जम्मू-कश्मीर में ड्रग महामारी का रूप ले चुका है। नशा करने वाले युवाओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी ताजा पड़ताल में पाया है घाटी के सबसे बड़े नशा मुक्ति केंद्र में नशे के आदी नौजवानों की संख्या 75 प्रतिशत तक बढ़ी है। और ऐसा सिर्फ एक साल में हुआ।

श्रीनगर के SMHS (Shri Maharaja Hari Singh) अस्पताल में घाटी का सबसे बड़ा नशा मुक्ति केंद्र चलता है। मार्च 2022 से मार्च 2023 तक नशे के शिकार 41,110  युवा केंद्र में पहुंचे थे। मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच यह आंकड़ा 23,403 था।

अब दूसरे शब्दों में कहें तो मार्च 2022 से मार्च 2023 के बीच हर 12 मिनट में एक मरीज, प्रत्येक घंटे पांच मरीज और रोजाना 114 मरीज ओपीडी आए हैं। नशा करने वाले 90 प्रतिशत युवा 17 से 30 वर्ष के हैं। हालात इतनी गंभीर है कि जम्मू -कश्मीर के शीर्ष पुलिस अधिकारी डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस दिलबाग सिंह ने इसे मिलिटेंसी से भी बदतर बताया है।

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में सिंह ने कहा, यह स्पष्ट होना चाहिए कि ड्रग एक बहुत बड़ी समस्या है। वर्तमान में समाज जिन नशीली दवाओं के खतरे का सामना कर रहा है, वह आतंकवाद से भी बड़ा है। अगर हमने अभी ध्यान नहीं दिया तो देर हो जाएगी।

घाटी को ड्रग का शिकार बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर के जनरल ऑफ पुलिस पाकिस्तान को जिम्मेदार मानते हैं। वह कहते हैं, “पाकिस्तानी एजेंसियां अब आतंकवाद फैलाने के लिए नशीली दवाओं का इस्तेमाल कर रही हैं। इससे आतंकवाद और सोशल क्राइम मिक्स हो रहा है। पाकिस्तान इस तरह शांति का रास्ता चुनने के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को दंडित कर रहा है।”

सिंह पंजाब का उदाहरण देते हुए कहते हैं,”पंजाब में भी ऐसा ही किया गया। वहां आतंकवाद बहुत पहले ही खत्म हो चुका है, लेकिन ड्रग्स की समस्या पहले जैसी ही भयावह है। हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

Dilbag Singh
जम्मू-कश्मीर के जनरल ऑफ पुलिस दिलबाग सिंह

दो महीनों में द इंडियन एक्सप्रेस ने बारामूला से श्रीनगर, कुपवाड़ा से अनंतनाग तक कई एडिक्शन ट्रीटमेंट सेंटर का दौरा किया। जम्मू कश्मीर में ड्रग किस कदर कहर बरपा रहा है यह जानने के लिए टीम ने अफेक्टेड परिवारों, डॉक्टर्स, साइकेट्रिस्ट, काउंसर्स, ब्यूरोक्रेट्स और पुलिस अधिकारियों से बात की। साथ ही ऑफिसियल डॉक्यूमेंट्स की पड़लात भी की है।

De-addiction Centre in Srinagar
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नशा करने वाले 25 प्रतिशत बेरोजगार

नशीली दवाओं का सबसे अधिक इस्तेमाल 15 से 30 आयु वर्ग के युवा पुरुष कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार के सहयोग से2022-23 में इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, कश्मीर (Imhanks-K) ने एक सर्वे किया था, जिसके परिणाम बताते हैं कि नशा करने वाले 25%  बेरोजगार हैं, 15% ग्रेजुएट हैं, 14% इंटरमीडिएट हैं, 33% मैट्रिक हैं और केवल 8% निरक्षर हैं।

पिछले 18 महीनों में कश्मीर डिवीजन के 10 में से आठ जिलों को एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी (ATF) मिली है। शेष दो जिलों में से एक (कुपवाड़ा) में नशा मुक्ति केंद्र है और दूसरे (गांदरबल) में जल्द ही ATF होगा। इस अवधि में पांच जिलों – बांदीपोरा, बडगाम, शोपियां, कुलगाम और पुलवामा में ATF ने सामूहिक रूप से 6,000 मरीजों का इलाज किया है।

 socio-demographic profile of users
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नशा करने वाले हर 4 में से 3 हेरोइन ले रहे हैं

पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि साल 2019 में 103 किलोग्राम हेरोइन जब्त किए गए थे। 2022 में यह संख्या दोगुनी से अधिक होकर 240 किलोग्राम हो गई। कश्मीर में नशीली दवाओं का सेवन करने वाले चार में से तीन लोग हेरोइन का सेवन करते हैं। 2022 में पुलिस ने 1,850 एफआईआर दर्ज की थी और 2,756 गिरफ्तारियां की थी। 2019 की तुलना में गिरफ्तारी और FIR दोनों में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

यदि हेरोइन सबसे अधिक खपत वाली दवा है, तो यह सबसे महंगी भी है। Imhanks-K के सर्वे में यह पाया गया है कि हेरोइन का आदी एक व्यक्ति महीने में औसतन 88,183 रुपये खर्च कर रहा है।

Heroin injection
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सरकार का क्या कहना है?

जम्मू कश्मीर में ड्रग की समस्या और इसके समाधान के सवाल पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “इस मुद्दे पर हमारा पूरा ध्यान है…  सबसे पहले दवाओं की आपूर्ति के चैनल को ध्वस्त किया जाना चाहिए। दूसरा जागरूकता बढ़ाना और तीसरा पीड़ित के साथ अपराधी जैसा व्यवहार न करना और पुनर्वास के अवसर प्रदान करना है। उनके नेटवर्क को निशाना बनाने के लिए अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं। हमने उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की है जो सरकार में हो सकते हैं। यह कार्रवाई अभी जारी रहेगा।”