Delhi Assembly Elections BJP vs AAP: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं राजधानी के लोगों के बीच हो रही हैं। जैसे- राजधानी में किस वर्ग के मतदाताओं ने किस राजनीतिक दल को कितना वोट दिया है। किसी समुदाय की ज्यादा आबादी वाली सीटों पर किस राजनीतिक दल को जीत मिली है। बात करते हैं कि सिख और पंजाबी समुदाय की बहुलता वाली सीटों पर किसे जीत मिली है।

बताना होगा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 48 और आम आदमी पार्टी ने 22 सीटें जीती हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर भी चर्चा जोरों पर है।

20 सीटों पर है सिख-पंजाबी मतदाताओं का असर

दिल्ली की राजनीति में सिख और पंजाबी समुदाय काफी प्रभावशाली है। 70 सीटों वाली दिल्ली में कम से कम 20 सीटें ऐसी हैं, जिसे सिख और पंजाबी मतदाता प्रभावित करते हैं। चुनाव के नतीजों को देखने से पता चलता है कि बीजेपी को इन 20 में से 17 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी को जिन तीन पंजाबी बहुल विधानसभा सीटों पर हार मिली उन सीटों के नाम- तिलक नगर, करोल बाग और पटेल नगर हैं।

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पंजाबी और सिख समुदाय की बड़ी आबादी वाली 20 सीटों में से पश्चिमी दिल्ली में 16, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली में चार-चार सीटें हैं। पश्चिमी दिल्ली में आने वाली ऐसी सीटों के नाम- जनकपुरी, मादीपुर, हरि नगर, राजौरी गार्डन, तिलक नगर, त्रिनगर, करोल बाग, राजिंदर नगर, पटेल नगर, मोती नगर, विकासपुरी और शालीमार बाग हैं।

पूर्वी दिल्ली में चार ऐसी सीटें हैं जहां पर सिख-पंजाबी मतदाता ताकतवर हैं। इन सीटों के नाम- गांधी नगर, कृष्णा नगर, शाहदरा और विश्वास नगर हैं, वहीं दक्षिणी दिल्ली में जंगपुरा, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर और ग्रेटर कैलाश में भी सिख-पंजाबी समुदाय की बड़ी आबादी रहती है।

क्या कहते हैं पिछले चुनाव के नतीजे?

अगर आप 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में इन पंजाबी बहुल सीटों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो यह समझ में आएगा कि बीजेपी को तब सिर्फ इन 20 में से दो सीटों- गांधी नगर और विश्वास नगर पर जीत मिली थी।

BJP को मिली जबरदस्त कामयाबी

चुनाव नतीजों का विश्लेषण करने से एक बड़ी बात यह भी सामने आती है कि बीजेपी ने इस बार जो 17 सीटें जीती हैं, उसमें सिर्फ एक सीट पर जीत का अंतर 10 हजार वोटों से कम है। यह सीट हरि नगर है। इससे पता चलता है कि सिख और पंजाबी मतदाताओं वाली सीटों पर पार्टी को जबरदस्त कामयाबी मिली है।

पिछले दो विधानसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिमी दिल्ली में ऐसी 10 सीटें, जहां पर सिख और पंजाबी समुदाय की आबादी ज्यादा है, इनमें से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी जबकि पंजाबी समुदाय के मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास को बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है। पिछले दोनों ही चुनाव में इन सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी और उससे पहले कांग्रेस इन सीटों पर चुनाव जीती थी।

दिल्ली में लगभग सभी जगहों पर पंजाबी मतदाताओं की आबादी दिखाई देती है लेकिन विशेषकर पश्चिमी इलाके में पंजाबी समुदाय बड़ी संख्या में है। पंजाबी और सिख समुदाय की इस इलाके में आबादी 55 से 60% है।

दिल्ली में चुनाव तो जीत गई BJP लेकिन इस मामले में रह गई AAP से पीछे

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दिल्ली में बीजेपी ने बनाई है सरकार। (Source-Jansatta)

मिडिल क्लास ने किया बीजेपी का सपोर्ट

इस मामले में द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा, ‘पंजाबी वोटर्स को आमतौर पर बीजेपी का समर्थक माना जाता है। दिल्ली में ज्यादातर पंजाबी परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी है। इसमें बड़ी संख्या में लोग व्यापारी हैं और व्यापारी समुदाय बीजेपी का समर्थक रहा है। इसके अलावा गैर व्यापारी पंजाबियों की भी आर्थिक स्थिति अच्छी है इसलिए पंजाबी बहुल इलाकों में मिडिल क्लास ने इस बार बीजेपी का सपोर्ट किया है।’

बीजेपी को पंजाबी समुदाय का वोट क्यों मिला, इस सवाल के जवाब में बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा, ‘मिडिल क्लास आम आदमी पार्टी सरकार की एकतरफा योजनाओं से परेशान था क्योंकि इससे सिर्फ एक वर्ग को फायदा मिल रहा था। उन्हें इन योजनाओं से कोई फायदा नहीं होता था और विशेषकर मुफ्त बिजली वाली योजना से। मिडिल क्लास पूरी दिल्ली में इंफ्रास्ट्रक्चर के खराब होने की वजह से भी परेशान था। पानी की कमी, ट्रैफिक का मामला, टूटी हुई सड़कें, प्रदूषण और नौकरियों की कमी की वजह से यह वर्ग काफी प्रभावित हुआ क्योंकि इस वर्ग के लोग भी टैक्स पेयर हैं।’

बीजेपी नेता ने बताया कि कथित आबकारी घोटाला, शीशमहल का मामला सहित आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बीजेपी मिडिल क्लास के लोगों को समझाने में कामयाब रही कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने पिछले 10 साल में कोई काम नहीं किया है और वह सिर्फ एलजी और केंद्र सरकार से ही लड़ती रही।

बीजेपी नेता ने यह वजह भी बताई कि आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्रिमंडल में पिछले 10 साल में किसी भी सिख या पंजाबी समुदाय के व्यक्ति को मंत्री नहीं बनाया गया। बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी की नई सरकार के मंत्रिमंडल में पंजाबी चेहरों को जगह मिल सकती है।

बीजेपी ने पंजाबी नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

बीजेपी ने दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पंजाबी समुदाय से ही आने वाले वीरेंद्र सचदेवा को दी और पूर्वी दिल्ली से सांसद हर्ष मल्होत्रा को भारत सरकार में मंत्री बनाया। इन दोनों ही नेताओं को पंजाबी मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में लाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा मोदी सरकार में आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी एक सिख चेहरे के रूप में सामने आए और इस वजह से पंजाबी और सिख मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया।

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पंजाब में चल रही राजनीतिक हलचल पर है बीजेपी की नजर।

क्या बोले मनजिंदर सिंह सिरसा?

दिल्ली में बीजेपी के प्रमुख सिख चेहरे और राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि पश्चिमी दिल्ली में बहुत सारी समस्याएं हैं। आम आदमी पार्टी ने स्कूलों में पंजाबी भाषा को बढ़ावा नहीं दिया, फैकल्टी की नियुक्ति नहीं की और पंजाबी अकादमी को लेकर भी कोई काम नहीं किया।

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