प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, प्रशासक, देश के दूसरे गृह मंत्री और उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत जवाहरलाल नेहरू से भी पुराने कांग्रेसी नेता थे। भारत रत्न पंत का जन्म तो अल्मोड़ा के पर्वतीय गांव खूंट में हुआ था लेकिन जड़ें महाराष्ट्र से जुड़ी थीं। साल 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उदय भी महाराष्ट्र से ही हुआ था। आज भी संघ का मुख्यालय नागपुर में ही है।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

गांधीवादी गोविंद बल्लभ पंत पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में दंगा भड़काने के मामले में फंसे संघ को बचाया था। संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगा था।

जब पकड़ा गया गोलवलकर का प्लान

संघ की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। वही पहले सरसंघचालक भी थे। अपनी मृत्यु से एक दिन पहले हेडगेवार ने एक चिट लिखकर माधव सदाशिव गोलवलकर को संघ की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस तरह दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर बने थे। संघ के लोग उन्हें गुरु गोलवलकर कहते हैं और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ‘नफरत का मसीहा’ मानते हैं।

गांधी हत्या मामले में गोलवलकर को भी जेल जाना पड़ा था। विभाजन के बाद से ही संघ पर देश में सांप्रदायिक दंगा भड़काने का आरोप लगता रहा। इन आरोपों के केंद्र में हमेशा गोलवलकर होते थे।

गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री (1946-1954) रहने के दौरान उप पुलिस महानिरीक्षक बीबीएल जेटली को गोलवलकर के एक बड़े प्लान का पता चला। योजना के मुताबिक, संघ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा की तैयारी कर चुका था। भारत के गृह सचिव रहे राजेश्वर दयाल ने अपनी आत्मकथा ‘अ लाइफ़ ऑफ़ अवर टाइम’ में इस बात का ज‍िक्र क‍िया है।

उन्‍होंने ल‍िखा है क‍ि पश्‍च‍िमी रेंज के डीआईजी बीबीएल जेटली एक द‍िन बहुत गोपनीय तरीके से उनके पास स्टील के दो बड़े ट्रंक लेकर पहुंचे। उन ट्रंक्स में ऐसे साक्ष्य मौजूद थे कि संघ और गोलवलकर का बचना मुश्किल था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बस्तियों का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार किया गया था। वहां तक पहुंचे के रास्तों को चिन्हित किया गया था। गोलवलकर तब तक उसी क्षेत्र में मौजूद थे।

आत्‍मकथा के मुताब‍िक, दयाल ने गोलवलकर को तत्‍काल गिरफ्तार करने के ल‍िए दबाव बनाया। उन्होंने मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को सबूत दिखाकर गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी। लेकिन सीएम ने मामले को कैबिनेट के सामने उठाने की बात कही और इसी बीच क‍िसी ने गोलवलकर तक खबर पहुंचा दी और वह इलाके से फरार हो गए।

एक और क‍िताब में ऐसी बात का ज‍िक्र है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी ‘द अनटोल्ड वाजपेयी’ में उल्लेख एन.पी. लिखते हैं, ”इस्लामी पड़ोसी देश बनवाने वाली इस्लामी पहचान के जबरदस्त उभार को देखते हुए गोलवलकर का मानना था कि थोड़े अंतराल के बाद, अब राजनीतिक फायदा उठाने का वक्त आ गया है। संगठन ने उत्तर भारत के संवेदनशील हिस्सों में अशांति फैलाना और दंगे कराना शुरु कर दिया।

गोलवलकर समेत आरएसएस नेतृत्व तमाम सबूत होने के बावजूद बच निकलने में कामयाब रहा। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने बाद में माना कि उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत जैसे अनेक कांग्रेस नेताओं के सामने पर्याप्त सबूत पेश किए थे। लेकिन आरएसएस नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।”