छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने हाल ही में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत 24.52 लाख किसानों के बैंक खातों में कुल 1,895 करोड़ रुपये ट्रांसफर किया है। यह इस योजना के तहत जारी हुई तीसरी किश्त है।
सीएम ने 28 सितंबर को बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के सुमाभाटा गांव में आयोजित ‘कृषक-सह-श्रमिक सम्मेलन’ में शामिल होकर किसानों के लिए राशि जारी की थी।
‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ की शुरुआत छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने और कृषि रकबे को बढ़ाने के लिए किया था। सरकार ने इस योजना के तहत 5750 करोड़ रुपए की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने का लक्ष्य रखा है।
कब हुई थी योजना की शुरुआत?
राज्य की कांग्रेस सरकार ने योजना की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर 21 मई 2020 को की थी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को चार किश्तों में 5750 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने की योजना है। पहली किस्त के रूप में 1500 करोड़ रुपए योजना शुरू होने के तत्काल बाद, 21 मई को ही किसानों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया था।
योजना के शुरुआती वर्ष में धान, मक्का और गन्ना (रबी) की फसलों को शामिल किया गया था। वर्ष 2020-21 से इसमें दलहन एवं तिलहन की फसलों को भी शामिल कर लिया गया।
दूसरी किश्त 20 अगस्त, 2021 को जारी की गई थी। तब राज्य के 21 लाख किसानों को 1522 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए थे।
लघु वनोपज को भी बढ़ा दे रही है सरकार
छत्तीसगढ़ को लघु वनोपज का हब माना जाता है। राज्य में लगभग 20 हजार गांव हैं। इनमें पांच हजार गांव ऐसे हैं जो वनक्षेत्रों से पांच किलोमीटर की परिधि में हैं। इन पांच हजार गांवों की अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वनोपज पर आधारित है।
इसे ही ध्यान में रखते हुए सरकार ने अपनी सूची में वनोपजों की संख्या बढ़ा दी है। पहले सरकार सात लघु वनोपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती थी। वर्तमान में 67 ऐसे लघु वनोपज हैं, जिन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। इनमें से 39 को केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है और 28 के लिए MSP राज्य सरकार ने तय किया है।
सरकार का दावा है कि लगभग 4000 गावों में 800 से ज्यादा हाट-बाजारों में 4800 महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से लगभग 80000 महिलाएं लघु वनोपज के संग्रहण, प्रसंस्करण, मार्केटिंग, पैकजिंग और ब्रांडिंग का काम कर रही है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।