रूस की परमाणु कंपनी Rosatom State Corporation भारत में अपने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) तैनात करने के लिए एक मजबूत प्रस्ताव रखने की तैयारी में है। इसके साथ ही रूस अपने नए-पीढ़ी के बड़े परमाणु रिएक्टर-आधारित प्रोजेक्ट्स को दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग की आधारशिला बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की आगामी भारत यात्रा के दौरान रूस के परमाणु उद्योग का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल उनके साथ होगा। यह वार्ता उस बैठक के आधार पर आगे बढ़ने की उम्मीद है जो 10 नवंबर को मुंबई में भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख अजीत कुमार मोहंती (Ajit Kumar Mohanty) और रूस की परमाणु कॉरपोरेशन के महानिदेशक एलेक्सी लिकचेव (Alexey Likhachev) के बीच हुई थी। मास्को स्थित यह कॉरपोरेशन परमाणु ऊर्जा और उससे जुड़े गैर-ऊर्जा उत्पादों में विशेषज्ञता रखती है।

भारत के लिए रूस का SMR प्रस्ताव

रूस छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के उभरते क्षेत्र में वैश्विक बढ़त रखता है। ये उन्नत परमाणु रिएक्टर पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में लगभग एक-तिहाई क्षमता रखते हैं, लेकिन कम-कार्बन बिजली का पर्याप्त उत्पादन कर सकते हैं।

दुनिया में फिलहाल दो SMR प्रोजेक्ट परिचालन में हैं। इनमें पहला है ‘अकादेमिक लोमोनोसोव फ्लोटिंग पावर यूनिट’, जिसमें 35 MWe क्षमता वाले दो मॉड्यूल हैं और जिसने मई 2020 में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया। यह स्वयं नहीं चलता, बल्कि एक फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर स्टेशन के रूप में पीवेेक बंदरगाह पर तैनात है, जहां यह स्थानीय ताप आपूर्ति और क्षेत्रीय विद्युत ग्रिड को बिजली देता है।

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दूसरा परिचालन SMR चीन का HTR-PM प्रदर्शन प्रोजेक्ट है, जिसे दिसंबर 2021 में ग्रिड से जोड़ा गया और दिसंबर 2023 में वाणिज्यिक संचालन शुरू करने की सूचना है। SMR नेतृत्व की वैश्विक दौड़ में शामिल प्रमुख कंपनियों में Holtec International, Rolls-Royce SMR, NuScale VOYGR, Westinghouse Electric का AP300 SMR और GE-Hitachi का BWRX-300 शामिल हैं।

कुडनकुलम परियोजना का विस्तार

नवंबर की बैठक में तमिलनाडु स्थित भारत के सबसे बड़े परमाणु स्टेशन कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट (KKNPP) की प्रगति की समीक्षा हुई, जिसे भारत-रूस ऊर्जा सहयोग की धुरी माना जाता है।

KKNPP की यूनिट-1 और यूनिट-2 में रूस के पहले-पीढ़ी के ‘VVER-1000’ रिएक्टर लगाए गए हैं, जो क्रमशः 2013 और 2016 में राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़े और दक्षिण भारत को बिजली दे रहे हैं।
यूनिट-3 में प्री-कमीशनिंग गतिविधियां चल रही हैं और सुरक्षा प्रणाली परीक्षण जैसे अहम चरणों की तैयारी हो रही है। यूनिट-4 पर निर्माण और उपकरण आपूर्ति जारी है, जबकि यूनिट-5 और 6 का निर्माण तेज़ी से प्रगति पर है। पूरे प्रोजेक्ट के तहत कुल छह ‘VVER-1000’ यूनिटों (6000 MWe) का निर्माण प्रस्तावित है।

रूस का एक प्रमुख वार्ताबिंदु भारत में नए-पीढ़ी के ‘VVER-1200’ रिएक्टर मॉडलों पर आधारित उच्च-क्षमता वाली परमाणु इकाइयों के श्रृंखलाबद्ध निर्माण का प्रस्ताव है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार ‘VVER-1200’ आधारित नए संयंत्र के लिए तकनीकी विनिर्देश रूस की ओर से प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

