर है। पार्टी किसी भी सूरत में हरियाणा को नहीं गंवाना चाहती। इसलिए बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान खुद पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल ली है।

अमित शाह ने कांग्रेस के द्वारा उठाई जा रही ओबीसी के हक और हिस्सेदारी की बात का जवाब हरियाणा बीजेपी की ओर से बुधवार को आयोजित ओबीसी सम्मेलन में दिया है। इसके साथ ही हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार भी एक के बाद एक ताबड़तोड़ ऐलान कर विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है।

बीजेपी की चुनावी रणनीति के जवाब में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके बेटे और रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान के साथ मिलकर बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की तैयारी कर रहे हैं।

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बादशाहपुर में किसे टिकट देगी बीजेपी।

ओबीसी के हाथ में है बीजेपी की कमान

बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है और विधानसभा चुनाव में फिर से उनके ही चेहरे पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 5 सीटें ही जीत पाई है।

याद दिलाना होगा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित पूरी पार्टी ने पिछले एक साल से ओबीसी के हक और हिस्सेदारी का मुद्दा बड़े पैमाने पर उठाया हुआ है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी ‘जितनी आबादी उतना हक’ की बात कही थी।

कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आया तो देश में जाति जनगणना कराई जाएगी और इससे देश के संसाधनों पर किसका कितना हक है इसका पता चल सकेगा। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने कई बार कहा कि ओबीसी को उसकी आबादी के हिसाब से हक और हिस्सेदारी नहीं मिल रही है।

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हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी (Source- twitter)

बीजेपी से खिसका ओबीसी वोट

राहुल ने कहा था कि ओबीसी वर्ग के लोगों को उनकी आबादी के अनुसार हक और हिस्सेदारी देने की लड़ाई कांग्रेस पार्टी जोर-शोर से लड़ेगी। चुनाव नतीजों में यह स्पष्ट रूप से दिखाई दिया कि बीजेपी को इसका नुकसान हुआ है और ओबीसी वोट बीजेपी से खिसककर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के पास गया है।

इस वजह से पिछली बार 303 सीटें जीतने वाली बीजेपी बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों के आंकड़े से भी काफी पीछे रह गई।

पिछड़ा वर्ग की विरोधी रही है कांग्रेस: शाह

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही भाजपा लगातार इस बात पर मंथन कर रही है कि आखिर ओबीसी वर्ग के मतदाताओं के बीच कांग्रेस की ओर से चलाए जा रहे इस प्रचार का जवाब वह कैसे दे। बुधवार को हरियाणा बीजेपी के द्वारा आयोजित ओबीसी सम्मेलन के मंच का इस्तेमाल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के ओबीसी कार्ड का जवाब देने के लिए किया। शाह ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से पिछड़ा वर्ग की विरोधी रही है।

अमित शाह ने कांग्रेस के ओबीसी कार्ड का चुन-चुन कर जवाब देते हुए कहा कि 1957 में ओबीसी आरक्षण के लिए काका साहेब कालेलकर कमीशन बना, लेकिन कांग्रेस ने सालों तक इसे लागू नहीं किया। इसके बाद 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मंडल कमीशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

1990 में मंडल कमीशन के विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 2 घंटे से ज्यादा भाषण दिया और ओबीसी आरक्षण की मुखालफत की।

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद में इस बात का जिक्र किया था कि राजीव गांधी ने ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक चिट्ठी का हवाला देते हुए कहा था कि नेहरू आरक्षण के पक्ष में नहीं थे। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी बहुत मुखर होकर कांग्रेस को उसके ओबीसी कार्ड का जवाब दे रही है।

शाह ने कहा कि बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाने में कामयाब होगी। इस दौरान बीजेपी की ओर से सोशल मीडिया पर #ओबीसी समर्थक भाजपा भी चलाया गया। शाह ने हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार के द्वारा पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए उठाए गए फैसलों के बारे में भी बताया।

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अहीरवाल के दिग्गज नेता हैं राव इंद्रजीत सिंह। (Source-PTI)

‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान चला रही कांग्रेस

बीजेपी के हमलों के जवाब में कांग्रेस ने भी कमर कस ली है। 2005 से 2014 तक हरियाणा में सरकार चलाने वाली कांग्रेस पिछले 10 साल से सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव में मिले शानदार नतीजे के बाद पार्टी को उम्मीद है कि वह विधानसभा चुनाव जीत कर राज्य में अपनी सरकार बना सकती है। इसके लिए पार्टी हरियाणा में ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान चला रही है।

इस अभियान के तहत रोहतक से सांसद और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा 9 जिलों के 14 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर इस अभियान की अगुवाई करेंगे। विधानसभा चुनाव के नजदीक आने तक वह हरियाणा की सभी विधानसभा सीटों पर जाकर प्रचार भी करेंगे।

राहुल के बाद सबसे ज्यादा वोट शेयर रहा दीपेंद्र का

कांग्रेस में दीपेंद्र सिंह हुड्डा राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा वोट शेयर लाने वाले दूसरे नेता बन गए हैं। पहले नंबर पर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हैं जिन्हें रायबरेली में 66.17% वोट मिले हैं जबकि दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक में 62.76% वोट हासिल किए हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा 77 वर्ष के हो चुके हैं और शायद उन्हें ऐसा लगता है कि यह सही वक्त है जब दीपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी के मुख्य चेहरे के तौर पर हरियाणा में आगे रखा जाए। दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी राजनीति में काफी सीनियर हो चुके हैं और चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आने वाले दिनों में हरियाणा मांगे हिसाब अभियान के तहत पूरे हरियाणा में रथ यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। इस दौरान चौधरी उदयभान और हुड्डा कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।

जाट बनाम गैर जाट का समीकरण

जाट बिरादरी से आने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा इस समुदाय में काफी लोकप्रिय है। हरियाणा में जाट समुदाय की आबादी 25% के आसपास है।

बीजेपी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से जाट समुदाय के किसी नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। पार्टी ने अपनी प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद भी गैर जाट (ब्राह्मण) समुदाय से आने वाले मोहनलाल बडौली को दिया है जबकि कांग्रेस ने जाट चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आगे रखा है और गैर जाट (दलित) चेहरे के रूप में उसके पास प्रदेश अध्यक्ष उदयभान हैं। हरियाणा में इस समुदाय की आबादी 20% के आसपास है। इसके अलावा राज्य में ओबीसी मतदाता 30% हैं।