बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में मंगलवार (28 फरवरी) को उस समय नाटकीय सीन देखने को मिला, जब कोर्ट ने 11 साल के एक बच्चे की कस्टडी उसके पिता को सौंप दी। लेकिन बच्चा पिता के साथ जाने को तैयार नहीं था। कोर्ट परिसर में बच्चा पिता का हाथ छुड़ाकर वापस कोर्ट के अंदर पहुंच गया। नाटकीय घटनाक्रम के बाद मामले में फैसला देने वाली हाईकोर्ट की बेंच दोबारा बैठी और बच्चे के मामा की तरफ से पेश वकील को कड़ी फटकार लगाई। 0000

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, एक शख्स ने अपनी पत्नी की कैंसर से मौत के बाद बेटे की कस्टडी के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बच्चा अपने नाना और मामा के साथ रह रहा था। फरवरी 2022 में हाई कोर्ट ने शख्स के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बावजूद जब बच्चे के मामा और नाना ने उसकी कस्टडी नहीं सौंपी तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गमा। सुप्रीम कोर्ट ने भी सितंबर 2022 में पिता के पक्ष में फैसला सुनाया।

हालांकि इसके बावजूद बच्चे के नाना और मामा उसकी कस्टडी पिता को सौंपने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद शख्स ने दोबारा हाईकोर्ट में अवमानना का केस दायर कर दिया। पिता ने आरोप लगाया कि बच्चे के नाना और मामा उसे (बच्चे) को प्रताड़ित कर रहे हैं और पिता के साथ ना जाने के लिए दबाव बना रहे हैं। हाईकोर्ट में जस्टिस एएस गडकरी (AS Gadkari) और जस्टिस पीडी नाइक ( PD Naik) की डिविजनल बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट परिसर में ही पुलिस की मौजूदगी में पिता को बेटे की कस्टडी देने का आदेश दिया।

कोर्ट के आदेश के बाद चीखने लगा बच्चा

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब पिता बच्चे को अपने साथ घर ले जाने लगे तो वह चीखने-चिल्लाने लगा और कार में बैठने को तैयार नहीं हुआ। पिता का हाथ छुड़ाकर वापस हाईकोर्ट के अंदर भागा। इसी दौरान पिता की उसके ससुराल वालों से मारपीट भी हो गई।

कोर्ट ने वकील को लगाई फटकार

मामला दोबारा बेंच के सामने पहुंचा। बच्चे की ननिहाल की तरफ से पेश एडवोकेट इमरान शेख ( Imran Shaikh) ने कोर्ट को पूरा वाकया बताया और वीडियो दिखाने की कोशिश की। लेकिन कोर्ट ने एडवोकेट को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जब न्यायालय ने आदेश दे दिया तो उसका पालन होना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट में मौजूद पुलिस कर्मियों को भी कड़ी चेतावनी दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कस्तूरबा मार्ग पुलिस स्टेशन को शाम 7:00 बजे तक बच्चे की कस्टडी उसके पिता को देने का आदेश दिया।

आदेश मानना है तो मानिये वरना…

हालांकि इस दौरान पिता ने दरख्वास्त की कि बच्चे की कस्टडी उसके पिता के घर के नजदीकी पुलिस स्टेशन से दिलाई जाए। इस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सब कुछ आपकी सहूलियत के हिसाब से नहीं होगा। जो आदेश है उसे मानिये, वरना वापस जाइए।