भारतीय जनता पार्टी के केरल अध्यक्ष Rajeev Chandrasekhar दक्षिण भारत में पार्टी को मज़बूत करने की दिशा में लगातार सक्रिय हैं। Idea Exchange के तहत इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने केरल की राजनीति, स्थानीय निकाय चुनावों, एलडीएफ–यूडीएफ पर आरोपों, भाषा विवाद और 2026 के विधानसभा चुनावों को लेकर खुलकर अपनी बात रखी। इंटरव्यू के प्रमुख अंश नीचे दिए जा रहे हैं।
सवाल: त्रिवेंद्रम कॉरपोरेशन में जीत बड़ी बात है, लेकिन नगरपालिकाओं और जिला पंचायतों में बढ़त सीमित रही। इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब: यह बात सही है कि हमारा फोकस त्रिवेंद्रम कॉरपोरेशन और पलक्कड़ पर था। लेकिन बीजेपी–एनडीए पूरे राज्य में अपना विस्तार कर रही है। हमने 3,000 से 3,500 वॉर्ड जीतने का लक्ष्य रखा था। कई जगहों पर हम पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। 2,000 वॉर्डों में हम नंबर वन रहे और 500 वॉर्डों में हम नंबर दो पर आए। अगर 2020 से तुलना करें तो हमने बड़ी बढ़त बनाई है। यह सच है कि सीटों के मामले में हम एलडीएफ और यूडीएफ से आगे नहीं हैं, लेकिन अब इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी केरल में एक मज़बूत राजनीतिक ताकत बनकर उभर रही है। आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका असर साफ दिखेगा। मुकाबला अब यूडीएफ और एनडीए के बीच होगा।
सवाल: देश के कई हिस्सों में बीजेपी ने अपनी पकड़ बनाई है, लेकिन केरल हमेशा कठिन क्यों रहा?
जवाब: इसके दो बुनियादी कारण हैं। पहला, एलडीएफ और यूडीएफ ने मिलकर यह नैरेटिव बनाया कि बीजेपी एक सांप्रदायिक पार्टी है। दूसरा, केरल में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच एक तरह की गोपनीय समझ रही है, ताकि बीजेपी को रोका जा सके। अगर आप 2019 और 2024 के चुनावों के वॉर्ड पैटर्न देखें, तो कई जगहों पर लेफ्ट वोट कांग्रेस को ट्रांसफर होते दिखते हैं। हालिया लोकल बॉडी चुनावों में भी यही हुआ। कुछ इलाकों में कांग्रेस को जहां पहले 300–400 वोट मिलते थे, वहां इस बार 20–30 वोट ही मिले।
सवाल: तो क्या आप कहना चाहते हैं कि यह केरल की संस्कृति से जुड़ा मामला नहीं है?
जवाब: बिल्कुल। केरल की राजनीति बाकी राज्यों से अलग है। यहां दो ऐसी पार्टियां हैं, जिन्हें एक-दूसरे का विरोध करना चाहिए, लेकिन वे सिर्फ बीजेपी को रोकने के लिए साथ आ जाती हैं। इसी वजह से हमारा विस्तार कुछ धीमा रहा।
सवाल: बीजेपी ने नितिन नवीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। इसका क्या मतलब है?
जवाब: यह एक महत्वपूर्ण संकेत है। 45 साल के नेता को यह ज़िम्मेदारी देना दिखाता है कि पार्टी “विकसित भारत” की सोच के साथ आगे बढ़ रही है। युवाओं के सपनों और उनकी प्राथमिकताओं पर ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा। जाति और धर्म की राजनीति करने वाली पुरानी सोच को पीछे छोड़ा जाएगा।
सवाल: तो क्या बीजेपी में नई टीम आने से पुराने नेताओं की भूमिका खत्म हो जाएगी?
