चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफल लैंडिंग के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) पर तंज कसते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “चंद्रयान-3 के लिए छोटे-छोटे बच्चे उत्साहित हैं, लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को समझ नहीं आएगा।”
राय की यह प्रतिक्रिया एक वीडियो पर थी। इस वीडियो में दिख रहा है कि जब एक पत्रकार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से चंद्रयान मिशन से जुड़ा प्रश्न पूछा तो उसी समय उन्होंने अपना चेहरा बगल में खड़े मंत्री अशोक चौधरी की तरफ किया। चौधरी ने उनसे कुछ कहा। इस वीडियो को इस तरह पेश किया गया कि नीतीश कुमार ने प्रश्न पर ऐसी प्रतिक्रिया दी जैसे उन्हें चंद्रयान लैंडिंग के बारे में पता ही नहींं हो।
इस वीडियो का सच जो भी हो, लेकिन यह सच है कि नीतीश कुमार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और 1969 में पहली बार जब चंद्रमा पर नील आर्मस्ट्रांग ने कदम रखे थे तो उस घटना का आंखों देखा हाल उन्होंने बड़ी उत्सुकता से सुना था।
युवा नीतीश और अमेरिका का चंद्र मिशन
कॉलेज के दिनों में युवा नीतीश कुमार लॉज के अपने कमरे में मरफी कंपनी का एक ट्रांजिस्टर रखते थे। उस जमाने में किसी विद्यार्थी के पास इसका होना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। राजकमल प्रकाशन से छपी किताब ‘नीतीश कुमार-अंतरंग दोस्तों की नजर से’ में लेखक उदय कांत ने चांद पर पहले इंसान के उतरने की घटना और नीतीश कुमार से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया बताया है।
उदय कांत ने नीतीश के साथ एक ही लॉज में रहने वाले नागेंद्र के हवाले से बताया है कि “नील आर्मस्ट्रांग के 20 जुलाई, 1969 को चाँद पर पहुँचने का आँखों देखा हाल हम सबों ने नीतीश जी के कमरे में सारी रात बैठकर ट्रांजिस्टर से सुना था!”
गौरतलब है कि अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने मिशन अपोलो-11 के तहत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजा था। 20 जुलाई, 1969 को अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चांद की सतह पर कदम रखने वाले पहले इंसान बन गए थे। नील आर्मस्ट्रांग के साथ बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस भी चांद पर गए थे। इन अंतरिक्ष यात्रियों का सफर 16 जुलाई 1969 को शुरू हुआ था। इस मिशन पर तब 25 अरब डॉलर खर्च हुए थे। आज भारतीय रुपये में यह करीब 2 लाख करोड़ रुपए होगा।
विचारक का कमरा
पटना के कृष्णा लॉज के जिस कमरे में नीतीश रहते थे उसे पत्रकार सुरेंद्र किशोर विचारक का कमरा बताते हैं। तब सुरेंद्र लोहियावादी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता थे। पटना आने पर अपने भाई नागेंद्र के कमरे में ठहरते थे। नागेंद्र और नीतीश कुमार का कमरा अगल-बगल था। नीतीश कुमार कमरा नंबर 19 और नागेंद्र कमरा नंबर 20 में रहते थे।
उदय कांत की किताब में सुरेंद्र किशोर याद करते हैं, “नीतीश जी बोलते कम और जिज्ञासा अधिक करते थे। उनकी जिज्ञासा राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर लोहिया के समाजवादी आंदोलन की दशा-दिशा जानने और समझने की होती थी। वे मुझसे मिलकर समाजवादी आन्दोलन व उसके नेताओं के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते थे। ये सब बातें मैं नीतीश जी को बताता था। मैं भी यदा-कदा उनके कमरे में चला जाता था। मुझे वह कमरा किसी विद्यार्थी का कम और किसी विचारक का अधिक लगता था। जो बात मुझे सबसे अधिक प्रभावित करती थी वह थी उस कमरे की सफाई, सुव्यवस्था और सुघड़ता। हर चीज करीने से, एकदम सही जगह पर, रखे होती थी। बिस्तर पर बिना सिलवटों की चादर, अलगनी पर सलीके से टंगे कपड़े, मेज पर सजाकर रखी गई कलम, पेंसिल और किताबें और सही जगह पर रखी चप्पल और जूते देखकर बहुत अच्छा लगता था। हां, मैं जिन बातों से सबसे अधिक प्रभावित होता था वे मेज पर रखी, दिनमान जैसी समसामयिक पत्रिकाएं।”
तो चंद्रयान-3 पर नीतीश कुमार ने क्या कहा था?
जिस दिन (23 अगस्त) चंद्रयान-3 लैंड करने वाला था, उस दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के सबसे सबसे बड़े परीक्षा परिसर ‘बापू परीक्षा परिसर’ का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे थे। कार्यक्रम के बाद जब वह मीडिया से मुखातिब हुए तो किसी पत्रकार ने पूछ लिया कि सर आज चंद्रयान-3 की लैंडिंग होने वाली है, इस पर आप क्या कहेंगे?
पहले तो नीतीश कुमार सवाल सुन या समझ नहीं पाए। लेकिन जब मंत्री अशोक चौधरी ने उन्हें कान में कुछ बताया तो उन्होंने कहा, ” ये (मिशन चंद्रयान) तो अच्छी बात है ना, होने दीजिए।
बता दें कि चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब सफल लैंडिंग हो गई है। भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन चुका है। यह देश के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है।