तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को 47 साल बीत चुके। देश को 21 महीने तक जकड़े रहे इस आपातकाल की घोषणा 25-26 जून की दरम्यानी रात हुई थी। आपातकाल के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का आह्वान करने वाले जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय कहा था। 21 मार्च 1977 तक नागरिकों के अधिकार सीमित कर दिए गए थे। सत्ता के खिलाफ बोलना और अपराध हो गया था। विपक्षी दल के नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था। प्रेस पर कठोर सेंसरशिप लागू कर दिया गया था। विदेशी पत्रकारों को निर्वासित कर दिया गया था।
मनचाहे ढंग से झुग्गी-झोपड़ियों को उजाड़ा गया था। परिवार नियोजन के नाम पर जबरन नसबंदी का भयावह कार्यक्रम चलाया गया था। इतिहासकारों का मानना है कि तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा के कहने पर आपातकाल के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया था। इतनी जानकारी तो लगभग सभी को पता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1975 से पहले भी देश में दो बार आपातकाल लगाया चुका है। दरअसल 1975 में संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक आपातकाल लगाया था। उसके पहले दोनों बार लगाए गए आपातकाल बाह्य आपातकाल थे।
पहली बार कब लगा था आपातकाल: देश में पहला आपातकाल प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में ही लगा था। यह आपातकाल 1962 से 1968 तक रहा था। दरअसल चीन की सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को भारत पर हमला कर दिया। ये चीन और भारत के बीच हुआ पहला और इकलौता युद्ध है। चीन की तरफ से अचानक हुए हमले के कारण भारत को बाहरी खतरे से सुरक्षा के मद्देनजर देश में आपातकाल लगाना पड़ा था। सवाल उठता है कि जब चीन के साथ युद्ध नवंबर 1962 में खत्म हो गया था, तो फिर आपातकाल 1968 तक क्यों लगा रहा?
इसका जवाब है,पाकिस्तान। जी हां, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की वजह से देश में आपातकाल लम्बे समय तक लगा रहा है। 1962 के युद्ध में भारत चीन से हार गया था। देश का आत्मविश्वास टूटा हुआ था। पाकिस्तान ने इसे अपने लिए अवसर समझा और 1965 में हमला कर दिया। भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान की तरफ से हमला होने की आशंका पहले से थी, इसलिए सुरक्षा के मद्देनजर आपातकाल को 1968 तक लगे रहने दिया गया।
दूसरी बार कब लगा आपातकाल: देश में दूसरी बार आपातकाल नेहरू की बेटी इंदिरा ने ही लगाया था। साल 1971 की बात है। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। पाकिस्तान अपने ही मुल्क के लोगों पर अत्याचार कर रहा था। पाक सेना पूर्व पाकिस्तान (अभी का बांग्लादेश) में कहर ढाह रही थी। वहां की जनता भाग-भागकर भारत में पनाह ले रही थी। बाद में पूर्व पाकिस्तान के आन्दोलनकारियों ने ही अपनी ही सेना के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन छेड़ दिया। पाकिस्तान ने इसे भारत समर्थित माना और 3 दिसंबर 1971 को हमला कर दिया। भारत ने जवाब दिया। 13 दिन बाद ही युद्ध के परिणाम आ गए। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के कमांडर जनरल अमीर अब्दुल्लाह खान नियाजी ने ढाका में अपना सर्विस रिवॉल्वर इंडियन लेफ्टिनेंट जनलर जेएस अरोरा को सौंप दिया। इस युद्ध के दौरान भी देश को बाहरी खतरों से बचाने के लिए आपातकाल लगाया गया था। इस तरह भारत में कुल तीन बार आपातकाल लगाया जा चुका है।