लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा एक वीडियो मिला। वीडियो के साथ दावा किया गया कि यह वीडियो विपक्ष द्वारा आयोजित एक रैली का है। पड़ताल में पता चला कि यह वीडियो किसी रैली या जनसभा का नहीं है। इसलिए वायरल दावा झूठा है।
क्या हो रहा है वायरल?
X यूजर Jeetu Burdak ने वायरल वीडियो अपने प्रोफ़ाइल पर साझा किया।
इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहाँ देखे।
अन्य उपयोगकर्ता भी यही दावा साझा कर रहे हैं।
कैसे हुई पड़ताल?
हमने वीडियो को इनविड टूल में अपलोड किया और वीडियो से कई कीफ्रेम प्राप्त किए, फिर हमने एक-एक करके कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च चलाया।
इसके जरिए हमें होसन्ना फेलोशिप के फेसबुक पेज पर एक रील मिली।
इस रील का पहला भाग शेयर किए जा रहे वायरल वीडियो जैसा ही था।
वीडियो के कैप्शन से पता चलता है कि यह वीडियो Hosanna ministries के 47वें अंतर्राष्ट्रीय पर्व टैबरनेकल का था।
फिर हमने “47th International Feast of Tabernacle from Hosanna ministries” ये टर्म इस्तेमाल कर यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च चलाया।
इसके जरिए हमें होसन्ना मिनिस्ट्रीज ऑफिशियल के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला।
इस वीडियो को एक महीना पहले स्ट्रीम किया गया था।
वीडियो के अंत में लगभग 4:48:08 पर वायरल वीडियो के दृश्य इस वीडियो में देखे जा सकते हैं।
हमें इस घटना के कुछ और वीडियो मिले जो व्यापक रूप से साझा किए गए वीडियो से मिलते जुलते थे।
फिर हमने होसन्ना मिनिस्ट्रीज के बारे में खोज की। हमें पता चला कि होसन्ना मिनिस्ट्रीज (गुंटूर) मिनिस्ट्रीज का भारत का मुख्यालय है। यहां एक समय में 50,000 से अधिक लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं और पूजा करते हैं।
हम एक फोन कॉल के जरिये होसन्ना मिनिस्ट्रीज के मुख्यालय तक भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह वीडियो 47वें इंटरनेशनल फेस्ट ऑफ टैबरनेकल का है जो गुंटूर में आयोजित किया गया था। कॉल के दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति ने यह भी बताया कि ऑडियो को गुंटूर घटना के वीडियो पर ओवरलैप किया गया है।
निष्कर्ष: गुंटूर में आयोजित 47वें अंतर्राष्ट्रीय उत्सव टैबरनेकल की वीडियो क्लिप को हाल ही में हुई एक विपक्षी रैली का बताकर साझा किया जा रहा है। इसलिए वायरल दावा झूठा है।