Pakistan-U.S. Relations Trump Administration: अमेरिका के चुनाव नतीजों को लेकर जितनी दिलचस्पी भारत में है उतनी ही लगभग पाकिस्तान में भी है। चुनाव नतीजों में डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं और उन्होंने कमला हैरिस को शिकस्त दी है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पाकिस्तान को क्या नुकसान और फायदे हो सकते हैं, इसे लेकर पड़ोसी मुल्क में चर्चा हो रही है। अमेरिका में भी बड़ी संख्या में पाकिस्तान के लोग रहते हैं।
बताना होगा कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत में कई जगहों पर उनकी जीत की खुशी मनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव जीतने पर बधाई दी है।
आर्थिक सहायता हो सकती है कम
विदेश नीति को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का जो नजरिया है वह अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने वाला है और ऐसा होने पर पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली विदेशी सहायता में कमी आ सकती है और अमेरिका से मिलने वाला पैसा विकास के बड़े प्रोजेक्ट्स के बजाय सुरक्षा पर ही खर्च किया जाएगा।
अमेरिका-चीन के रिश्ते और पाकिस्तान
डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका और चीन के संबंधों में काफी गिरावट आई थी। ट्रंप का मानना है कि चीन हमेशा से अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी रहा है और दूसरे कार्यकाल में भी ट्रंप का यही स्टैंड बरकरार रह सकता है। अमेरिका का यह रुख पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान के चीन के साथ रणनीतिक संबंध काफी मजबूत हैं। विशेष रूप से चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) की वजह से।
CPEC कॉरिडोर में चीन ने बड़े पैमाने पर पैसा निवेश किया है। पाकिस्तान की सरकार का साफ-साफ कहना है कि यह कॉरिडोर पाकिस्तान की रीढ़ है। पाकिस्तान की सरकार के मंत्री अताउल्लाह तरार का कहना है कि CPEC हमारे लिए बेहद जरूरी है और पाकिस्तान के लिए बड़ा गेम चेंजर है।
तरार ने हाल ही में कहा था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का CPEC को लेकर जो रुख है उसे पाकिस्तान में पूरी तरह से लागू किया गया है और अब हम CPEC के दूसरे चरण में आगे बढ़ चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि CPEC पाकिस्तान की आर्थिक तरक्की के लिए बेहद जरूरी है।
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ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पाकिस्तान के लिए निश्चित रूप से चुनौती बढ़ेगी क्योंकि इस्लामाबाद को चीन के साथ संबंधों को बनाए रखने के साथ ही अमेरिका से भी अपने संबंध बेहतर करने होंगे। अगर अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता में और शर्तें जुड़ती हैं और अमेरिकी निवेश कम होता है तो निश्चित रूप से पाकिस्तान को चीन पर और ज्यादा निर्भर होना पड़ सकता है।
ट्रंप और मोदी के बेहतर संबंध
पाकिस्तान के लिए एक मुश्किल वाली बात यह भी है कि डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर संबंध हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान पहले कार्यकाल में भारत में नमस्ते ट्रंप का कार्यक्रम करवाया गया था जबकि अमेरिका में भी ट्रंप की ओर से हाउडी मोदी नाम से कार्यक्रम का आयोजन हुआ था।
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के ताल्लुकात और बेहतर होंगे और इसका असर पाकिस्तान पर पड़ सकता है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद से ही रिश्तों में तनाव चल रहा है। अगर ट्रंप प्रशासन ने कश्मीर में भारत की भूमिका को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार का साथ दिया तो निश्चित रूप से पाकिस्तान की चिंताएं इससे बढ़ेंगी।
ट्रंप ने पहले भी दक्षिण एशिया में परमाणु सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है और उनका प्रशासन पाकिस्तान को अमेरिकी सहायता और समर्थन देने के लिए और भी सख्त शर्त लगा सकता है। ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान की परमाणु संपत्तियों पर निगरानी बढ़ा सकता है। इसके अलावा ट्रंप का प्रशासन पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों विशेष रूप से ऐसे समूह जिससे अमेरिका पर असर पड़ता हो उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान को आर्थिक सहायता रोकने तक का आदेश दे दिया था और इसके पीछे वजह यह बताई गई थी कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस की आतंकवादियों के साथ मिलीभगत है।
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मुश्किलों से जूझ रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान में पहले से ही आर्थिक हालात बेहद खराब हैं और यह मुल्क आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान लंबे वक्त से जेल की सलाखों के पीछे हैं और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ता शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
शहबाज शरीफ ने जब सत्ता संभाली थी तो उन्होंने मुल्क के हालात सुधारने का वादा किया था लेकिन वह इसमें कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं। आर्थिक सकंट की वजह से देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी है और इसका देश की स्थिरता और विकास पर खराब असर पड़ रहा है और ऐसे हालात में अगर अमेरिका का रवैया सख्त रहा तो निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए ट्रंप की जीत उसकी मुश्किलें बढ़ाने वाली ही होगी।