देश के 16वें चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Former CJI YV Chandrachud) को जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का जज बनने का ऑफर मिला तो वे बॉम्बे छोड़ दिल्ली आने को कतई तैयार नहीं थे। जस्टिस चंद्रचूड़ उन दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट के जज हुआ करते थे और उनकी ख्वाहिश थी कि यहीं चीफ जस्टिस बनें। पूर्व सीजेआई बाईवी चंद्रचूड़ के पोते और दिग्गज एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ ने अपनी किताब ‘Supreme Whispers’ में यह खुलासा किया है।

क्यों नहीं आना चाहते थे सुप्रीम कोर्ट?

पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव लिखते हैं कि साल 1972 में जब जस्टिस चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट की जजशिप ऑफर हुई तब उनकी और उनकी पत्नी की सुप्रीम कोर्ट आने की जरा सी इच्छा नहीं थी। जस्टिस चंद्रचूड़ बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनना चाहते थे। उनका मानना था कि बॉम्बे हाईकोर्ट देश के सबसे प्रतिष्ठित कोर्ट्स में से एक है। देश के दिग्गज एडवोकेट जैसे- गिरवाई, पालखीवाला, नरीमन, सोराबजी बॉम्बे हाईकोर्ट से ही निकले हैं। हालांकि बाद उन्होंने ऑफर स्वीकार कर लिया था।

संजय गांधी के खिलाफ दिया था मशहूर फैसला

जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ साल 1972 में सुप्रीम कोर्ट आए और साल 1978 में देश के 16वें चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। जस्टिस चंद्रचूड़ का बतौर सीजेआई अपॉइंटमेंट जनता पार्टी की सरकार में हुआ था। उन्होंने तमाम मशहूर पैसले दिये, जिसमें संजय गांधी (Sanjay Gandhi) से जुड़ा मशहूर ‘किस्सा कुर्सी का’ केस भी। इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने संजय गांधी को 30 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दे दिया था।

जस्टिस चंद्रा ने 3 बार ठुकराया था CJI का ऑफर

जस्टिस चंद्रचूड़ इकलौते जज नहीं थे जो सुप्रीम कोर्ट नहीं आना चाहते थे। ऐसे जजों की लंबी-चौड़ी लिस्ट है। वाईवी चंद्रचूड़ जब चीफ जस्टिस बने तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्रा को 1979 से 1980 के बीच 3 बार सुप्रीम कोर्ट के जज का ऑफर दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ की दिली ख्वाहिश थी कि जस्टिस चंद्रा सुप्रीम कोर्ट आएं लेकिन जस्टिस चंद्रा कतई राजी ही नहीं हुए।

जब उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस यशोदा नंदन का नाम भेजा, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस आरबी मिश्रा का साल 1981 में सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंटमेंट हुआ था।

मद्रास HC छोड़ दिल्ली नहीं आए जस्टिस राजा मन्नार

मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी राजा मन्नार का किस्सा भी मशहूर है। जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट की जजशिप ऑफर हुई तो फौरन ठुकरा दिया था। तर्क दिया कि उनके पिता बीमार चल रहे हैं, और देखभाल के चलते दिल्ली नहीं आ सकते हैं। अभिनव लिखते हैं कि जस्टिस मन्नार की सुप्रीम कोर्ट की जजशिफ ठुकराने की एक बड़ी वजह मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का रुतबे वाला पद भी था। जस्टिस मन्नार 13 सालों तक इस पद पर रहे।