देश में समान नागरिक संहिता (UCC) पर बहस तेज है। 27 जून (मंगलवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में यूसीसी की वकालत की थी। प्रधानमंत्री के भाषण के बाद BJP-RSS के कई नेता यूसीसी के पक्ष में तर्क दे रहे हैं। जनसत्ता डॉट कॉम के कार्यक्रम ‘बेबाक’ में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने यूसीसी के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि इससे किसी की धार्मिक आस्था का अतिक्रमण नहीं होगा।

‘बेबाक’ का संचालन करते हुए जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा ने मुख्तार अब्बास नकवी से सीधा पूछा, क्या यूसीसी मुसलमानों को टारगेट कर लाया जा रहा है?

नकवी ने इस सवाल का जवाब विस्तार से दिया। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं- विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया। ठीक इसी तरह इस्लाम के पांच स्तंभ हैं- ईमान या कलमा (ला इलाहा इल्लल्लाह मोहम्मद रसूलल्लाह), नमाज़, रोजा, जकात और हज़। मैं आपके कार्यक्रम में पहली बार यह बता रहा हूं। पिछले दिनों मैं अध्ययन कर रहा था कि आखिर यूसीसी के आने से इस्लाम का कौन सा स्तंभ ढह जाएगा। तो यह आप जान लीजिए कि यूसीसी आने के बाद भी आपको ना तो कलमा पढ़ने से रोकेगा, ना नमाज पढ़ने से रोकेगा, ना रोजा रखने से रोकेगा, ना जकात देने से रोकेगा और ना ही हज़ जाने से रोकेगा।”

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यूसीसी को समझाते हुए नकवी आगे कहते हैं, “यूसीसी एक समावेशी सुधार है। किसी भी प्रगतिशील समाज या देश के लिए परिवर्तन और सुधार वक्त की जरूरत होती है। दुनिया के लगभग 42-43 देश ऐसे हैं, जहां कॉमन सिविल कोड लागू है। दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां कॉमन सिविल कोड लागू है और वहां मुस्लिम आबादी एक प्रतिशत से सात प्रतिशत है। भारत में तो 20 प्रतिशत मुसलमान हैं। जब उन देशों में इस्लाम के पांच में से एक भी स्तंभ नहीं गिरे तो भारत में क्या ही हो जाएगा।

इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि आप इसे इस्लाम पर हमला ना मानें। यूसीसी किसी भी तरह से किसी की धार्मिक आस्था पर अतिक्रमण नहीं है। बल्कि इससे सामाजिक सरोकार के सवाल सरल होंगे। इससे लोगों की जिंदगी आसान होगी। आज देश में क्रिमिनल लॉ तो किसी धर्म के आधार पर नहीं है। समाज के सभी लोगों पर एक तरह का क्रिमिनल लॉ लागू होता है। फिर सिविल लॉ अलग-अलग कैसे हो सकता है?”

क्या ट्राइब्स को बाहर रखा जाएगा?

3 जुलाई को संसदीय कमेटी की मीटिंग हुई। मीड‍िया में ऐसी खबरें आईं क‍ि कमेटी के अध्यक्ष और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने सुझाव दिया कि यूसीसी को ऐसा रखा जाना चाहिए कि आदिवासी समाज पर असर न पड़े। कुल मिलाकर यह चर्चा है कि सरकार आदिवासी समुदाय को यूसीसी से बाहर रख सकती है। यही सवाल मुख्तार अब्बास नकवी से पूछा गया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैंने देखा कि पर्सनल लॉ बोर्ड वाले कह रहे हैं कि हमें यूसीसी से बाहर रखिए, कल को कोई भी इस तरह की मांग करेगा। फिर यूसीसी बनेगा क्यों? जहां तक आदिवासियों का मामला है तो मुझे ऐसा लगता है उनमें इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन है। यूसीसी से आदिवासियों की मान्यताओं को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। अगर वह अपने किसी समारोह में हथियार लेकर उत्सव मनाते हैं तो यूसीसी के आ जाने से पर उस पर रोक नहीं लग जाएगी। ना ही उनकी सांस्कृतिक पहचान खत्म होगी। ना ही उनके खानपान या पहनावे को लेकर बदलाव हो जाएगा। यूसीसी का इन सब से कोई मतलब नहीं है।”

मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि किस तरह संविधान सभा में शामिल तमाम नेता यूसीसी के पक्ष में थे। उन्होंने कहा, “संविधान सभा में इसे लेकर बहुत बहस हुई थी। नेहरू, पटेल, मौलाना आजाद, हसरत मोहानी जैसे तमाम नेता कॉमन सिविल कोड के पक्ष में थे। लेकिन तब से लेकर अब तक कम्यूनल कारीगरों के क्रिमिनल करतूतों की वजह से कॉमन कोड कारागार में कैद है। अब उसकी रिहाई का वक्त आ गया है।”

भारत हिंदू राष्ट्र है…

बातों ही बातों में मुख्तार अब्बास नकवी ने भारत को हिंदू राष्ट्र बता दिया। दरअसल, जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक ने हाल में उठ रहे हिंदू राष्ट्र की मांग की ओर इशारा करते हुए सवाल क‍िया तो नकवी ने कहा, “यहां हिंदू राष्ट्र की बात नहीं है। क्योंकि भारत हिंदू राष्ट्र तो है ही। लेकिन हिंदू राष्ट्र पाकिस्तान के इस्लामिक देश की कार्बन कॉपी नहीं है। भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां लगभग सभी धर्मों के लोग रहते हैं। इसके अलावा दस प्रतिशत ऐसे लोग भी हैं जो किसी भी धर्म को नहीं मानते।”

हिंदुत्व को समझाते हुए नकवी ने कहा, “अब आते हैं हिंदुत्व पर। हिंदुत्व कोई मजहब नहीं है। अल्लामा इकबाल, जो बाद में पाकिस्तान चले गए, उन्होंने कहा था ‘हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्तां हमारा’। मतलब हिंदी से हिंदू बना है। इस तरह हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदी है या हिंदू है। हिंदू राष्ट्र का मजहब से कोई मतलब नहीं है।”

जनसंघ से कैसे जुड़े नकवी?

साक्षात्कार के दौरान मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि उन्हें जनसंघ से जोड़ने में विद्यार्थी परिषद (ABVP) के शिवेंद्र तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। तिवारी उसी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्टूडेंट लीडर थे, जहां से नकवी ने भी उच्च शिक्षा हासिल की है। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें।)

कंपनी गार्डन से खास कनेक्शन

इलाहाबाद में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान मुख्तार अब्बास नकवी को सीमा से प्रेम हुआ था। वही बाद में उनकी पत्नी भी बनीं। उन दिनों इस प्रेमी जोड़े के मिलने का ठिकना कंपनी गार्डन ही हुआ करता था