लाइटहाउस जर्नलिज्म को एक वीडियो मिला जो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो में स्कूली बच्चे तार से लटकी एक टोकरी में बैठकर नदी पार कर रहे हैं। कुछ बच्चे टोकरी में बैठे हैं, तो कुछ बच्चे उसे ऊपर से धक्का दे रहे हैं।

पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि सरकार जितनी मेहनत कांवड़ यात्रा में कर रही है, काश उतनी मेहनत इन बच्चों के लिए सड़क बनाने में कर पाती। पड़ताल के दौरान हमने पाया कि यह वीडियो भारत का नहीं बल्कि नेपाल का है।

क्या है दावा?

X यूजर Inderjeet Barak ने वीडियो अपने प्रोफ़ाइल पर साझा किया.

इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन देखें।

https://archive.ph/W2CpK

अन्य उपयोगकर्ता भी इसी दावे के साथ यही वीडियो शेयर कर रहे हैं।

जांच पड़ताल:

हमने वीडियो से प्राप्त कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च चलाकर जांच शुरू की।

हमें शॉर्ट वीडियो पर एक वॉटरमार्क भी मिला, जिस पर लिखा था, ‘@FreeDocumentary’।

रिवर्स इमेज सर्च के दौरान, हमें इंस्टाग्राम प्रोफाइल Infomance पर यह वीडियो मिला।

11 जून को पोस्ट किए गए वीडियो में लिखा था, ‘नेपाल के स्कूली छात्रों का दैनिक संघर्ष’।

जांच के दौरान हमें एक वेबसाइट भी मिली, जिसमें बताया गया था कि वीडियो का शीर्षक था, ‘स्कूल जाने के सबसे खतरनाक रास्ते – नेपाल सांस्कृतिक वृत्तचित्र’।

फिर हमने कीवर्ड सर्च के साथ यूट्यूब पर वीडियो को सर्च किया।

हमें ‘फ्री डॉक्यूमेंट्री’ के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किया गया वीडियो मिला, इसमें जो वॉटरमार्क था, वो हमने वायरल वीडियो पर देखा।

वीडियो 6 सितंबर, 2015 को अपलोड किया गया था। वीडियो का शीर्षक था: स्कूल जाने के सबसे खतरनाक रास्ते। नेपाल। डॉक्यूमेंट्री के विवरण में बताया गया है कि वीडियो कुमपुर के पहाड़ी गांव का है। कुमपुर गांव का समुदाय धाप पर्वत पर 18 खेतों में फैला हुआ है। उनके परिवार बहुत ही दूरदराज के इलाके में रहते हैं।

लगभग 22.44 मिनट पर वायरल वीडियो के सटीक दृश्य इस डॉक्यूमेंट्री में देखे जा सकते हैं। वीडियो में बताया गया कि नदी के बीच में पहुँचते ही टोकरी रुक जाती है, फिर अन्य तीन छात्र टोकरी को धक्का देते हैं।

निष्कर्ष: नदी पार कर स्कूल जाते बच्चों का वायरल वीडियो भारत का नहीं है। यह वीडियो नेपाल के कुमपुर गांव का है। वायरल दावा भ्रामक है।