आम आदमी पार्टी के पांच पार्षदों का पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाना दिल्ली की सियासत में अहम घटनाक्रम है। यह घटनाक्रम दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में बेहद अहम वार्ड और स्थाई समितियों के चुनाव से पहले हुआ है। बीजेपी में शामिल होने वाले इन पार्षदों में- शाहबाद डेरी वार्ड से रामचंद्र, बवाना वार्ड से पवन कुमार, बदरपुर वार्ड से मंजू देवी, तुगलकाबाद वार्ड से सुगंधा और हरकेश नगर वार्ड से ममता शामिल हैं।
दिल्ली में चार से पांच महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं। पिछले दो साल से आम आदमी पार्टी कथित आबकारी घोटाले में अपने बड़े नेताओं के जेल जाने की वजह से मुश्किलों का सामना कर रही है।
इसके अलावा स्वाति मालीवाल मारपीट प्रकरण में भी वह घिरी हुई है। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को किसी सीट पर जीत नहीं मिली। एक के बाद एक नेताओं का पार्टी छोड़ना भी उसके लिए चिंता की वजह बना हुआ है।
पिछले महीने पार्टी के विधायक करतार सिंह तंवर के साथ ही छतरपुर वार्ड से पार्षद उमेश सिंह फोगाट, पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद, पूर्व विधायक वीणा आनंद के साथ कुछ और नेता भी भाजपा में शामिल हो गए थे।

कांग्रेस को भी दिया था झटका
इस साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे अरविंद सिंह लवली को बीजेपी में शामिल कराया था। इसके अलावा दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे राजकुमार चौहान, कांग्रेस के विधायक रहे नसीब सिंह, नीरज बसोया और दिल्ली युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमित मलिक भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।
बीजेपी की कोशिश जहां दिल्ली में सरकार बनाने की है वहीं आम आदमी पार्टी एक बार फिर से बड़ी जीत दर्ज कर सत्ता में बने रहने के लिए जोर लगा रही है।
दिल्ली में पिछले कुछ चुनाव के नतीजे
साल | बीजेपी को मिली सीटें | आप को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
2013 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 31 | 28 | 8 |
2014 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2015 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 3 | 67 | 0 |
2019 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
2020 विधानसभा चुनाव (70 सीटें) | 8 | 62 | 0 |
2024 लोकसभा चुनाव (7 सीटें) | 7 | 0 | 0 |
एमसीडी में बीजेपी से मिलेगी चुनौती
आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्षदों के पार्टी छोड़ने का जोनल चुनाव में असर होगा लेकिन चिंता की बात यह है कि कई अन्य पार्षद भी इन पांच पार्षदों के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं। निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी के पांच पार्षदों के बीजेपी में जाने के बाद स्थानीय समितियों के चुनाव में उसे बीजेपी से बड़ी चुनौती मिल सकती है।
23 अगस्त को दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने एमसीडी के सचिव से कहा था कि वह जोनल वार्ड कमेटियों के चुनाव की तैयारी शुरू करें।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चल रही राजनीतिक कलह की वजह से पिछले 18 महीने से वार्ड कमेटियों के चुनाव नहीं हुए हैं। एमसीडी के एक अफसर ने बताया कि अब जल्द ही चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी और इसे 20 सितंबर से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
एमसीडी के हर जोन से चुने हुए पार्षद चेयरमैन, डिप्टी चेयरमैन और स्थाई समिति के सदस्यों के चुनाव में मतदान करेंगे और इसके जरिए एमसीडी की 12 स्थाई समितियों में खाली पड़ी सीटों को भरा जा सकेगा। एमसीडी में आम आदमी पार्टी के पास 128 पार्षद हैं जबकि भाजपा के पास 111। 5 पार्षदों के आने के बाद बीजेपी को नरेला और सेंट्रल जोन में मदद मिलेगी क्योंकि यहां पर बीजेपी का असर सीमित है।
आम आदमी पार्टी के दो पार्षदों के बीजेपी में आने से नरेला जोन में बीजेपी को बहुमत मिल गया है। इसी तरह सेंट्रल जोन में तीन पार्षदों के बीजेपी में आने के बाद बीजेपी बिना किसी बाहरी मदद के वार्ड कमेटी की सीटों पर जीत हासिल कर सकती है।

मुश्किलों का सामना कर रही आम आदमी पार्टी
दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के सामने मुश्किलों का अंबार लगा हुआ है। कथित आबकारी घोटाले में मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल लंबे वक्त से जेल में हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में 4 से 5 महीने का वक्त बचा हुआ है। ऐसे में केजरीवाल जैसे पार्टी के बड़े चेहरे और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके नेता की गैर मौजूदगी पार्टी को खल रही है। केजरीवाल की गैर हाजिरी में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल इन दिनों हरियाणा में पार्टी के लिए प्रचार कर रही हैं।
जेल से बाहर आकर संगठन के काम में जुटे सिसोदिया
कुछ दिन पहले ही पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कथित आबकारी घोटाले में जेल से बाहर आए हैं और उन्होंने लोगों के बीच में पहुंचना शुरू किया है। लेकिन सिसोदिया भी 17 महीने तक जेल में रहे और निश्चित रूप से केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की गैर हाजिरी में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के कामकाज और संगठन पर असर पड़ा है। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी इस मामले में छह महीने तक जेल में रहे।
गठबंधन के बाद भी खाली हाथ रही पार्टी
लोकसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव लड़ा लेकिन फिर भी उसे किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। इसके बाद उसने ऐलान किया कि वह विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी।

स्वाति मालीवाल मामले में घेर रही बीजेपी
कथित आबकारी घोटाले के अलावा आम आदमी पार्टी राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर हुए हमले की घटना की वजह से भी परेशान है। इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व पीए विभव कुमार पर मालीवाल ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। मालीवाल ने कहा है कि विभव कुमार ने उनके साथ अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर मारपीट की।
स्वाति मालीवाल ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को घेरा है, उससे महिला सुरक्षा को लेकर पार्टी को जवाब देना भारी पड़ रहा है। बीजेपी भी स्वाति मालीवाल पर हमले के मामले को लगातार उठा रही है।
एक ही बार बना सकी सरकार
दिल्ली में पहली बार विधानसभा के चुनाव 1993 में हुए थे। तब बीजेपी ने राज्य में अपनी सरकार बनाई थी लेकिन उसके बाद से वह यहां सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी। 1998 से 2013 तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार रही।
2013 में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार चलाई थी जो सिर्फ 49 दिन चली थी। उसके बाद 2015 और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल की थी।
2014 में जब केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार बनी तब से पार्टी को उम्मीद है कि वह एक बार फिर राजधानी में सरकार बनाएगी। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित पार्टी के तमाम नेताओं ने दिल्ली में सरकार बनाने के लिए ताकत झोंकी लेकिन पार्टी को करारी हार मिली और उसके लिए नतीजे बहुत खराब रहे।
2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर पूरी ताकत जुटाकर मैदान में उतर रही है लेकिन देखना होगा कि क्या वह सरकार बना पाएगी?