दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी मैदान सज गया है। दिल्ली कांग्रेस की नजर राजधानी की कई विधानसभा सीटों पर असर रखने वाले सिख और पंजाबी वोटों पर है। इसके लिए वह पंजाब में जीते कांग्रेस के नेताओं को दिल्ली बुला रही है जिससे दिल्ली के पंजाबी और सिख मतदाता कांग्रेस के पक्ष में एकजुट हो सकें।
बता दें कि 1998 से 2013 तक दिल्ली में लगातार सरकार चलाने वाली कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले दो विधानसभा चुनाव में बेहद निराशाजनक रहा है।
2013 के विधानसभा चुनाव में जब आम आदमी पार्टी ने पहली बार दिल्ली का विधानसभा चुनाव लड़ा था तभी से कांग्रेस कमजोर होती गई और हालात यह बन गए कि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में वह अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
पिछले कुछ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे
| साल | बीजेपी को मिली सीटें | आप को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
| 2013 विधानसभा चुनाव | 31 | 28 | 8 |
| 2014 लोकसभा चुनाव | 7 | 0 | 0 |
| 2015 विधानसभा चुनाव | 3 | 67 | 0 |
| 2019 लोकसभा चुनाव | 7 | 0 | 0 |
| 2020 विधानसभा चुनाव | 8 | 62 | 0 |
| 2024 लोकसभा चुनाव | 7 | 0 | 0 |
इससे पता चलता है कि दिल्ली में लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सिक्का चलता है जबकि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिलती है लेकिन इन दोनों ही चुनावों में कांग्रेस के हाथ दिल्ली में पूरी तरह खाली हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में किस दल को मिले कितने वोट
| राजनीतिक दल | मिले वोट (प्रतिशत में) |
| आप | 24.17 |
| बीजेपी | 54.35 |
| कांग्रेस | 18.91 |
फ्रंटफुट पर खेल रही कांग्रेस
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस बार अपने प्रदर्शन से काफी उत्साहित है। पार्टी ने 2019 के मुकाबले अपने सांसदों की संख्या को लगभग दोगुना किया है। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस उत्साह से लबरेज दिखाई दे रही है और प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ियों के मामले को लेकर पार्टी ने खुलकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
दिल्ली में 5% सिख मतदाता हैं जबकि 14% पंजाबी मतदाता हैं। इस तरह सिख और पंजाबी मिलाकर दिल्ली में 19% के आसपास हैं और निश्चित रूप से इतनी बड़ी आबादी के वोट दिल्ली विधानसभा के नतीजों पर बड़ा असर डालते हैं।

दिल्ली में साथ लड़े, पंजाब में नहीं
बताना होगा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। 7 सीटों में से चार पर आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवार उतारे थे जबकि तीन पर कांग्रेस ने। लेकिन पंजाब में दोनों दलों ने चुनावी गठबंधन नहीं किया था। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी की ओर से ऐलान कर दिया गया था कि वह दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरेगी। इसके बाद कांग्रेस ने भी अपने तेवर दिखाते हुए चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।
कम के कम 10 दिन दिल्ली में रुकेंगे पंजाब के नेता
कांग्रेस के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पंजाब से न सिर्फ पूर्व मंत्री बल्कि वहां के प्रदेश अध्यक्ष और बूथ लेवल के कार्यकर्ता भी जुलाई से हर महीने कम से कम 10 दिन दिल्ली में रुकेंगे। उन्होंने बताया कि उनका फोकस सिख बहुल इलाकों पर रहेगा। कांग्रेस पंजाबी और सिख वोट बैंक को साधने के अलावा आम आदमी पार्टी सरकार के कथित कुशासन को भी उजागर करेगी।
कांग्रेस के सिख चेहरे लवली बीजेपी में गए
लोकसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस को दिल्ली में एक बड़ा झटका तब लगा जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सिख चेहरे अरविंद सिंह लवली कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए। हालांकि अरविंदर सिंह लवली एक बार पहले भी बीजेपी में जा चुके थे। अरविंद सिंह लवली शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहे हैं।

दिल्ली में कौन-कौन से हैं सिख बहुल इलाके
दिल्ली में लगभग 8 लाख सिख मतदाता हैं। देश भर में पंजाब के बाद दिल्ली ही ऐसी जगह है, जहां पर पंजाबी और सिख मतदाता बड़ी संख्या में हैं। दिल्ली में 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं। इन सीटों के नाम राजौरी गार्डन, तिलक नगर, मोती नगर, विकास पुरी, हरि नगर, राजिंदर नगर, कालकाजी, जंगपुरा, जीटीबी नगर, पंजाबी बाग, लाजपत नगर, कृष्णा नगर और गीता कॉलोनी हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में किस पार्टी ने किन सीटों से उतारे सिख उम्मीदवार
| कांग्रेस | आप | बीजेपी |
| गांधी नगर, जंगपुरा, देवली, राजौरी गार्डन, विश्वास नगर और तिलक नगर | तिलक नगर और चांदनी चौक | राजिंदर नगर, जंगपुरा, तिमारपुर और ग्रेटर कैलाश |
किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा विधानसभा चुनाव
दिल्ली में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है। लोकसभा चुनाव में महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे हावी रहते हैं तो विधानसभा चुनाव में मुफ्त पानी, बिजली, सुरक्षा, स्वास्थ्य का बोलबाला दिखाई देता है।
आम आदमी पार्टी दिल्ली में मुफ्त पानी, बिजली, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूलों की बेहतर व्यवस्था और केजरीवाल सरकार के कामकाज के आधार पर वोट मांगेगी। पार्टी का कहना है कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अरविंद केजरीवाल को जेल में डाला हुआ है, आप इस बात को भी दिल्ली में मुद्दा बना रही है।
बीजेपी मुख्य रूप से कथित आबकारी घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को मुद्दा बना रही है। कांग्रेस भी आबकारी घोटाले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा उठा चुकी है।

आप, बीजेपी भी लगाएंगे पूरा जोर
लगभग 60% सिख आबादी वाले राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था और वह 18 सीटें ही ला सकी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा कम बैक करते हुए 13 लोकसभा सीटों में से 7 सीटें जीती हैं जबकि उसके कई बड़े नेता जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनकी पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री परणीत कौर, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़, लुधियाना से सांसद रहे और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू सहित कई नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था।
जिस तरह कांग्रेस पंजाब से अपने सिख नेताओं को दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए लाएगी उसी तर्ज पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी भी अपने नेताओं को दिल्ली की सिख और पंजाबी बहुल सीटों पर मैदान में उतारेगी हालांकि इससे पहले भी पंजाब के सिख नेता दिल्ली की सिख और पंजाबी मतदाताओं वाली सीटों पर चुनाव प्रचार करते रहे हैं।
