एनसीपी नेता अजीत पवार की अगुवाई में महाराष्ट्र की शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी की सरकार में पार्टी के जो 9 मंत्री बने हैं, उनमें से कम से कम 4 नेताओं या उनके परिवार के खिलाफ ED या एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच चल रही है। इनमें खुद डिप्टी सीएम बने अजित पवार, कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ और आदिति तटकरे के पिता सुनील तटकरे शामिल हैं। विपक्षी पार्टियां, अजित पवार के अचानक सरकार में शामिल होने को इन जांच से भी जोड़ रही हैं।
हालांकि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में छगन भुजबल ने कहा कि विपक्षियों का आरोप है कि मुकदमों के दबाव में हमने सरकार को समर्थन देना का फैसला लिया, लेकिन अजित दादा (अजित पवार) पर तो कोई केस ही नहीं है। मेरे खिलाफ जो सबसे बड़ा केस था, वह बंद हो चुका है।
1 – अजित पवार
कॉपरेटिव बैंक केस
महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम बनने वाले अजित पवार के खिलाफ महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक द्वारा दिए गए लोन के मामले में जांच चल रही है। इस मामले में इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) तो जांच कर ही रही है। साथ ही ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया है। साल 2019 में महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की अगुवाई में महा विकास अघाडी (MVA) की सरकार बनने के कुछ महीनों बाद सितंबर 2020 में ईओडब्ल्यू ने कहा था कि उसे अजित पवार के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। लेकिन ईडी ने ईओडब्ल्यू के इस स्टैंड को खारिज कर दिया। हालांकि ईडी की आपत्ति को स्पेशल कोर्ट ने ने नहीं माना था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यदि EOW किसी केस को बंद कर कर देती है तो ईडी उसमें जांच जारी नहीं रख सकती है।
बाद में स्पेशल कोर्ट ईओडब्ल्यू की क्लोजर रिपोर्ट पर कोई फैसला लेती है, इससे पहले ही जून 2022 में राज्य में सरकार बदल गई और ईओडब्ल्यू का स्टैंड भी चेंज हो गया। अक्टूबर 2022 में ईओडब्ल्यू ने कहा कि वह अजित पवार के खिलाफ जांच जारी रखना चाहती हैं और अपनी ही क्लोजर रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया। अभी ईओडब्लू की जांच चल रही है, दूसरी तरफ ईडी ने इसी साल अप्रैल में अपनी चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें अजित पवार का जिक्र किया है।
सिंचाई घोटाला
अजित पवार के खिलाफ कथिच सिंचाई घोटाले में भी जांच चल रही है। पवार जब कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में जल संसाधन मंत्री और विदर्भ इरिगेशन डेवलपमेंट के चेयरमैन हुआ करते थे, तब उनपर सिंचाई विभाग से जुड़े कई प्रोजेक्ट में धांधली का आरोप लगा और मामला कोर्ट पहुंचा। कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने उनके खिलाफ जांच शुरू की। 2019 में जब महा विकास अघाडी की सरकार बनी तब एसीबी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। बाद में जब बीजेपी की सरकार बनी तब कुछ नेताओं ने मामले की दोबारा जांच की मांग की।
2- हसन मुश्रीफ
हसन मुश्रीफ शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने वाले हसन मुश्रीफ के खिलाफ सरसेनापती संताजी घोरपडे शुगर फैक्ट्री लिमिटेड और परिवार से जुड़ी दूसरी कंपनियों के मामले में ईडी की जांच चल रही है। बॉम्बे हाई कोर्ट और मुंबई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुश्रीफ ने दावा किया था कि उनके खिलाफ जानबूझकर साजिश रची गई और ईडी के केस में फंसाया गया ताकि राजनीतिक करियर खत्म कर दिया जाए।
इसी साल अप्रैल में विशेष अदालत ने मुश्रीफ की अग्रिम अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया। जहां से उनकी अग्रिम राहत कई बार बढ़ी। पिछले सप्ताह ही मुश्रीफ की अग्रिम राहत 11 जुलाई तक के लिए बढ़ाई गई थी। दूसरी तरफ मुश्रीफ के तीन बेटों की अग्रिम जमानत याचिका भी अभी ईडी और स्पेशल कोर्ट के सामने लंबित है।
3- छगन भुजबल
महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने छगन भुजबल और 16 अन्य के खिलाफ साल 2015 में बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल एक पीआईएल के बाद मुकदमा दर्ज किया था। इस पीआईएल में साल 2006 में 3 प्रोजेक्ट के करीब 100 करोड़ के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था। तब छगन भुजबल राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री हुआ करते था और तीनों प्रोजेक्ट, जिसमें दिल्ली में महाराष्ट्र सदन बनाने, मुंबई में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस की बिल्डिंग और मालाबार हिल में स्टेट गेस्ट हाउस बनाना का ठेका चमनकर डेवलपर्स को मिला था।
छगन भुजबल के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया था। इस मामले में 2 साल जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली थी। साल 2021 में जब राज्य में महा विकास आघाडी की सरकार थी, तब स्पेशल अदालत ने छगन भुजबल और अन्य को आरोपों से बरी कर दिया था। बाद में इसी साल एक एक्टिविस्ट ने फिर बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया। फिलहाल मामला कोर्ट में पेंडिंग।
4- अदिति तटकरे के पिता सुनील तटकरे
एंटी करप्शन ब्यूरो जिस कथित सिंचाई घोटाले में अजित पवार के खिलाफ जांच कर रही हैं, उसमें कैबिनेट मंत्री बनने वालीं अदिति तटकरे के पिता सुनील तटकरे का नाम भी है। साल 2017 में एंटी करप्शन ने जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें तटकरे को आरोपी नहीं बनाया था, लेकिन अधिकारियों का कहना था कि इस मामले में अभी एक अलग चार्जशीट दाखिल की जाएगी। इससे पहले साल 2012 में ईडी भी इसी मामले में तटकरे के खिलाफ इसी मामले में प्राथमिक जांच शुरू की थी।
5- प्रफुल्ल पटेल
अजित पवार के सरकार में शामिल होने के बाद अटकलें लग रही हैं कि एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल केंद्र में मंत्री बन सकते हैं। पटेल भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के रडार पर हैं। आरोप है कि यूपीए सरकार में सिविल एविएशन मिनिस्टर रहते हुए प्रफुल्ल ने कथित तौर पर कई गड़बड़ियां की, जिसमें विदेशी एयरलाइन को प्रॉफिटेबल रूट देने से लेकर एफडीआई से जुड़े मामले हैं।
हालांकि सीबीआई और ईडी ने अपनी एफआईआर में प्रफुल्ल पटेल का नाम नहीं लिया था, लेकिन ईडी एक बार उनसे पूछताछ कर चुकी है। 1 मई 2019 को जब ईडी ने अपनी चार्जशीट दाखिल की तब इसमें भी पटेल का जिक्र किया था, लेकिन वह भी आरोपी के तौर पर नहीं बल्कि दीपक तलवार के ”डीलर दोस्त” के तौर पर।