जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 16 दिनों तक दोनों पक्षों की जिरह सुनी। 5 सितंबर, 2023 को सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह कहते हुए फैसला सुरक्षित रखा कि “हमने दलीलें सुन लीं, अब फैसला रिजर्व है।”
500 से ज्यादा फैसले लिखने और हजार से ज्यादा बेंच में बैठने वाले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। वह नवंबर 2022 से CJI के पद पर हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति मई 2016 में हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय में अक्टूबर 2022 तक जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 513 फैसले लिख चुके थे और 1057 बेंचों का हिस्सा रहे थे। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के जितने भी जज हैं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने उन सभी से ज्यादा फैसले लिखे हैं।

किस तरह के मामलों में सबसे ज्यादा सुनाया फैसला?
CJI चंद्रचूड़ ने मई 2016 से अक्टूबर 2022 के बीच में सबसे ज्यादा सर्विस से जुड़े मामलों में फैसला सुनाया है। इसके बाद क्रिमिनल केस, सिविल केस और संविधान से जुड़े मामलों का नंबर आता है। इन सब में सबसे अधिक चर्चा संविधान से जुड़े मामले रहे हैं, चाहे वो 377 हटाने मामला हो या सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश का मामला।

CJI चंद्रचूड़ के चर्चित फैसले
1. अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले में साल 2019 में जिन पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था, उसमें डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित भूमि का मालिकाना हक हिंदू पक्ष को दिया और उन्हें उस स्थान पर राम मंदिर बनाने की अनुमति दी। बाबरी मस्जिद के लिए केस लड़ रहे सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पीठ ने एक अलग जगह पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।
2. साल 2019 में ही सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में भी डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाया था। यह केस इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन बनाम केरल राज्य के बीच लड़ा गया था। मामले में चंद्रचूड़ ने माना कि सबरीमाला मंदिर में 10-50 वर्ष की आयु की महिलाओं को न जाने देना संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रतिबंध ने महिलाओं की स्वतंत्रता और गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। सीजेआई ने विशेष रूप से यह माना कि यह प्रथा अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है, जो अस्पृश्यता पर रोक लगाती है।
3. जोसेफ शाइन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इस मामले की सुनावई करने वाली पीठ में जस्टिस चंद्रचूड़ भी शामिल थे। उन्होंने बहुमत की राय से सहमति व्यक्त की थी। उन्होंने पाया था कि आईपीसी की धारा 497 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है। उनका मानना था कि एडल्ट्री की अवधारणा के तहत ही सदियों से महिला अधीन बनाकर रखा गया।
370 पर फैसला सुरक्षित रखने से पहले क्या-क्या हुआ?
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर अदालत की सुनवाई पूरी हो गई है। फैसले की घड़ी अब नजदीक है। 2 अगस्त, 2023 से लगभग हर रोज अनुच्छेद-370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुनवाई चली। शुरू के नौ दिन याचिकाकर्ता पक्ष ने अपनी बाते रखीं। इसके बाद छह दिन केंद्र सरकार और इसके फैसले का समर्थन करने वाली संगठनों ने दलीलें दीं। 16वें यानी आखिरी दिन एक बार फिर याचिकाकर्ता पक्ष ने अपनी बातें रखीं। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने तर्क और तथ्य अदालत के सामने पेश किए।
16वें दिन अदालत में एक मामला ऐसा भी आया जब अदालत ने मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन से इस बात का हलफनामा मांग लिया वह जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। लोन ने जब हलफनामा दायर किया तो केंद्र की तरफ से बहस कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हलफनामे की भाषा पर सवाल उठाया और जजों से आग्रह किया वो दायर किए गए हलफनामे में वो पढ़ने की कोशिश करें जो लिखा नहीं गया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पीठ हलफनामे का विश्लेषण करेगी। आखिरी दिन सुनवाई साढ़े पांच घंटे चली। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकीलों ने बारी-बारी से अपनी बातें रखीं, जिन्हें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।