आगामी वार्ताओं में बड़े और छोटे – दोनों प्रकार के परमाणु संयंत्रों के विकास, ईंधन चक्र सहयोग और ‘मेक-इन-इंडिया’ के अनुरूप उपकरणों के स्थानीयकरण की संभावनाओं पर जोर रहेगा। रेलवे मंत्रालय के Rail Vikas Nigam Ltd जैसे उपक्रम रूस के SMRs को अपनी ऊर्जा जरूरतों के समाधान के रूप में देख रहे हैं।

फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर का प्रस्ताव

सहयोग के नए क्षेत्रों में रूस के डिज़ाइन वाले SMR का भारत में निर्माण भी शामिल है। अप्रैल 2024 में Rosatom ने भारतीय साझेदारों को अपने फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर समाधानों की जानकारी दी थी। इस क्षेत्र में वैश्विक विशेषज्ञता केवल रूस के पास है।

SMR तकनीकें दूरदराज के इलाकों में, जहाँ ग्रिड अवसंरचना सीमित है, स्वच्छ बिजली उपलब्ध कराने के साथ-साथ औद्योगिक इकाइयों की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए बनाई गई हैं। भारत इन्हें डेटा सेंटर्स जैसे ऊर्जा-सघन उपयोगों और बेस-लोड क्षमता को जल्दी बढ़ाने के समाधान के रूप में देख रहा है।

Rosatom की ईंधन कंपनी TVEL भारत को TVC-2M ईंधन उपलब्ध कराती है, जो कुडनकुलम को 18-महीने के ईंधन चक्र पर चलने में सक्षम बनाता है – इससे पारंपरिक 12-महीने के चक्र की तुलना में आर्थिक दक्षता बढ़ती है।

भारत का लक्ष्य: बेस-लोड क्षमता के लिए परमाणु ऊर्जा

भारत नागरिक परमाणु क्षेत्र में SMR को औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन के समाधान के रूप में आगे बढ़ा रहा है और इसमें वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाने की महत्वाकांक्षा भी रखता है।

SMR और बड़े रिएक्टर दोनों मिलकर ग्रिड को स्थिर बेस-लोड क्षमता प्रदान कर सकते हैं – जो नवीकरणीय ऊर्जा की अनियमितता के बीच संतुलन के लिए जरूरी है। थर्मल उत्पादन अभी भी महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन परमाणु ऊर्जा अधिक कार्बन-तटस्थ विकल्प है।

भारत में वर्तमान में 24 परिचालन परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी कुल क्षमता 7,943 MWe है। छह रिएक्टर (4,768 MWe) निर्माणाधीन हैं, और 10 और यूनिट – करीब 7 GWe – प्री-प्रोजेक्ट चरण में हैं। केंद्र सरकार 2047 तक परमाणु क्षमता को 100 GWe तक ले जाने के लक्ष्य पर काम कर रही है।

भारत के स्वदेशी SMR प्रयास के तहत Bhabha Atomic Research Centre तीन प्रकार के छोटे रिएक्टर विकसित कर रहा है—
• 200 MWe का BSMR-200,
• 55 MWe का SMR,
• और 5 MWt क्षमता का हाई-टेम्परेचर गैस-कूल्ड रिएक्टर, जिसे हाइड्रोजन उत्पादन के लिए उपयुक्त थर्मो-केमिकल प्रक्रियाओं से जोड़ा जाएगा।

सरकार ने SMR पर शोध-विकास के लिए 2 अरब डॉलर से अधिक की राशि निर्धारित की है और 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी SMR इकाइयों को चालू करने की योजना है। निजी क्षेत्र की भागीदारी सक्षम करने के लिए केंद्र सरकार परमाणु क्षेत्र के लिए नया कानूनी ढाँचा तैयार कर रही है और Atomic Energy Bill, 2025 ला रही है।

प्रस्तावित संशोधन के तहत Atomic Energy Act 1962 में बदलाव कर निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालन में 49% तक की अल्पांश हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी जाएगी, और विदेशी कंपनियों को भी निवेश का रास्ता मिलेगा। अब तक परमाणु क्षेत्र भारत के सबसे बंद क्षेत्रों में से एक रहा है।