अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर शुल्क लगाया है। हालांकि 90 दिन के लिए इस पर रोक लगाई गई है, लेकिन इसका असर अभी से दिखने लगा है। दुनिया के कई देशों में उत्पादन में गिरावट आनी शुरू हो चुकी है। परचेजिंग मैनेजर्स के एक सर्वेेक्षण में पता चला है कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी और ब्रिटेन में निजी क्षेत्र का उत्पादन कम हुआ है। दक्षिण कोरिया में अप्रैल के पहले 20 दिनों में निर्यात 5.2 फीसद कम हुआ है। सर्वेक्षण में अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई देशों के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम कर दिया गया है।
अनिश्चितता से कारोबारियों का भरोसा और मांग कम हुई : एक रपट के मुताबिक, एसएंडपी ग्लोबल और हैम्बर्ग कमर्शियल बैंक ने जर्मनी की कंपनियों का सर्वे किया है। इसके मुताबिक, अमेरिकी शुल्क की चिंता और अनिश्चितता से कारोबारियों का भरोसा और मांग कम हुई है। जर्मनी का क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआइ) अप्रैल में 49.7 रहा जो मार्च में यह 51.3 था। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखता है। अगर यह 50 से कम है, तो इसका मतलब है कि उत्पादन कम हो रहा है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जर्मनी में उत्पादन में यह गिरावट कई वजहों से हो सकती है। शुल्क से जुड़ी अनिश्चितता जैसे अंतरराष्ट्रीय कारणों के अलावा यह घरेलू आर्थिक कमजोरी को भी दिखाता है। इसका मतलब है कि सिर्फ कर ही नहीं, बल्कि जर्मनी की अपनी अर्थव्यवस्था भी कमजोर है। आइएमएफ के मुताबिक, इस साल जर्मनी की आर्थिक वृद्धि शून्य रहने का अनुमान है। इसी तरह ब्रिटेन में एसएंडपी ग्लोबल ने कहा कि सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि अमेरिकी शुल्क का बुरा असर पड़ा है। इससे ग्राहकों का भरोसा भी कम हुआ है। इस महीने देश का पीएमआइ 48.2 रहा, जो नवंबर 2022 के बाद सबसे कम है।
रिसर्च फर्म पैंथेन मैक्रोइकानामिक्स के प्रमुख राब वुड ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के शुल्क ने यूके की वृद्धि को धीमा कर दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मंदी नहीं दिख रही है। ट्रंप के निर्यात शुल्क की वजह से वैश्विक व्यापार में गिरावट आ रही है। दक्षिण कोरिया की कस्टम्स सर्विस ने बताया कि अप्रैल के पहले 20 दिनों में निर्यात 5.2 फीसद कम हुआ है। दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था में भी निर्यात की अहम भूमिका है।
ट्रंप के शुल्क से भारत को फायदा : वियतनाम पर लगाए गए भारी-भरकम अमेरिकी शुल्क के बीच दक्षिण कोरियाई दिग्गज कंपनी सैमसंग अपने स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण का कुछ हिस्सा भारत में लाने पर विचार कर रही है। मीडिया रपट के मुताबिक, इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, हां भारत में इलेक्ट्रानिक विनिर्माण को लेकर बातचीत चल रही है। उन्होंने आगे कहा, सिर्फ सैमसंग ही नहीं, कई और कंपनियां भी अपनी त्पादन इकाइयां भारत में लगाने की संभावनाएं तलाश रही हैं।
इससे पहले गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक के भारत में अपने भागीदार-डिक्सन टेक्नोलाजीज और फाक्सकान के साथ पिक्सेल स्मार्टफोन के उत्पादन का एक हिस्सा वियतनाम से भारत लाने के लिए चर्चा शुरू किए जाने की जानकारी सामने आई थी।