सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एल्गार परिषद मामले की सुनवाई कर रही मुंबई की विशेष अदालत को तीन महीने के भीतर आरोप तय करने और आरोपियों को आरोपमुक्त करने की याचिका पर फैसला करने का निर्देश दिया है। चार साल पहले इस मामले में पुणे पुलिस ने नौ और एनआईए ने सात लोगों को गिरफ्तार किया था। 2018 के इस मामले में आज तक ट्रायल शुरू नहीं हो पाया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले में शीर्ष अदालत को बताया है कि आरोप तय करने की प्रक्रिया में देरी हो रही है क्योंकि आरोपी कई आवेदन दाखिल कर रहे हैं। वहीं आरोपी ने कोर्ट से कहा है कि मुकदमे को आगे बढ़ाने से पहले एनआईए को विशेष अदालत के समक्ष सभी दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उपलब्ध कराना चाहिए।
वर्नन गोंजाल्विस की याचिका पर सुनावई
सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी सामाजिक कार्यकर्ता वर्नन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आयी है। वर्नन गोंजाल्विस को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और वह भी तलोजा जेल में बंद हैं। विशेष अदालत और उच्च न्यायालय दोनों ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
गौरतलब है कि इस मामले में अब तक 16 गिरफ्तारी हो चुकी है। आदिवासियों के अधिकार के लिए आजाव उठाने वाले 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी इसमें से एक थे, जिनकी पिछले साल हिरासत में ही मौत हो गई थी। इसी मामले में गिरफ्तार तेलुगु कवि वरवर राव चिकित्सकीय जमानत पर जेल से बाहर हैं। पिछले साल दिसंबर में बंबई उच्च न्यायालय ने आरोपी सुधा भारद्वाज को नियमित जमानत पर रिहा कर दिया था। हालांकि अब भी 13 आरोपी विभिन्न जेलों में बंद हैं।
क्या है मामला?
यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवार वाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम से जुड़ा है। इस कार्यक्रम के अगले दिन महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव के पास मराठा और दलित समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थी। पुलिस ने आरोप लगाया कि एल्गार परिषद के कार्यक्रम भड़काऊ भाषण देकर हिंसा को उकसाया गया।
दूसरी तरफ दलित समूहों और एनसीपी प्रमुख शरद पवार सहित कई अन्य लोगों ने दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े पर नफरत भरे भाषणों के जरिए हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। 2018 में शुरू हुए एल्गार परिषद मामले की जांच में कई मोड़ आ चुके हैं।
शुरुआत में हिंसा का तार कथित ‘अर्बन नक्सल’ समूह से जोड़ा गया। बाद में पुणे पुलिस ने आरोपों का विस्तार करते हुए उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बनाने का आरोप भी शामिल कर लिया। इतने गंभीर आरोपों और गिरफ्तारियों के बावजूद अब तक इस मामले में ट्रायल की शुरुआत भी नहीं हुई है।