Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024 Exit Poll: हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस को चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतजार है। एग्जिट पोल से सामने आए आंकड़ों के बाद जहां कांग्रेसी खेमे में खुशी की लहर है, वहीं बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के चेहरे पर मायूसी जरूर है लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और बीजेपी के अन्य नेता कह रहे हैं कि एग्जिट पोल गलत साबित होंगे। उन्हें भरोसा है कि बीजेपी एक बार फिर राज्य में अपनी सरकार बनाने में कामयाब होगी।

अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो बीजेपी की हार के कारणों को लेकर भी आम लोग और राजनीतिक विश्लेषक चर्चा कर रहे हैं। इस सब के बीच इस बात की भी जोरदार चर्चा हरियाणा में है कि सैनी सरकार के 7 मंत्री ऐसे हैं जिन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ सकता है।

जानते हैं कि सैनी सरकार के ऐसे कौन से मंत्री हैं जिनकी सीट खतरे में है और वे चुनाव में हार सकते हैं।

लाडवा में क्या होगा?

सबसे पहले बात करते हैं कुरुक्षेत्र जिले की लाडवा सीट की। इस सीट से खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ रहे हैं। लाडवा सीट पर चुनावी मुकाबला इसलिए कठिन माना जा रहा है क्योंकि 2019 में यहां से चुनाव जीते मेवा सिंह इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। मेवा सिंह पिछला चुनाव 12 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे। लाडवा से इनेलो-बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं सपना बड़शामी भी प्रमुख उम्मीदवार हैं। खुद नायब सिंह सैनी लाडवा के बजाय करनाल सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें लाडवा से ही चुनाव लड़ने का आदेश दिया।

इस साल मार्च में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद सैनी करनाल सीट से उपचुनाव जीते थे। कांग्रेस को यहां जाट और बाकी समुदायों का भरोसा है तो बीजेपी को ओबीसी जातियों से समर्थन की उम्मीद है।

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लोहारू में जेपी दलाल, हिसार में कमल गुप्ता मुश्किल में

सैनी सरकार में वित्त मंत्री जेपी दलाल को भिवानी जिले की लोहारू विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार राजबीर सिंह फरटिया से कड़ी चुनौती मिली। यहां पर चुनावी मुकाबला बेहद नजदीकी माना जा रहा है। हिसार से चुनाव लड़ रहे डॉक्टर कमल गुप्ता सैनी सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहे थे लेकिन यहां पर बीजेपी से टिकट मांग रहीं हरियाणा सरकार की पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा।

सावित्री जिंदल कुरुक्षेत्र के बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां हैं और देश की सबसे अमीर महिला हैं। सावित्री जिंदल के अलावा बीजेपी के बागी नेता तरुण जैन भी कमल गुप्ता की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

ये मंत्री भी मुश्किल में

कुरुक्षेत्र जिले की थानेसर सीट से चुनाव लड़ रहे और सैनी सरकार में शहरी निकाय राज्य मंत्री रहे सुभाष सुधा के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक अरोड़ा ने मजबूत चुनौती पेश की। अंबाला शहर सीट से उम्मीदवार और सैनी सरकार में परिवहन मंत्री असीम गोयल को कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी निर्मल सिंह से चुनाव प्रचार के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ा। महेंद्रगढ़ जिले की नांगल चौधरी विधानसभा सीट पर डॉक्टर अभय सिंह यादव को कांग्रेस की उम्मीदवार मंजू चौधरी से जबरदस्त चुनौती मिली।

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इसी तरह यमुनानगर जिले की जगाधरी सीट पर कंवरपाल गुर्जर भी चुनाव के दौरान बहुत संघर्ष करते दिखाई दिए। कंवरपाल गुर्जर की राह कांग्रेस के उम्मीदवार अकरम खान और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आदर्श पाल गुर्जर ने मुश्किल की है।

संजय सिंह की सीट बदलना पड़ेगा भारी?

सैनी सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे संजय सिंह को इस बार बीजेपी ने नूंह से चुनाव लड़ाया था। नूंह में पुराने नेता और कांग्रेस के उम्मीदवार आफताब अहमद संजय सिंह पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। संजय सिंह पिछला चुनाव सोहना से जीते थे।

किन मुद्दों पर मुश्किल में फंसी बीजेपी

2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर हरियाणा में सरकार बनाने वाली बीजेपी को चुनाव प्रचार के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। चुनाव में कांग्रेस ने बेरोजगारी, CET परीक्षा को अहम मुद्दा बनाया था। इसके अलावा फैमिली आईडी के जरिए लोगों को परेशानी होने की बात भी कांग्रेस ने कही थी। किसान आंदोलन, महिला पहलवानों के आंदोलन के साथ ही 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से भी बीजेपी को जूझना पड़ा। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी संविधान और आरक्षण पर खतरा होने की बात कही।

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चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे और रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी पूरा जोर लगाया। खुद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनावी जनसभाएं करने के अलावा हरियाणा विजय संकल्प यात्राओं के जरिए लोगों के बीच में पहुंचे। दूसरी ओर बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ ही केंद्रीय व हरियाणा बीजेपी के नेताओं ने प्रचार किया।

निर्दलीयों, छोटे दलों की पड़ेगी जरूरत?

बीजेपी और कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने राज्य में पार्टी के बड़े नेताओं से चुनाव नतीजों को लेकर चर्चा की है और चुनाव के बाद अगर बहुमत से कुछ सीटें कम मिलीं तो ऐसी स्थिति में छोटे दलों या निर्दलीयों का सहारा लिए जाने को लेकर भी रणनीति तैयार की जा रही है। हरियाणा के चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस के अलावा इनेलो-बसपा और जेजेपी-आसपा (कांशीराम) गठबंधन के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा। इन दलों के अलावा निर्दलीय भी कुछ सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं।

2019 में 19 सीटों पर निर्दलीय व छोटी पार्टियों को मिली थी जीत

राजनीतिक दलमिली सीटें
बीजेपी40
कांग्रेस31
जननायक जनता पार्टी10
निर्दलीय 7
इनेलो1
हरियाणा लोकहित पार्टी1

पिछली बार इन सीटों पर जीते थे निर्दलीय विधायक

विधानसभा सीटनिर्दलीय जीते विधायक का नाम
पूंडरीरणधीर सिंह गोलन
नीलोखेड़ी (एससी)धर्मपाल गोंदर
महम बलराज कुंडू
बादशाहपुरराकेश दौलताबाद
पृथलानयनपाल रावत
दादरीसोमवीर सांगवान
रानियांरणजीत सिंह चौटाला