जवाब: आज की राजनीति में यह ज़रूरी नहीं है कि आपकी उम्र क्या है या आप कितने समय से राजनीति में हैं। असली सवाल यह होता है कि किसी चुनौती से निपटने में कौन ज़्यादा सक्षम है।
सवाल: दक्षिण के सांसद कुछ विधेयकों को लेकर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: यह सबसे आलसी किस्म की राजनीति है। बहस इस पर होनी चाहिए कि मनरेगा में सुधार क्यों ज़रूरी है, पिछले 10–20 सालों में क्या हुआ और अब सरकार क्या करने जा रही है। सिर्फ यह कहना कि किसी योजना का नाम हिंदी में है और इससे तमिल या मलयालम का अपमान हो रहा है, यह गंभीर राजनीति नहीं है।
सवाल: पिछले साल डीएमके ने भी हिंदी का मुद्दा उठाया, जरूरत क्या है?
जवाब: देश में दो भाषाएं व्यापक रूप से समझी जाती हैं-हिंदी और अंग्रेज़ी। आप हर चीज का नाम तमिल, भोजपुरी या कश्मीरी में नहीं रख सकते। इसलिए सरकार हिंदी या अंग्रेज़ी का विकल्प चुनती है, यह स्वाभाविक है।
सवाल: केरल बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर आप पार्टी को आगे कैसे बढ़ा रहे हैं?
जवाब: केरल का युवा परेशान है। 30 प्रतिशत कॉलेज सीटें खाली हैं और बच्चों को बाहर जाना पड़ता है। लोग अब लंबे भाषण नहीं, समाधान चाहते हैं। हम डिजिटल-फर्स्ट और माइक्रो-लेवल रणनीति पर काम कर रहे हैं। पिछले छह महीनों में हमने 100 से 200 नए चेहरों को आगे लाया है। लोकल बॉडी चुनावों में भी कम उम्र के नौजवानों को मौका दिया।
सवाल: 2024 में आप शशि थरूर से करीब 8,000 वोटों से हार गए थे, लेकिन इस बार बीजेपी ने कॉरपोरेशन जीता। इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: शशि थरूर 16 साल से त्रिवेंद्रम में हैं, फिर भी वह कॉरपोरेशन नहीं जीत पाए। मैं तो सिर्फ 35 दिन पहले यहां आया था। अगर 8,000 वोट और मिल जाते तो मैं जीत जाता। हालिया जीत दिखाती है कि केरल में बड़ा राजनीतिक बदलाव आने वाला है।
सवाल: केरल में बीजेपी नेता होना कितना मुश्किल है?
जवाब: यह मेरी ज़िंदगी की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है। जब मैंने 2023 में हमास का विरोध किया, बच्चों को रेडिकलाइज़ न करने की बात कही, तो केरल सीएम ने मुझ पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया। मैंने सिर्फ इतना कहा था कि बच्चों को गलत दिशा में न ले जाया जाए।
सवाल: जब केरल में 45 प्रतिशत आबादी ईसाई और मुस्लिम है और बीजेपी को हिंदू पार्टी माना जाता है, तब विस्तार कैसे होगा?
जवाब: हम आउटरीच प्रोग्राम चला रहे हैं। हर समुदाय तक जाकर साफ बताते हैं कि हमारी सोच क्या है। ईसाई और मुस्लिम समुदाय से जुड़े हमारे कई नेता हैं। हम फर्जी नैरेटिव को तोड़ते हैं और “सबका साथ, सबका विकास” की बात रखते हैं।
सवाल: 2026 में सरकार चाहे जिसकी बने, केरल के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी?
जवाब: केरल के लिए सबसे बड़ी चुनौती विकास है। तमिलनाडु में 24 लाख औद्योगिक श्रमिक हैं, जबकि केरल में एक लाख से भी कम। आज केरल में फूड इंफ्लेशन और बेरोज़गारी सबसे ज़्यादा है। केरल मॉडल’ अब ज़मीन पर नहीं दिखता। आने वाला चुनाव आर्थिक विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।
