जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में इस बार जिस नेता की सबसे ज्यादा चर्चा है, उनका नाम शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद है। इंजीनियर राशिद लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद देश भर में तब जोरदार ढंग से चर्चा में आए थे जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हरा दिया था। बड़ी बात यह है कि यह चुनाव उन्होंने जेल में रहते हुए जीता था। राशिद इंजीनियर को हाल ही में जमानत दी गई थी।
इंजीनियर राशिद की पार्टी का नाम अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) है। एआईपी ने विधानसभा चुनाव में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के साथ गठजोड़ किया है।
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में राशिद इंजीनियर के विरोधी उन्हें बीजेपी का एजेंट और ‘दिल्ली का आदमी’ बताते हैं और उन पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह चुनाव में वोटों का बंटवारा करने के लिए आए हैं। जम्मू-कश्मीर में पहले चरण का मतदान हो चुका है जबकि दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर और तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे।
साढ़े 5 साल जेल में रहे राशिद
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में इंजीनियर राशिद ने तमाम मुद्दों पर अपनी बात सामने रखी है। इंजीनियर राशिद साढ़े 5 साल तक जेल में रहे। इस सवाल के जवाब में कि जेल से बाहर आने के बाद वह जम्मू-कश्मीर में क्या अंतर देखते हैं, वह कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद लोग चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहते हैं और ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नया कश्मीर के वादे की वजह से नहीं हुआ है बल्कि इस वजह से हुआ है कि लोग महसूस करते हैं कि उन्हें दबाया गया है।
राशिद कहते हैं कि तिहाड़ जेल में दो दर्जन से ज्यादा युवा ऐसे थे, जिन्हें सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से मुकदमे दर्ज कर जेल भेज दिया गया था और इसलिए कश्मीर के लोग चुनाव के जरिए अपना गुस्सा दिखाना चाहते हैं।
कश्मीर मुद्दे को हल करना अहम
क्या आप किसी सेक्युलर गठबंधन में शामिल होंगे? इस सवाल के जवाब में राशिद कहते हैं कि उनके लिए कश्मीर के सम्मान और गरिमा को लौटाना और कश्मीर मुद्दे को हल करना अहम है।
सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए था
इस सवाल के जवाब में कि आप कहते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के पास कोई रोडमैप नहीं है, आपके पास कश्मीर के लिए क्या रोड मैप है, राशिद सवाल उठाते हैं कि फारूक़ अब्दुल्ला ने क्या कभी अनुच्छेद 370 के मामले में भूख हड़ताल की, क्या उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण हड़ताल करने को कहा?, अनुच्छेद 370 एक राजनीतिक लड़ाई थी और इसे राजनीतिक ढंग से ही लड़ा जाना चाहिए था। बारामूला के सांसद ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत नहीं थी।
राशिद इंजीनियर कहते हैं कि अगर किसी के पास कोई रोड मैप है तो वह उससे हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं। अगर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी यह वादा करते हैं कि भले ही वह 50 साल बाद सत्ता में आएं, वह अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए विधेयक लाएंगे तो मैं उनका साथ दूंगा। राशिद कहते हैं कि वह 11 साल तक विधायक रहे हैं और उन्होंने सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ी है।
राशिद इस बात पर जोर देते हैं कि कश्मीर के मुद्दे का समाधान उनके लिए सबसे जरूरी है और सरकार बनाने की बात चुनाव नतीजों के बाद देखी जाएगी।
नापाक है नेकां-कांग्रेस गठबंधन
राशिद कहते हैं कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन एक नापाक गठबंधन है। वह कहते हैं, ‘यहां के लोग राहुल गांधी का समर्थन क्यों करेंगे। कांग्रेस ने हमें नीचा दिखाया है और हमारा असली नुकसान कांग्रेस ने ही किया है। अनुच्छेद 370 सिर्फ एक कंकाल था और मोदी ने उसे दफन कर दिया।’
इस सवाल के जवाब में कि उनकी जमानत की टाइमिंग को लेकर सवाल उठे, राशिद ने कहा कि उन्हें जमानत इसलिए मिली क्योंकि अरविंद केजरीवाल को भी जमानत मिली थी। उन्होंने भी चुनाव के लिए ही जमानत मांगी थी। ऐसे में टाइमिंग का सवाल कहां से पैदा होता है?